योग्यता के बलबूते मोदी टीम में शामिल हुए निशंक

प्रदेश में राजनैतिक और प्रशासनिक अनुभव में सबसे अव्वल

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देहरादून(उद संवाददाता)। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार सांसद बने डा. रमेश पोखरियाल निशंक के कैबिनेट मंत्री बनने के पीछे जहां उनका अनुभव और योग्यता मुख्य आधार है तो वही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का उन पर भरोसा भी है। जिसके बलबूते पर आज श्री निशंक कैबिनेट मंत्री बनने में कामयाब हो सके। श्री निशंक राज्य में कैबिनेट मंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री तक की जिम्मेदारी भी संभाल चुके है। श्री निशंक 1990 के आसपास से राजनीति में सक्रिय है और राजनैतिक और प्रशासनिक अनुभव के आगे राज्य में उनके मुकाबले कोई नही है। जिसके चलते मोदी टीम में उनको शामिल किया गया है। श्री निशंक की अभिनव पहल और अनुभव भी प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं से मिलती जुलती है। आखिरकार उत्तराखंड की राजनीति से साढ़े सात साल के लम्बे इंतजार के बाद कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने पर निशंक राष्ट्रीय पलक तक पहुंचे। राज्य गठन के बाद पहली बार किसी उत्तराखंड के भाजपा सांसद को मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही कैबिनेट में स्थान मिला है। इससे पूर्व भाजपा और कांग्रेस की सरकारों में हरीश रावत, बीसी खंडूरी और अजय टम्टा को मंत्रिमण्डल विस्तार में मौका मिल सका। वर्ष 2011 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद डॉ. निशंक का संघर्ष लगातार जारी रहा। आला हाईकमान के आदेशों के अनुरूप कार्य करते हुए निशंक आगे बढ़ते रहे। वर्ष 2014 में हाईकमान के आदेश पर हरिद्वार सीट से उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को उन्होंने हराया। जबकि सारी सरकारी मशीनरी निशंक के खिलाफ थी और उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की। इस लोकसभा चुनाव में पुनः हरिद्वार सीट से दोबारा जीतकर निशंक केंद्र में पहुंचे और हरिद्वार सीट से दोबारा सांसद बनने का रिकार्ड बनाया। उत्तराखंड के चुने गये पांचों सांसदों में निशंक सबसे वरिष्ठ हैं। वह पांच बार के विधायक, एक बार मुख्यमंत्री व तीन बार काबीना मंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं। उनका राजनैतिक और प्रशासनिक तजुर्बा सब पर भारी पड़ा। जिसके चलते उन्हे मोदी की टीम में जगह मिल पायी। श्री निशंक ने मुख्यमंत्री रहते गंगा की सफाई के लिये स्पर्श गंगा अभियान भी चलवाया। उन्होंन अपने कार्यकाल के दौरान हरिद्वार में लगने वाले कुम्भ मेले को एक अलग पहचान दी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए लोगों की मदद के लिये उनके द्वारा ही 108 की सेवा चलाई गई। राज्य में आयुष के क्षेत्र में उन्होंने काफी प्रयोग किये। निशंक की चलाई गई कई योजनाये केन्द्र सरकार की योजनाओं से मिलती हुई है। प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल और हिमालय से निकलने के बाद गंगा का मैदान में प्रवेश द्वार होने के चलते हरिद्वार शहर भाजपा की राजनीति के लिए अहम है। उन्हें केंद्र में स्थान देकर पार्टी प्रभावशाली संत समाज से भी सीधे संवाद स्थापित कर सकती है। डॉ. निशंक के चयन के पीछे एक खास वजह यह भी है। उनका संत समाज से बेहतर तालमेल सरकार के लिए खासा अहम हो जाता है। लम्बे राजनैतिक जीवन के अलावा डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बनायी है। राजनीति के अलावा वह साहित्य के लिए भी काफी समय देते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तो डॉ. निशंक को विशेष तौर पर कविराज कहकर ही बुलाते हैं। उनकी कई कविताओं और कहानियों का संग्रह आ चुका है और देश की विभिन्न भाषाओं के अलावा विदेशी भाषाओं में भी उनकी कविताओं और कहानियों का अनुवाद किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद डॉ. निशंक को मंत्रिमण्डल में शामिल कर संकेत दे दिये कि उनके राज में परम्परागत धर्म, जाति और क्षेत्र समीकरणों के लिए कोई स्थान नहीं है। अब कुमायूं और गढ़वाल के नाम पर सियासी रोटियां नहीं सेंकी जायेंगी क्योंकि उत्तराखंड की सियासत अब तक जाति और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के आसपास ही घूमती रही है। क्योंकि कांग्रेस और भाजपा के शासनकाल में कुमायूं और गढ़वाल को लेकर तालमेल बैठाया जाता रहा है। यदि मुख्यमंत्री गढ़वाल का तो प्रदेश अध्यक्ष कुमायूं का होना चाहिए लेकिन इस बार निशंक को केंद्र में स्थान देकर पीएम मोदी ने इन सभी आशंकाओं को विश्राम दे दिया है क्योंकि निशंक भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गृह जनपद से आते हैं। ऐसे में उत्तराखंड को केंद्र में स्थान मिलने और राज्य के सबसे वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रमेश पोखरियाल को काबीना मंत्री का दर्जा देने के बाद यह आशाएं परवान चढ़ने लगी हैं कि अब उत्तराखंड भी राष्ट्रीय पलक पर अपनी पहचान बनायेगा क्योंकि डॉ. निशंक बेहतर रणनीतिकार के साथ साथ कुशल प्रशासक भी रह चुके हैं।

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