पूर्व सीएम हरदा का सियासी कटाक्षः उत्तराखंड के उज्याडू राजनैतिक जानवरों को भगाया जाये!

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केवल कुछ लेबोरेटीज आदि पर एफआईआर करके नहीं ढका जा सकता है, जो दोषी हैं वो सामने आने चाइये
देहरादून। उत्तराखंड  पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने शोसल मीडिया पर एक बार फिर पहाड़ के बंदरो के आतंक को याद करते हुए सियासी विरोधियों पर आक्रामक रूप से कटाक्ष किया है। हरदा ने फेसबुक पर लिखा कि जंगली-सूअर और बानर , खेत-खलिहानों को उजाड़ कर जैसे हमारी मेहनत पर पानी फेरते हैं, वैसे ही कुछ लोग अपने कामों से उत्तराखंड के मेहनती युवाओं, महिलाओं व बुजुर्गों के सपनों को उज्याड़ रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तराखंडियत को बचाने के लिये जरूरी है कि इन उज्याडू राजनैतिक जानवरों को भगाया जाये। राजतीतिक उज्याड़ू जानवरो को भगाने के पीछे छिपे संदर्भ को लेकर कयासो का दौर भी शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि आगामी 2022 के विस चुनाव में पहाड़ की सियासी जमीन पर आम आदमी पार्टी की सक्रियता से राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ गई है। वहीं कोरोना काल में भाजपा और कांग्रेस समेत आप पार्टी के कार्यकर्ता लगातार जनता के बीच पहुंचकर वोटबैक को मजबूत करने में जुटे हुए है। इतना ही नहीं जरूरतमंदों के लिये मददगार बनने के साथ ही सभी दल अपने नेताओं को इसका राजनीतिक लाभ भी मिलने की उम्मीद लगाये हुए है। वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश कांग्रेस की वरिष्ठतम कांग्रेस नेता डा. इंदिरा हृदयेश के निधन से कांग्रेस को बड़ी क्षति पहुंची है। बताया जा रहा है कि पार्टी में अब नये विधायक दल का नेता चुनने की कवायद शुरू हो गई है। कांग्रेस के कुल दस विधायको में रानीखेत से विधायक एवं उपनेता प्रतिपक्ष करन महरा और लंढौरा के विधायक काजी निजामुद्दीन समेत अन्य विधायकों के नाम भी सुर्खियों में छाये हुए हैं। बहरहाल आगामी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की नई रणनीति को लेकर भी सियासी पंडितो की निगाहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के फैसले पर टिकी हुई है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने हरिद्वार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की फर्जी टेस्ंिटग के मामले में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया के जरिये अब केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार को घेराबंदी शुरू कर दी है। फेसबुक पेज पर शनिवार को एक पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि कुंभ के दौरान घोटाला न हो तो भाजपा की पहचान कैसे बनेगी? कांग्रेस के समय में दो अर्धकुंभ हुये, दोनों में शानदार व्यवस्था रही व विकास के काम आगे बढ़े और भाजपा के शासन में कुंभ का आयोजन हुआ तो जांच पर जांचें बैठी। भ्रष्टाचार से लिप्त नेताओं की कारगुजारियां आज भी सरकारी फाइलों में बन्द पड़ी हैं और अब एक बहुत ही कंलकपूर्ण वाक्या हो गया कि हमने लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर दिया। नकली टेस्टिंग, एक बड़ा फर्जीवाड़ा, दुनिया हमसे क्या कहेगी! और दोनों पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री, किसके कार्यकाल में ये घोटाला हुआ, उसको लेकर के सार्वजनिक व्यकतव्य दे रहे हैं और भाजपा का नेतृत्व चुप्पी साध करके बैठा हुआ है, जो भाजपा कहती थी कि कांग्रेस में झगड़ा है। अरे हम तो लोकतांत्रिक पार्टी हैं, हममें मतभेद स्वभाविक हैं। आप तो एक नेता, एक पार्टी, एक विचारधारा व एक सोच वाले हो, आपमें ये मतभेद क्यों हो रहे हैं? भाजपा की एकता की हîिóयां भी फूट गई। लेकिन भाजपा की एकता की हîिóयाँ फूटे या न फूटे, मगर मेरे राज्य की प्रतिष्ठा पर जरुर बड़ी गहरी चोट लगी है, ऐसे लोगों को केवल कुछ लेबोरेटीज आदि पर अफायर करके नहीं ढका जा सकता है, जो दोषी हैं वो सामने आने चाइये और इसमें हाईकोर्ट की सीटिंग जज की जांच ही केवल सत्य को सामने ला सकती है। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत की एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा कि फर्जीवाड़े के मामले में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रदेश सरकार को समय देना चाहती है, ताकि सारी परिस्थितियां साफ हो सकें। त्रिवेंद्र और तीरथ के बीच एक-दूसरे पर दोषारोपण जारी रहा तो हरिद्वार से बड़ा तूफान उठेगा और कांग्रेस उसका नेतृत्व करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फेसबुक पेज पर कुंभ में कोविड जांच को लेकर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने पहले तो कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा किया। अब फर्जीवाड़े को लेकर जिस तरह से दोषारोपण किया जा रहा है उससे राज्य की प्रतिष्ठा पर ज्यादा चोट पहुंचाई जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तक हम समझते थे जो पहली और अब भाजपा की सरकार है। लेकिन त्रिवेंद्र और तीरथ के एक-दूसरे पर रोषारोपण से लगता है सरकार उनकी है। लोग दोषारोपण नहीं बल्कि जानने के उत्सुक हैं कि फर्जीवाड़ा कितने बड़े पैमाना पर हुआ है। हरीश रावत ने कहा कि जब कोविड की तीसरी लहर की बात हो रही है तो अधिक सावधान रहने की जरूरत है। प्रदेश की जनता किसके पास जाए। भाजपा ने राज्य की प्रतिष्ठा की हांडियां चैराहों पर तोड़ दी हैं। लोग हमारे यहां की जांचों पर विश्वास नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कोई तो है इस सबके फर्जीवाड़े में। बचाने वाले कौन हैं, हाथ लंबे दिखाई दे रहे हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस इस मामले को गंभीरता ले रही है। हरीश रावत ने एक और पोस्ट के जरिये भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की। फेसबुक पर लिखा कि मेरा गांव मेरी सड़क योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया था। हर ब्लाॅक में एक साल में तीन सड़क बनाने को मंजूरी दी थी। इस योजना के सफल होने पर जिला पंचायत सदस्यों ने आग्रह किया तो उनके उत्साह को देखते हुए एक सड़क और जोड़ दी। यानी अब हर ब्लाॅक में चार सड़कें बननी थी। लेकिन भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। लेकिन तब तक 250 से ज्यादा सड़क बन चुकी थी। आज जब मैं देख रहा हूं कि एक किमी या दो किमी की सड़क को गांव की मुख्य सड़क से जोडने के लिए लोग श्रमदान कर सड़कें बना रहे हैं। यदद्यि श्रमदान के पीछे छीपी भावना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। उस समय मुझे मेरा गांव मेरी सड़क योजना की बहुत याद आ रही है। हरदा ने लिखा कि भाजपा सरकार ने ठीक भरी दोपहरी में मेरा गांव-मेरी सड़क योजना का कत्ल कर दिया।
घर वापसी के लिए समर्पण के लक्षण दिखने चाहिए,जो भी हैं सभी का पार्टी में हार्दिक स्वागत है
उत्तराखंड में 2022 का विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सियासी दलों ने सक्रियता बढा दी है। प्रदेश में सत्तासीन भाजपा और कांग्रेस समेत आम आदमी पार्टी भी अपने कुनबे को बढ़ाने के साथ ही सियासी जमीन मजबूत कर रही है। राष्ट्रीय दलों के असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में बुलाने का दांव खेलकर पार्टी के नेता एक दूसरे के लिये चुनौती भी खड़ी कर रहे है। इतना ही नहीं प्रदेश में लगातार चनावी हार का सामना कर रही कांग्रेस के दिग्गजों के रुख में भी अब बदलाव देखने को मिल रहा है। बागियों को लेकर सख्त तेवर दिखाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के बयान के बाद एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में उन्होंने कहा कि जो भी कांग्रेस की सार्वभौमिक सोच के सिपाही हैं, उन सभी का पार्टी में हार्दिक स्वागत है। जो केवल राजनीतिक लाभ की सोच रखते हैं, ऐसे व्यक्तियों की कांग्रेस और राज्य की जनता को भी आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि अपनों के लिए घर के दरवाजे बंद नहीं किए जाते। अलबत्ता घर वापसी के लिए समर्पण के लक्षण दिखने चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उनके नेतृत्व में पिछली कांग्रेस सरकार से बगावत कर भाजपा का दामन थामने वाले विधायकों और नेताओं की कांग्रेस में वापसी को लेकर चर्चाएं रहती हैं। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ओर से ही इसे कोरी अफवाह ही करार दिया जाता रहा है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की टीस को अब तक भुला नहीं पाए हैं। अब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बीच लगातर बदलते जा रहे सियासी समीकरण से नेताओं को अपनी सियासी जमीन बचाने के लिये जुट गये है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में वर्चस्व की जंग आये दिन सतह पर आ रही है। प्रचंड बहुमत से काबिज भाजपा सरकार में मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी के साथ ही मुख्यमंत्री के बयानो पर भी चर्चाओं का दौर जारी है। ऐसे में पूर्व सीएम व कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के बदले हुए रुख ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा के चुनाव में सत्तासीन भाजपा से मुकाबले के लिये कांग्रेस आलाकमान भी बागियों की वापसी के लिये दरवाजे खोल सकता है।

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