ढींगरा मोबाइल शोरूम में हुई लाखों में तीन दबोचे, छह फरार
रूद्रपुर,(उद संवाददाता)। लगभग एक माह पूर्व ढींगरा मोबाइल टावर में हुई चोरी का पुलिस ने खुलासा कर दिया। पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने चोरी की वारदात में लिप्त तीन बदमाशों को हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया है जबकि 6 अन्य आरोपी अभी फरार चल रहे हैं जिनकी तलाश में पुलिस की टीम नेपाल में डेरा डाले बैठी है। पुलिस ने बदमाशों के कब्जे से चोरी के 20 मोबाइल बरामद कर लिये हैं। डीआईजी और एसएसपी ने पुलिस और एसओजी टीम को इनाम देने की घोषणा की है। गदरपुर निवासी केशव ढींगरा पुत्र प्रीत सिंह ढींगरा जिनकी अग्रसेन चैक रूद्रपुर में ढींगरा मोबाइल टावर नाम से मोबाइल की दुकान है जहां गत 24 अक्टूबर को अज्ञात चोरों ने दुकान में घुसकर विभिन्न कम्पनियों के मोबाइल फोन और नकदी उड़ा ली थी जिसके खुलासे को लेकर एसएसपी ने टीम गठित की थी। पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसी टीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली और वहां तैनात चैक्ीदारों, रोडवेज बस स्टैंड के आसपास के दुकानदारों से पूछताछ की जिसको संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस, दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और बिहार पुलिस से सम्पर्क किया तो पता चला कि यह चोरी की वारदात घोड़ासहन जिला मोतीहारी बिहार के चादर गैंग द्वारा की गयी है। जिस पर पुलिस और एसओजी की टीम ने चादर गैंग के तीन सदस्यों को सेक्टर 10 मार्केट एचडीएपफसी बैंक के सामने नगर पालिका मैदान गुड़गांव हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में बदमाशों ने अपना नाम पता वार्ड 1 वीरता चैक घोड़ासहन मोतीहाारी बिहार निवासी मुन्ना देवान पुत्र जैनुल देवान, लालबाबू गोसाईं पुत्र गुलाब गोसाई और वार्ड 2 वीरता चैक घोड़ासहन मोतीहारी बिहार निवासी मो. टिमना पुत्र इसलाम उर्फ यूनुस बताया। पुलिस पूछताछ में पता चला कि घटना से पूर्व गिरोह का गैंग लीडर समीर उर्फ चेलुआ, रियाज, संतोष के साथ हल्द्वानी में अपनी तारिख के सिलसिले में आया था। वापसी पर रूद्रपुर में बाजार की दुकानों की रेकी करने के बाद अग्रसेन चैक पर ढींगरा मोबाइल टावर की दुकान चयनित की गयी जिसके बाद तीनों लोग अपने सहायक सदस्यों के पास गुड़गांव सेक्टर 10 में चले गये। 23अक्टूबर को वह प्लान बनाकर आनंद विहार बस अड्डे से डीडी चैक रूद्रपुर पहुंचे। समीर उर्फ चेलुआ प्लान के मुताबिक सभी लोगों को प्रातः 4.45बजे ढींगरा मोबाइल टावर दुकान के पास लेकर पहुंचा जहां लालबाबू ने चैकीदार को अपनी बातों में उलझाया। अजय और मुन्ना ने चादर से शटर के सामने पर्दा किया, समीर, सलमान और नसरूद्दीन ने शटर उठाकर संतोष और रियाज को दुकान में घुसा दिया।टिमना सड़क की निगरानी करने लगा। लगभग 20मिनट बाद पूर्व की भांति शटर उठाकर और सामने चादर लगाकर संतोष और रियाज को बाहर निकाला और सभी मोबाइल को चार पिट्ठू बैग में भरकर रोडवेज बस स्टैंड डीडी चैक पहुंचे और बस में बैठकर मुरादाबादद पहुंचे तथा मुरादाबाद से दूसरी बस पकड़कर दिल्ली पहुंच गये। चोरी के मोबाइल को गैंग लीडर समीर और रियाज अपने साथ मोतीहारी बिहार ले गया जबकि कुछ मोबाइल अन्य सदस्यों के पास गुड़गांव में ही रह गये। यह गैंग लीडर प्रति सदस्य को घटना के हिसाब से 50हजार रूपए देता था। पकड़े गये तीनों शातिर तीन घटनाओं को अंजाम दे चुके थे। घटना के खुलासे पर डीआईजी ने पुलिस और एसओजी टीम को 5हजार और एसएसपी ने ढाई हजार रूपए इनाम देने की घोषणा की है।
चादर गैंग गिरोह के सभी सदस्य बिहार के
चादर गैंग में 19 वर्ष से लेकर 40वर्ष तक के सदस्य हैं जिनकी संख्या लगभग 9 है और सभी गिरोह के सदस्य बिहार के रहने वाले हैं। गिरोह का लीडर 30वर्षीय समीर उर्फ चेलुआ पुत्र मुस्तफा देवान वार्ड 2 घोड़ासहन थाना घोड़ासहन जिला मोतीहारी बिहार का है। वहीं उसका सगा भाई सलमान उर्फ बेलुआ 35वर्ष का है। इसके अलावा वार्ड 5 घोड़ासहन थाना घोड़ासहन जिला मोतीहारी बिहार निवासी 32वर्षीय रियाज उर्फ रियाजुददीन पुत्र कयामुद्दीन, 28वर्षीय नसरूद्दीन पुत्र बेचनदर्जी उर्फ थारू, वार्ड 2 घोड़ासहन थाना घोड़ासहन मोतीहारी बिहार निवासी 28वर्षीय अजय सुनार पुत्र रघुवर सुनार, वीरता चैक घोड़ासहन मोतीहारी बिहार रनिवासी 26वर्षीय संतोष उर्फ संतोष जायसवाल पुत्र गौरी जायसवाल, 32वर्षीय मुन्ना देवान पुत्र जैनुल देवान, 19वर्षीरू मो. टिमना पुत्र इसलाम उर्फ यूनुस और 40वर्षीय लालबाबू गोसाईं पुत्र गुलाब गोसाई गिरोह में शामिल है।
घटना का खुलासा करने वाली एसओजी और पुलिस टीम
मोबाइल चोरी गिरोह का खुलासा करने वाली टीम में एसओजी और कोतवाली पुलिस के अधिकारी शामिल रहे जिनमें एसएचओ कैलाश भट्ट, बाजार चैकी प्रभारी होशियार सिंह, एसआई सतेंद्र भुटोला, विपिन चंद जोशी, सुधाकर जोशी, ललित मोहन रावल, कुलदीप सिंह, भूपेंद्र सिंह सहित एसओजी के प्रभारी योगेश कुमार, एचसीटी प्रकाश भगत, भूपेंद्र आर्य, मो. नासिर, संतोष व कुलदीप शामिल थे।
मात्र 20-25 मिनट में देते थे वारदात को अंजाम
रूद्रपुर। चादर गैंग मूलरूप से घोड़ासहन जिला चम्पारन बिहार का है। अधिकतर सदस्य यहीं के निवासी हैं और एक गिरोह में सात से दस सदस्य शामिल रहते हैं। गिरोह जब भी वारदात के लिए निकलता है तो दो गुटों में बंट जाता है और घटना से पूर्व अपने मोबाइल फोन घर पर छोड़ देते हैं। गिरोह का मुखिया महंगे मोबाइल फोन, महंगी घड़ियां, ज्वैलरी शोरूम आदि दुकानों की रेकी करते हैं और उस दुकान से छोटी सी खरीददारी करते हैं और दुकान के माहौल की जानकारी ले लेते हैं। ये गिरोह जिन दुकानों के शटर बड़े होते हैं और उनके सेंटर लॉक नहीं होते उसी को निशाना बनाते हैं और शटर तोड़ने के लिएलोहे की रॉड और हाइड्रोलिक जैक का प्रयोग करते हैं। गैंग के दो लोग सड़क पर निगाह रखते हैं और दो लोग चैकीदार व गार्ड को अपनी बातों में उलझा लेते हैं। अन्य तीन चार सदस्य शटर को खींचते हैं तथा दो सदस्य चादर को झाड़ते हुए पर्दा कर देते हैं और जो सदस्य दुबले पतले होते हैं वह दुकान में चले जाते हैं। प्रातः 4.30 से 6बजे तक के समय में ही वारदात को अंजाम देते हैं और सिर्फ 20-25मिनट में ही वारदात को अंजाम देकर फश्रार हो जाते हैं। गिरोह इतना शातिर है कि आत्म विश्वास के साथ पुलिस स्टेशनों और पुलिस चैकियों के आसपास घूमकर सुबह तक गश्त खत्म होने की जानकारी भी लेते रहते हैं। दुकान से चोरी के बाद मोबाइल के डिब्बे और चार्जर वहीं फेंक देते है। और मोबाइल हैंड बैग और पिट्ठू में लेकर फरार हो जाते हैं और अलग अलग जगहों से होकर नियत जगह पर पहुंचते हैं तथा सामान्यता अपने फोन नेपाल में ही बेच देते हैं।
गैंग का आपराधिक इतिहास
रूद्रपुर,(उद संवाददाता)। चादर गैंग का आपराधिक इतिहास देश के विभिन्न राज्यों में भी है जहां इन शातिर बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया। पुलिस के मुताबिक उक्त् शातिर गैंग का हरिद्वार, हल्द्वानी, मथुरा उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद, आगरा, अलवर राजस्थान, भरतपुर राजस्थान, दिल्ली, बनारस, जमशेदपुर झारखंड, बड़ौदरा गुजरात व कटनी मध्य प्रदेश में भी आपराधिक इतिहास है। पुलिस अन्य आपराधिक इतिहास तलाश कर रही है।
गिरोह अपनी भाषा में करते थे विशेष कोड वर्ड का प्रयोग
रूद्रपुर,(उद संवाददाता)। चादर गैंग इतना शातिर है कि वह विशेष कोड वर्ड में अपनी भाषा का इस्तेमाल करते थे। गैंग का लीडर समीर उर्फ चेलुआ और सहायक लीडर उसका सगा भाई सलमान उर्फ बेलुआ है। ये लोग गिरोह के सदस्यों को एक सप्ताह की ट्रेनिंग देते थे और भाषा में विशेष कोर्ड वर्ड का इस्तेमाल करते हुए पुलिस को मास्टर जी, पुलिस के वाहन को चक्का, मोबाइल की दुकान में घुसने वाले ट्रेनिंग सदस्य को प्लेयर कहते थे और जिस दुकान को निशाना बनाते थे उसे मेला कोड दिया जाता था। यह गिरोह मोबाइल को घंटी, लैपटॉप को किताब, घड़ी को बीट ओर चोरी का माल ले जाने वाले को गधा कहते थे।