फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के सहारे हासिल किया सरकारी टेंडर!
जांच में गलत अनुभव प्रमाण पत्र लगाये जाने की हुई पुष्टि,एडीएम ने जांच अधिकारी बदलने का किया अनुरोध
रूद्रपुर (उद संवाददाता)। नगर निगम के टेंडरों में सैटिंग गैटिंग का खेल थम नहीं रहा है। चहेतों को टेंडर देने के लिए नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। ऐसे ही एक मामले की परतें जांच में धीरे-धीरे खुलती जा रही है। पता चला है कि निगम का टेंडर हासिल करने के लिए एक फर्म ने जो अनुभव प्रमाण पत्र लगाया था वह फर्जी था। गलत प्रमाण पत्र के सहारे ही इस फर्म ने नगर निनगम से लाखों का टेंडर हासिल कर लिया। टेंडर में हुई अनियमितता का यह मामला केन्द्र सरकार की अमृत योजना से जुड़ा हुआ है। उत्तरांचल दर्पण ने पूर्व में भी इस टेंडर में हुई अनियमितताओं का खुलासा किया था। दरअसल गत वर्ष केन्द्र सरकार की अमृत योजना के अंतर्गत रूद्रपुर शहर के पार्कों में सौंदर्यीकरण के लिए लगने ेवाले झूलों की टेंडर प्रक्रिया हुई थी जिसमें टेंडर एक फर्म के नाम पर छूटा था। फर्म ने लाखों के झूले लगाने का काम भी शुरू कर दियाा। इसी बीच इस टेंडर प्रक्रिया और लगाये जा रहे झूलों की गुणवत्ता पर पर सवाल उठने लगे। कुछ लोगों ने नगर निगम पर इस टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप भी मढ़ा था। साथ ही इस मामले में किसी व्यक्ति ने समाधान पोर्टल में शिकायत दर्ज कराते हुए टेंडर हासिल करने वाली फर्म पर झूठे अनुभव प्रमाण लगाने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच की मांग उठाई थी। शिकायत कर्ता ने आरोप लगाया था कि फर्म ने झूठा अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी विभागों को गुमराह किया है।जिसके बाद डीएम कार्यालय से राज्य कर विभाग को जांच भेजी गई थी। राज्य कर एसटीएफ के डिप्टी कमिश्नर ने मामले की गहन जांच की जिसमें कई अहम तथ्य सामने आये। जांच में पता चला कि फर्म ने जिस स्कूल में पूर्व में लाखों रूपये के झूले लगाये जाने सम्बंधी अनुभव प्रमाण पत्र दिया था वहां पर उस फर्म ने नहीं बल्कि महाराष्ट्र की किसी फर्म के माध्यम से झूले लगाये गये थे। डिप्टी कमिश्नर की जांच में यह भी सामने आया कि अनुभव प्रमाण पत्र में जिस स्कूल को दस लाख की चिल्ड्रन पार्क की आपूर्ति दर्शाई गई थी उसे फर्म ने करने से खुद ही इंकार कर दिया था। यही नहीं स्कूल ने अपने परिसर में लगे चिल्ड्रन पार्क की आपूर्ति स्थानीय स्तर के बजाय महाराष्ट्र से होने के दस्तावेज भी पेश किये। इसके बाद डिप्टी कमिश्नर ने टेंडर हासिल करने वाली फर्म पर झूठे अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी विभागों को गुमराह करने की जांच सक्षम अधिकारी से कराने की संस्तुति की थी। उल्लेखनीय है कि शासन से इस मामले के लिए डीएम से जांच करने को कहा गया था जिसके बाद डीएम ने सीडीओ और सीडीओ ने एडीएम को जांच के लिए लिखा। जिसके बाद डिप्टी कमिश्नर को जांच सौंपी गयी। जांच में अभी कई तथ्य सामने आने हैं।डिप्टी कमिश्नर द्वारा जांच आख्या एडीएम नजूल को सौंपे जाने के बाद अब एडीएम ने कहा है कि जांच
अधिकारी को जांच में सम्बंधित विभाग का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने सीडीओ से जांच अधिकारी बदलने का अनुरोध किया हैं।