मोदी से प्यार रूद्रपुरवासियों को पड़ रहा भारी
भाजपा विधायक के पास विकास के नाम पर नही कोई उपलब्धि,सिर्फ कागजों में ही बन रही विकास की योजनायें
उत्तरांचल दर्पण ब्यूरो
रूद्रपुर। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। जनता द्वारा चुनी गई सरकार का कर्तव्य होता है कि वह जनता के हित और उसके कल्याण के लिये कार्य करे। जिसमें विपक्ष महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यदि सरकार जनता के कल्याण के लिये कार्य न करे तो इसके लिये विपक्ष महत्वपूर्ण हथियार होता है जो समय-समय पर सरकार के खिलाफ जनता की आवाज को बुलन्द कर उसे चेताता रहता है और उसके कर्तव्यों को याद दिलाता है। यदि विपक्ष ही कमजोर हो तो जनता को इसका खमियाजा भुगतना ही पड़ता है। ऐसा ही उदाहरण रूद्रपुर विधानसभा में देखने को मिल रहा है। विधानसभा चुनाव हो या नगर निगम के चुनाव और उसके बाद हाल ही में हुये लोकसभा चुनाव सभी में जनता ने राष्ट्रहित के आगे सभी को नकारते हुये भाजपा को ऐतिहासिक विजय दिलाई और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपनी आस्था जताई। विधानसभा चुनाव 2017 में तो जनता ने प्रदेश से कांग्रेस को हशिये पर ही लाकर खड़ा कर दिया था। लोकसभा चुनाव में भी जनता ने कांग्रेस को दरकिनार करते हुये राज्य की पांचों लोकसभा सीटे भाजपा की झोली में डाली। जिसमें नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में शामिल रूद्रपुर विधान सभा की जनता ने तो भाजपा को ऐतिहासिक वोट देते हुये यहां से भाजपा के प्रत्याशी अजय भट्ट को तो पूरे उत्तर भारत में सर्वाधित मतों से विजयी बनाया। महानगर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले नगर निगम में भाजपा का मेयर है। इसके साथ ही प्रदेश ओर केन्द्र में भी भाजपा की सरकारें हैं। लेकिन ट्रिपल इंजन की ये सरकार रूद्रपुरवासियों को समस्या से उबारने में लाचार नजर आ रही है। औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान बना चुके रूद्रपुर के विकास की जमीनी हकीकत यहां की खस्ताहाल सड़कों को देखकर लगाई जा सकती है। सड़कें किसी भी शहर के विकास का आईना होती हैं। लेकिन रूद्रपुर क्षेत्र विकास के नाम पर गड्ढों में ही हिचकोले खा रहा है। जिला मुख्यालय की अधिकांश सड़कों का बुरा हाल है। गल्ला मण्डी रोड,गाबा चैक,रूद्रा होटल से सिंह कालोनी, आवास विकास क्षेत्र की कई सड़के,सिविल लाईन्स सहित तमाम कालोनियों में सड़कों का बुरा हाल है। इन सबसे बुरा हाल ट्रांजिट कैम्प मुख्य मार्ग का है। इस सड़क पर रोजाना एक लाख से अधिक लोगों की आवाजाही रहती है। यह सड़क सिडकुल को जोड़ने के साथ साथ ट्रांजिट कैम्प क्षेत्र की पचास से अधिक बस्तियों को भी जोड़ती है। पूरे शहर में वोटरों की बात करें तो भाजपा को सबसे अधिक वोट भी इसी क्षेत्र से मिलता है क्योंकि यह क्षेत्र बंगाली बाहुल्य है और बंगाली वोटों का पिछले कई चुनावों में रूझान भाजपा की ओर रही रहा है। हर चुनाव में भाजपा के नेता इस सड़क को चमकाने की बात करते हैं लेकिन हर बार क्षेत्र की जनता खुद को ठगा महसूस करती हैं । इस सड़क के निर्माण की घोषणा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत भी कर चुके हैं लेकिन उसके बावजूद दो किमी सड़क में से मात्र 900 मीटर सड़क के लिए शासन से स्वीकृति मिली है। क्षेत्रीय विधायक इस सड़क स्वीकृत कराने का ढोल पीटकर इन दिनों सड़क के गड्ढे भरवा रहे हैं लेकिन बरसात के दिनों में गड्ढे भरान का काम कितना कारगर होगा यह कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा 900 मीटर सड़क के बजट में दो किमी की सड़क का निर्माण कैसे संभव होगा यह सोचनीय विषय है। ट्रांजिट कैम्प की सड़क जैसा ही हाल काशीपुर बाईपास मार्ग का है। गावा चैक से इंडेन गैस एजेंसी तक इस सड़क की हालत इतनी खराब है कि इसमें कब बड़ा हादसा हो जाये कुछ नहीं कहा जा सकता। इस सड़क पर चलना जान जोखिम में डालने के समान है। यही नहीं गल्ला मण्डी रोड की भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। इसके अलावा सुविधा होटल से गल्ला मण्डी जाने वाली रोड के अलावा, फुलसुंगा में जेसीज स्कूल से तीन पानी डाम वाली रोड, किच्छा रोड,तीन पानी से करतारपुर जाने वाली रोड भी खस्ताहालत में है। जरा सी बरसात में भी ये सड़कें तलैया बन जाती हैं। इन सड़कों को बनाने के वायदे एक बार नहीं बल्कि कई बार हो चुके हैं लेकिन यह सड़कें कब बनेंगी कुछ नहीं पता। यही नही पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में रूद्रपुर में शुरू हुआ मेडिकल कालेज का निर्माण कई वर्षों से अधर में लटका हुआ है, डबल इंजन की सरकार भी इस अधूरे काम को पूरा नहीं करा पा रही है। ऐसे में विकास की बाट जो रही रूद्रपुर की जनता डबल इंजन की सरकार में खुद को ठगा हुआ ही मसूसस कर रही है। आलम यही रहा तो अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।