कोरोना फाइटर्स के जज्बे को सलाम, ऐसे निभाया फर्ज

पारिवारिक सदस्यों की मौत पर भी छुट्टी नहीं ले पाये चिकित्सक अंजनी कुमार

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गदरपुर(उद संवाददाता)। कोरोना से लड़ रहे यो(ाओं को कभी-कभी ऐसी विषम परिस्थितियों से जुझना पड़ता है जब यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि परिवार व ड्यूटी में से किसे चुनें। ऐसी ही स्थिति सीएचसी केन्द्र के बरिष्ठ चिकित्सा प्रभारी अंजनी कुमार के सामने भी आयी। अपने पारिवारिक सदस्यों की मौत होने पर उन्होंने वहां जाने से ज्यादा अपनी डड्ढूटी को अहमियत दी और उनके अतिंम संस्कार में नही गये। इस्लामपुर हिल्सा नालंदा बिहार निवासी सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सा प्रभारी अंजनी कुमार 2003 से प्रदेश में अपनी सेवाएं दे रहे है। 2003 से 4 तक रूद्रप्रयाग 2004 से 17 तक पिथौरागढ़ 2017 से वर्तमान में गदरपुर में तैनात है। कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लाॅक डाउन चल रहा है। महामारी से लड़ने के लिए चिकित्सक दिन-रात डयूटी कर रहे है। इसी दौरान चिकित्सक अंजनी कुमार की बहन सराय होगारी नालंदा निवासी अंजू कुमारी के ससुर ईश्वरी प्रसाद का 22 मार्च को निधन हो गया। इसके अलावा सगे मामा रामचरण प्रसाद निवासी कोलसगंज जहानाबाद बिहार एवं हिल्सा नालंदा बिहार निवासी रमेश प्रसाद का 26 मार्च एक ही दिन निधन हो गया। निधन की खबर अंजनी कुमार को फोन से मिली। पारिवारिक सदस्यों की मौत पर वह अपने घर जाना चाहते थे लेकिन कोरोना महामारी से लड़ने के लिए उन्होंने अपनी डयूटी को अपना फर्ज समझा। इस सम्बन्ध में जब अंजनी कुमार से बात कि गयी तो बात करते-करते उनकी आखों मे आसू निकल पडे़ । उन्होने कहा फूफा जी का अंतिम संस्कार उन्होंने वीडियो काॅलिंग पर लाइव देखा। मामा और बहन के ससुर के अंतिम दर्शन नेटवर्क की बजह से नही कर पाये। उनके इस कार्य पर जिला व्यापार मंडल अध्यक्ष राज कुमार भुîóी, राजेन्द्र पाल सिंह, रविन्द्रर बजाज, अशोक हुड़िया, एन एस धालीवाल, जय किशन अरोरा, ग्राम प्रधान सिल्की खेड़ा, मीना चैधरी, चन्द्रर खेडा ने कार्य की प्रशंसा की। मामा को दे रखा था बडे भाई का दर्जाः सीएचसी के चिकित्सक अंजनी कुमार अपने मामा से बेहद प्यार करते थे। मामा के उन पर बहुत ही एहसान थे। अंजनी कुमार नौकरी के चलते उत्तराखण्ड आ गये। पीछे उनके माता-पिता अकेले रह गये। उनके माता-पिता को वही देखते थे। उनका कहना था कि मैने अपने मामा को अपने बडे भाई का दर्जा दे रखा था क्योकि ओर कोई भाई न होने के कारण वही उन्हें संभालते थे। उनके अहसान वह कभी नहीं उतार सकते।

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