बागेश्वर हादसे में जेई और लाइनमैन के खिलाफ केस

करंट से दो ग्रामीणों की मौत का मामला, लाईनमैन समेत पांच लोग झुलसे

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बागेश्वर(उद सहयोगी)। जिले में एक बार फिर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से दर्दनाक हादसा हुआ है। कपकोट विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कफौली में करंट लगने से दो लोगों की मौत और पांच लोग घायल हो गए थे। पीड़ितों की तहरीर पर कपकोट पुलिस ने जेई और लाइनमैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू हो गई है। गत गुरुवार की दोपहर कफौली में क्षतिग्रस्त विद्युत लाईन के तार खींचते समय गांव के गोपाल जोशी और नवीन पांडे करंट की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि लाईन ठीक करने के लिये पहुंचे लाईनमैन ने ग्रामीणों से सहयोग मांगा तभी उत्तरभारत की हाईवोल्टेज लाईन की चपेट में आने से सभी लोग बुरी तरह झुलस गये। जबकि लाइनमैन राजू शाही समेत भास्कर जोशी, नवल पांडे, भुवन कोरंगा, दिनेश पांडे घायल हो गए थे। वहीं गंभीर रूप से झुलसे दो ग्रामीणों को हल्द्वानी रेफर किया गया है। शुक्रवार को कफौली गांव के ख्याली दत्त जोशी ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी। एसओ कपकोट कैलाश बिष्ट ने बताया कि जेई राजेंद्र शाही और लाइनमैन राजू शाही के खिलाफ धारा 304ए में मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस घटना की सभी कोणों से जांच में जुट गई है। ईई भास्कर पांडे ने बताया कि घटना की जांच के लिए अधीक्षण अभियंता और एसडीओ लेवल की टीम जांच करेगी। मृतक और घायलों को जांच के उपरांत ही मुआवजा मिल सकेगा। बताया कि मृतक को चार लाख रुपये मुआवजा देने का प्राविधान है। 25 प्रतिशत तक झुलसे व्यक्ति को 50 हजार रुपये तक मुआवजा दिया जाता है। गौर हो कि पहाड़ी जिलों में विद्युत व्यवस्थाओं को लेकर अक्सर शिकायते आती रही है। जबकि विजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा स्थानीय लोगों अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ रहा है। कफौली गांव में हुई दर्दनाक घटना के बाद विभागीय अधिकारियें की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये जा रहे है। अक्सर ग्रमीणों की मदद लेकर बिजली का काम कराया जा रहा है यह चिंतनीय है। आखिर विभागीय कर्मचारियों की तैनाती क्यों नहीं की जाती। ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी ग्रामीणक्षेत्रों में विद्युत लाईनों का निरीक्षण तक नहीं करते हैं। आंधी तूफान की वजह से पुरानी लाईनों के केबल टूट रहे है। जर्जर हो चुकी विद्युत तारो को बदला तक नहीं जा रहा है। जबकि लाईनमैन को विद्युत संचालन के लिये संसाधन भी उपलब्ध नहीं किये जाते ऐसे में यहां कभी भी हादसे हो सकते है। बहरहाल विभागीय अधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में बरती जा रही लापरवाही का खामियाजा अब ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन की जांच के बाद जिम्मेदार अफसर कितनी सक्रियता दिखाते है।

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