दिल्ली का एग्जिट पोल, उत्तराखंड में भाजपा के लिए चुनौती

जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो यहां कुछ भी संभव

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नरेश जोशी 
रुद्रपुर। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम 11फरवरी को आने हैं किंतु एग्जिट पोल चुनाव आम आदमी पार्टी के पक्ष मंे बता रहा  है। यहां ध्यान देने की बात यह है कि चुनाव से पहले ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी फिर से एक बार सरकार बना लेगी। बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली का चुनावी रुख मोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्र के तमाम मंत्रियों सहित दूसरे प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को भी दिल्ली में चुनावी डड्ढूटी पर लगा दिया गया। दिल्ली में रह रहे उत्तराखंडी प्रवासियों को रिझाने के लिए स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में डेरा डाले रहे किंतु परिणाम निराशाजनक होने की आशंका जताई जा रही है। बड़ा सवाल भाजपा के लिए आकर खड़ा हो गया है उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की  सरकार है और 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं और उत्तराखंड के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों का हाल किसी से नहीं छुपा है। राज्य गठन के बाद से ही भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों को सरकार बनाने के लिए यहां की जनता ने बराबर बराबर का मौका दिया। यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि उत्तराखंड की जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की सरकारों से संतुष्ट नहीं दिखती है। यही बड़ा कारण है कि  राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनावो में  भाजपा हो या कांग्रेस कोई भी दल  सरकार में वापसी नहीं कर पाया  देश में मोदी लहर के बीच 20 17 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड की जनता ने फिर.एक बार भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया। भाजपा आलाकमान ने  त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों सूबे की कमान सौंप दी आज त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार  का लगभग आधा कार्यकाल खत्म होने जा रहा है और जमीनी हकीकत जनता के सामने है एनएच का बुरा हाल है। बावजूद इसके लोगों से जबरन टोल लिया जा रहा है पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग के नाम पर सरकार एक ईंट भी नहीं लगा पाई है। स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कई घोषणाएं फाइलों में धूल फांक रही है। ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्रों में सड़कों का बुराहाल है अस्पतालों में डाॅक्टर तो स्कूलों से टीचर गायब हैं। इसके बावजूद उत्तराखंड की सरकार दावे पर दावे किए जा रही है। बता दें कि दिल्ली के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का जमकर उपयोग किया। शाइन बाग के आंदोलन को भाजपा ने जमकर भुनाया सोशल मीडिया हो या फिर इलेक्ट्राॅनिक मीडिया पूरे देश में साईंन बाग को लेकर तमाम प्रकार की चर्चाएं चल रही थीं। भाजपा से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया में शाइन बाग के आंदोलन को पाकिस्तान से जोड़ दिया। यहां तक कि दावा किया जा रहा था कि भाजपा दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर देगी किंतु एग्जिट पोल की मानें तो दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के कामों की सराहना की और शाइन बाग के आंदोलन को दरकिनार कर दिया लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुशल प्रधानमंत्री तो बताया किंतु प्रदेश में अरविंद केजरीवाल को जरूरी बताया यह संदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। उत्तराखंड में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और ठीक 2 वर्ष बाद यहां भी विधानसभा चुनाव होने हैं देश की राजधानी दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम सीधे तौर पर उत्तराखंड के चुनाव को भी प्रभावित करेगा। कारण उत्तराखंड में भी अधिकांश वोटर शिक्षित और जागरूक है दिल्ली में अगर आम आदमी पार्टी की सरकार वापसी करती है तो यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

 

भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। केजरीवाल के कार्यों की प्रशंसा विपक्षी दलों के नेताओं ने भी की है। मैं मानता हूं कि बीते विधान सभा चुनाव में हमने उत्तराखंड को छोड़कर गोवा में चुनाव लड़ने की गलती की थी। इस बार उत्तराखंड में चुनाव लड़ने पर विचार किया जाएगा किंतु अंतिम फैसला केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को ही लेना है।
एसएस कलेर,प्रदेश अध्यक्ष आम आदमी पार्टी उत्तराखंड

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