पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनों ने की वटवृक्ष की पूजा
रूद्रपुर,(उद संवाददाता) सुहागिन महिलाओं द्वारा आज वटवृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु की कामना के साथ ही ससुराल एवं पैतृक परिवारों में सुख समृद्धि की भी कामना की गयी। स्थानीय श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में स्थित वटवृक्ष की पूजा करने के लिए प्रातःकाल से ही भारी संख्या में सुहागिन महिलाओं का आना शुरू हो गया था। महिलाओं ने विधिविधान से वटवृक्ष की पूजा कर वटवृक्ष के चारों ओर कलावा लपेटा और पति, सास ससुर, पैतृक व ससुराल पक्ष की खुशहाली के लिए कामना की। कथा के अनुसार सत्यवान लकड़ी बीनने के लिए पत्नी सावित्री के साथ जंगल गये थे जहां सत्यवान के नेत्रहीन माता पिता भी साथ में थे। सत्यवान पत्नी सावित्री को माता पिता की देखरेख के लिए छोड़ गये और स्वयं लकड़ी काटने के लिए पेड़ पर चढ़ गये। इसी दौरान सत्यवान के सिर में अचानक तेजी से पीड़ा हुई। वह पेड़ से उतरे और पत्नी सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गये। इसी दौरान यमराज वहां आ पहुंचे और सावित्री से कहने लगे कि सत्यवान का जीवन काल समाप्त हो गया है उसे ले जाने के लिए आया हूं। यह सुनकर सावित्री ने कहा कि वह सनातन धर्म के अनुसार पति के साथ जायेगी यह कहकर सावित्री यमराज के पीछे पीछे रवाना हो गयी। यमराज ने पति के प्रति सावित्री की भावना देखकर उनसेवरदान मांगने को कहा। सावित्री ने कहा कि उसके नेत्रहीन सास ससुर को नैनों की ज्योति मिले, यमराज ने सावित्री को यह वरदान दिया और आगे बढ़े लेकिन सावित्री उनके पीछे पीछे चलती गयी। यमराज ने सावित्री से यह कहकर और वरदान देने को कहा कि वह वापस लौट जाये। सावित्री ने परिवार में 100 भाई होने का वरदान मांगा। यमराज ने सावित्री को यह वरदान भी दिय लेकिन सावित्री यमराज के पीछे चलती गयी। यमराज ने सावित्री से अन्तिम बार वरदान मांगने को कहा तो सावित्री ने पुत्र रत्न मांगा। यमराज ने तथास्तु कहा। जब वह आगे बढ़ने लगे तो सावित्री ने उनसे कहा कि जब आप मेरे पति सत्यवान को अपने साथ ले जा रहे हैं तो उसे पुत्ररत्न की प्राप्ति कैसे हो सकती है? यह सुनकर स्वयं यमराज सोच में पड़ गये और उन्होंने सत्यवान की आत्मा को मुक्त किया। सावित्री लौटकर पुनः वटवृक्ष के नीचे आ पहुंची और उनकी गोद में लेैटे पति सत्यवान कुछ देर में पुनः जीवित हो उठे। कथा के अनुसार वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवी देवताओं का निवास रहता है। वहीं वटवृक्ष में मुकुंद के भी दर्शन हुए। सुहागिन महिलाएं आज के दिन वटवृक्ष की विधिविधान से पूजा अर्चना कर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर सहित नगर व अन्य निकटवर्ती क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर सुहागिन महिलाओं द्वारा वट वृृक्ष की पूजा अर्चना की गयी। श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी ने अवगत कराया कि मंदिर परिसर में प्रतिदिन दोपहर 12 से 1बजे तक प्रसाद वितरित किया जा रहा हैै।