तथाकथित अस्पताल कर रहे रोगियों का जमकर शोषण
काशीपुर। मुरादाबाद रोड पर ढेला पुल के समीप कुकुरमुत्ते की तरह खुलते जा रहे तथाकथित अस्पताल उपचार के नाम पर रोगियों का जमकर शोषण कर रहे है। अस्पतालों में कमीशन खोरी का पुरजोर बोलबाला है। सूत्र बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रें में बैठे झोलाछाप डॉक्टर इन अस्पतालों से सीधे तौर पर जुड़े हैं। रोगियों को उपरोत्तफ अस्पतालों में भेजने के नाम पर उन्हें 20» या इससे अधिक का कमीशन दिया जाता है। निजी अस्पतालों में रोगियों की भीड़ बढ़ाने के लिए दलाल भी सक्रिय किए गए हैं। अक्सर यह दलाल राजकीय चिकित्सालय में चहल कदमी करते देखे जा सकते हैं। उधर आशा कार्यकत्रियां भी तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल आई महिलाओं को निजी अस्पतालों तक ले जाने का काम कर रही है। स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार अधिकारियों को यह अंधेर गर्दी दिखाई नहीं देती। राजकीय चिकित्सालय का मुख्य द्वार एंबुलेंस की मंडी में तब्दील है। मेन गेट के पास दर्जनों निजी अस्पतालों की एंबुलेंस कतार बद्ध तरीके से कभी भी खड़ी देखी जा सकती है। जानकारों का कहना है कि एंबुलेंस के संचालकों को भी रोगियों को निजी अस्पतालों तक ले जाने के नाम पर मोटा कमीशन दिया जाता है यही कारण है कि वह सरकारी अस्पताल के इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं। इसी तरह कई पैथोलॉजी लैब के संचालक सरकारी अस्पताल के चक्कर काटते देखे जा रहे हैं। राजकीय चिकित्सालय में बैठे डॉक्टर रोगियों के उपचार के नाम पर उन्हें कई तरह की जांच तथा बाहर की दवाइयां लिखते हैं। जिसके एवज में उन्हें कमीशन के रूप में रकम माहवार मिलती है। इमरजेंसी डड्ढूटी में मौजूद डॉक्टर रोगियों को रेफर कर जेब गर्म कर रहे हैं तो वहीं राजकीय चिकित्सालय में नोटों के दम पर मेडिकल बनवाना आम बात है। यहां काबिले गौर यह भी है कि राजकीय चिकित्सालय में बैठे डॉक्टर ने रोगियों को गुमराह करने के लिए बाहरी लड़कों को रख रखा है। इस तरह केंद्र तथा राज्य सरकार जहां एक और रोगियों के सहज उपचार के लिए आए दिन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल तक लाने की जुगत में है वहीं दूसरी ओर धरती के तथाकथित भगवान इंसानी जिंदगीयों से खिलवाड़ कर खुद की जेब गर्म कर रहे हैं।