रोडवेज कार्यशाला में खड़ी तीन बसों में भड़की आग
काशीपुर(उद सवांददाता)। रोडवेज डिपो के कार्यशाला में मेंटेनेंस के लिए खड़ी तीन बसें आधी रात के बाद आग की भेंट चढ़ गई। अग्निकांड की इस घटना में भीषण हादसा होते-होते टल गया। परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों को मामले की भनक लगने पर उन्होंने मौका मुआयना कर जांच शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार स्थानीय रोडवेज डिपो के कार्यशाला में मेंटेनेंस के लिए 3 बसें शेड के नीचे खड़ी थी। बताया गया कि बस संख्या यू के 07 पी ए 1355 रूट से चलकर गत रात्रि आई जबकि बस संख्या यू के 07 पी ए1995 रविवार को एवं बस संख्या यू के 07 पी ए1996 को बीते 7 अगस्त को इंजन चढ़ाने के लिए खड़ा किया गया। कार्यशाला के मुख्य द्वार पर तैनात चैकीदार शरीफ खान ने बताया कि देर रात्रि हरिद्वार से बस संख्या 1977 ने आिखरी बार कार्यशाला में प्रवेश किया। इसके बाद वर्कशॉप का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया। रात्रि 1ः00 बजे तक सब कुछ सामान्य था। चैकीदार के मुताबिक कार्यशाला में टीन शेड के नीचे मेंटेनेंस के लिए खड़ी बसों में रात्रि 1 बजे से तड़के 4 बजे के बीच आग लगी। कतार बद्ध तरीके से खड़ी बसों के बीच गैपिंग होने के कारण अग्निकांड की घटना अपने आप में बेहद रहस्य में प्रतीत होती है। रोड वेज कर्मियों का कहना है कि अग्निकांड की घटना इत्तेफाक नहीं है। फोर मैन लखपत सिंह चैहान ने आशंका जताया कि आग लगी नहीं बल्कि लगाई गई हो सकती है लेकिन यहां सवाल यह खड़ा होता है कि कार्यशाला में जब आधी रात को चैकीदार के अलावा कोई नहीं था तो आिखर आग किसने लगाई यह सवाल अपने आप में परिवहन अधिकारियों के लिए यक्ष प्रश्न बना है। हालांकि सुबह काठगोदाम से आए रोडवेज के असिस्टेंट जनरल मैनेजर टेक्निकल इंद्रासन ने कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा चैकीदार से गहन पूछताछ की लेकिन वह भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। उधर अग्निकांड की सूचना मिलने के बाद काठगोदाम से मंडलीय प्रबंधक तकनीक मुकुल पंत ने भी अग्निकांड के घटना की फौरी तौर पर जानकारी ली। बता दें लगभग पखवाड़े भर पूर्व गजरौला में भीषण दुर्घटना की चपेट में आकर परिवहन की एक रिकवरी वैन भी जलकर स्वाहा हो गई। रोडवेज के चालक विक्रम सिंह राणा ने बताया कि इस रिकवरी वैन को रुद्रपुर के स्टाफ यहां से मांग कर ले गए थे। यानी पखवाड़े के भीतर यदि नुकसान का आंकलन किया जाए तो आंकड़ा लगभग 50 लाख के पार बताया जा रहा है। अग्निकांड की घटना के बारे में जब फोरमैन से जानकारी लेने का प्रयास किया तो उसने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वह 2 दिन से रुद्रपुर है। फिलहाल खबर लिखे जाने तक अग्निकांड के सही कारणों का पता नहीं चल सका है।
बड़ा हादसा टला
काशीपुर। रोडवेज बस में लगी आग की लपटें यदि बस के टायरों तक पहुंचती तो एक के बाद एक आधी रात कई धमाके होते। कार्यशाला में जहां आग लगी वही समीप रिजेक्टेड टायरों का ढेर भी पढ़ा था। इसके अलावा वहीं पास में डीजल से भरे ड्रम ही रखे हुए थे। इस तरह आग की लपटें यदि ज्वलनशील पदार्थ तक पहुंची होती तो अंदाजा स्वतः लगाया जा सकता है कि अग्निकांड की यह घटना कितनी भीषण हो सकती थी। लेकिन गनीमत रही कि टायर व इंजन हीट तो हुए लेकिन फट नहीं सके वरना रोडवेज कार्यशाला से सटा रेलवे स्टेशन तथा आवास विकास का पॉश इलाका धमाकों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। अग्निकांड की इस घटना में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम ना होने के कारण लापरवाही सामने नजर आ रही है। कार्यशाला में कोई सीसीटीवी कैमरे आदि नहीं लगाए गए हैं। और ना ही सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम पाए गए।