अतिक्रमण के नाम पर उजाड़े गए प्रभावितों से मिले पूर्व सीएम रावत
सितारगंज। प्रशासनिक अफसरों ने व्यापारियों के साथ दुश्मन देश की तरह व्यवहार किया है। जेसीबी मशीनों से उनकी दुकान, मकान तोड़ दिए। उन्हें घरों, दुकानों से सामान तक निकालने का समय नही दिया। इस वजह से व्यापारियों को काफी क्षति हुई है। इस कार्रवाई पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने नाराजगी जताते हुए चीफ सेकेटरी से शिकायत की है। मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रशासन की तरफ से बाजार में मचाए गए तांडव का नजारा देखा। उन्होंने नकुलिया चैराहे से लेकर रमपुरा कब्रिस्तान तक उजाड़े गए व्यापारियों से वार्ता की। इसके बाद व्यापारियों का दर्द झलक उठा। उन्होंने प्रशासनिक अफसरों पर दमनकारी नीति का आरोप लगाया। प्रभावितों ने कहा कि जानबूझकर उन्हें प्रशासन ने उजाड़ा है। अदालत के आदेश का अफसरों ने गलत तरीके से इस्तेमाल किया है। उनकी दुकान, मकान तोड़ दिए गए। इस वजह से वह बेघर हो गए है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने अतिक्रमण की कार्रवाई को फुटबाल का मैदान बताते हुए अंधेर नगरी चैपट राजा बताया। उन्होंने कहा कि शहर के रोड सामान्य आवागमन के लिए व्यवस्थित थे। बड़े वाहनों के आवागमन के लिए नेशनल हाइवे शहर के बाइपास से गुजरते है। कहा कि अतिक्रमण हटाना था तो व्यापारियों के साथ सहमति करनी जरूरी थी। खुन्नस में व्यापारियों को उजाड़ा गया है। इसके खिलाफ अब अदालत में लड़ाई चल रही है। इस दौरान उन्होंने मुख्य सचिव उत्पल कुमार से वार्ता की। साथ ही स्थानीय प्रशासन पर तानाशाही कार्रवाई का आरोप लगाते हुए रोष जताया। पूर्व विधायक नारायण पाल ने पूर्व सीएम को बताया कि प्रशासन की कार्रवाई के बाद कुछ परिवार भुखमरी की कगार पर आ गए है। राज्य सरकार की तरफ से ऐसे परिवारों को कोई सहायता नही दी जा रही है। इस मौके पर पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रयाग दत्त भटट, बलवंत बोरा, शमशुल हक मलिक, आजम मलिक, युसूफ मलिक, विपिन खोलिया, सुरेंद्र सिंह, अखतियार पटौदी, रवि रस्तोगी, करन जंग, कमल, हसनैन मलिक, राकेश गोगना, रामनगीना प्रसाद, दयानंद सिंह, जगदीश, बाबू मियां, रंजीत सिंह, बब्बू खां, फहीम पटौदी, बबलू सकलानी, जावेद मलिक, मोईन मलिक आदि मौजूद थे।