महामारी के खतरे बीच लगने जा रहा ऐतिहासिक चैती मेला
मनोज श्रीवास्तव
काशीपुर। कोरोना वायरस के मंडराते खतरे को देखते हुए जहां एक ओर सरकार ने सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने के फरमान जारी करते हुए महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया वहीं दूसरी ओर उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध चैती मेले की जोर शोर से चल रही तैयारियां कहीं मौत के मेले में न तब्दील हो जाए। इस बात को लेकर लोग अभी से खौफजदा है। भीड़ के रूप में महामारी यहां भी पांव पसारे इससे पहले जिम्मेदार अधिकारियों को सजग होकर जरूरी कदम उठाने चाहिए। ज्ञातव्य है कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी आगामी 25 मार्च से उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध चैती मेले की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। उप जिलाधिकारी कार्यालय में झूला, सर्कस मेले में लगाई जाने वाली दुकानों के अलावा पार्किंग आदि की निविदाएं भी खोल दी गई। गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष सरकार के राजस्व में इजाफा देखा गया लेकिन मेले की तैयारियों में लगे प्रशासन ने करोना वायरस के मंडराते खतरे को दरकिनार कर दिया। स्कूल काॅलेज सिनेमाघर 31 मार्च तक फिलहाल बंद कर दिए गए हैं। समारोह आयोजन या फिर किसी भी प्रकार का कार्यक्रम बगैर अनुमति के नहीं हो सकता। प्रदेश सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित कर दी। राज्य में इमरजेंसी सरीखे हालात पैदा हैं ऐसे में 10 दिन के बाद से यहाँ शुरू होने वाला चैती मेला कदाचित बड़े खतरे का संकेत है? सूबे की सरकार कोरोना के खतरे से बचने के लिए लोगों से एहतियात बरतने की अपील करते हुए उपचार के तमाम जरूरी संसाधन जुटा रही है वही चैती मेले में जुटने वाली हजारों लाखों की भीड़ कहीं बड़े खतरे का संकेत तो नहीं? बताते चलें कि ऐतिहासिक चैती मेले में देश के दूर-दूर से लाखों की तादात में श्रद्धालु यहां आते हैं। यह मेला पूरे एक माह का होता है। काबिले गौर यह है कि सरकार जहां एक और भीड़भाड़ वाले प्रस्तावित कार्यक्रमों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। कार्यक्रम अथवा समारोह को बगैर अनुमति न संपन्न करने के सख्त आदेश जारी किए गए हैं।
मेले की जिम्मेदारी अधिकारियों कीःसिंह
काशीपुर। राजकीय चिकित्सालय के जीडीएमओ एवं नगर स्वास्थ्य अधिकारी डाॅक्टर अमरजीत सिंह ने बताया कि इस वर्ष चैती मेला न लगाए जाने के लिए आधिकारिक स्तर पर प्रयास जारी है। उन्होंने कहा कि मां बाल सुंदरी का डोला यदि नगर मंदिर से चैती मंदिर ले जाया जाता है तो पंडा पुरोहित पूजा आदि की औपचारिकता करेंगे इसके बाद मेले को पूरी तरह से बैन कर देना चाहिए। नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि मेले को लगाए जाने की संपूर्ण जिम्मेदारी जिला अधिकारी एवं काशीपुर एसडीएम की है।
मेले का निगम से कोई वास्ता नहींःमेयर
काशीपुर। महापौर उषा चैधरी ने कहा कि मेला प्रशासनिक स्तर पर लगाया जा रहा है निगम से इसका कोई वास्ता नहीं है। नवरात्र के 9 दिनों में माता के उपासक पूजा अर्चना के लिए मंदिर तक के लिए मंदिर तक जरूर पहुंचेंगे। कहा कि ऐतिहासिक चैती मेला लोगों की आस्थाओं से जुड़ा है। श्रद्धालुओं को वहां जाने से रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि लगने वाले चैती मेले में मास्क आदि का वितरण किया जाएगा। महापौर का अपना मानना है कि आस्था के आगे महामारी अपना असर नहीं दिखा सकेगी।