प्रवासियों की वापसी से पहाड़ों पर बढ़ा संक्रमण का खतरा

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प्रवासियों की वापसी से पहाड़ों पर बढ़ा संक्रमण का खतरा
देहरादून(उद संवाददाता)। बड़ी संख्या में प्रवासियों के पहाड़ों पर आने से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले ही आशंका जता चुके हैं कि प्रवासियों के आने के बाद पहाड़ पर कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है। प्रदेश में वर्तमान में कोरोना संक्रमितों की संख्या 69 है। इनमें से 46 मरीज ठीक हो चुके हैं। लेकिन वर्तमान में सबसे चिंता की बात यह है कि बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से प्रवासी उत्तराखंडियों की घर वापसी हो रही है। इनमें अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग हैं। अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण नहीं पहुंचा था। अब बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से लोगों के घर लौटने के चलते संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत बीते दिनों खुद भी यह बात कह चुके हैं कि संक्रमित मरीजों की संख्या 25 हजार तक पहुंच सकती है। ऐसे में प्रदेश में अभी हालात संतोषजनक नहीं कहे जा सकते। प्रदेश में में कोविड-19 का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। अब करीब दो महीने होने को हैं। एक बड़ी चिन्ताजनक स्थिति यह रही कि राज्य के पर्वतीय जिलों में सैम्पलिंग बहुत कम हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता और कोविड-19 के बचाव में काम करने वाले अनूप नौटियाल ने इस बारे में अपनी चिंता जाहिर की है। अनूप के मुताबिक वे पिछले कुछ दिनों से विभिन्न मंचों से राज्य सरकार, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से अपील कर रहे हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाए। ज्यादा टेस्ट होने से मरीजों का आंकड़ा बेशक बढ़े, लेकिन ऐसा करना बड़ी आबादी को प्रभावित होने से बचाने के लिए बेहद जरूरी है। कम टेस्ट होने से खतरा यह है कि पहचान न हो पाने के कारण कोई संक्रमित व्यक्ति अनजाने में बीमारी फैला सकता है। वर्तमान में उत्तराकाशी में 256 (रोजाना औसतन चार-चार सैंपल), अल्मोड़ा में 126 और पौड़ी में 108 (रोजाना औसतन दो-दो सैंपल), चंपावत में 80, रुद्रप्रयाग में 41 और टिहरी में 41, बागेश्वर में 35, चमोली में 34 और पिथौरागढ़ में 28 (औसतन रोजाना एक-एक सैंपल)। लिये जा रहे हैं। इनमें से भी अभी तक 676 सैंपल्स की ही जांच हो सकी है।

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