प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में मांगा दस दिन का समय
रुद्रपुर(उदसंवाददाता)। उत्तराखंड में किसानों की आत्महत्या के मामले में दािखल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की अदालत ने सुनवाई के दौरान सरकार ने किसान आयोग का गठन करने तथा सभी निर्देशों का पालन करने के लिए 10 दिन का समय मांगा है। 26 अप्रैल 2018 को वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की संयुक्त पीठ द्वारा प्रदेश में किसान आत्म हत्या पर ऐतिहासिक निर्णय देते हुए 3 माह के भीतर किसान आयोग का गठन करने, सभी 124 फसलों का 3 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को मुआवजा देने, किसान ऐप बनाने का फैसला सुनाया था जिसमें सरकार द्वारा 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की गयी। जिस पर निर्धारित समय से अधिक समय बीत जाने पर याचिकाकर्ता की ओर से दािखल याचिका पर उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव एवं कृषि सचिव पर अवमानना का नोटिस जारी किया था। परंतु सरकार द्वारा अवमानना नोटिस के बावजूद अभी तक माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जिस पर याचिकाकर्ता किसान नेता डॉ गणेश उपाध्याय ने माननीय उच्च न्यायालय में सरकार पर हीलाहवाली का आरोप लगाते हुए जल्द से जल्द किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए न्यायालय की शरण ली थी। आज न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की अदालत में सरकार ने उक्त सभी निर्देशों का पालन करने के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय मांगा है। याचिकाकर्ता डॉ गणेश उपाध्याय ने कहा कि जब सरकार ने डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का किसी भी प्रकार से पालन नहीं किया तो वह 10 दिन में किस प्रकार उक्त निर्देशों का क्रियान्वयन प्रदेश में करेंगे।