नई दिल्ली(उद ब्यूरो)। मोदी सरकार नेशनल पाॅपुलेशन रजिस्टर की ओर कदम बढ़ा रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि अगले हफ्ते मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में नेशनल पाॅपुलेशन रजिस्टर के अपडेशन और जनगणना को मंजूरी मिल सकती है। नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटीजन पर देशभर में मचे घमासान के बीच मोदी सरकार नेशनल पाॅपुलेशन रजिस्टर की ओर कदम बढ़ा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है। एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी। हालांकि, सीएए और एनआरसी की तरह गैर-बीजेपी शासित राज्य इसका भी विरोध कर रहे हैं और इसमें सबसे आगे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। सीएए और एनआरसी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वालीं ममता बनर्जी ने तो बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया है। इसके अलावा केरल की लेफ्ट सरकार ने भी एनपी आर से संबंधित सभी कार्यवाही रोकने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहागया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी। एनपीआर देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे छच्त् में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है। 2010 से सरकार ने देश के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की। इसे 2016 में सरकार ने जारी किया था।
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