बाबा हठ योगी ने कहा :अप्रैल 2022 तक बृहस्पति कुंभ राशि में हैं तो कुंभ कराने की क्या जल्दी थी?
सरकार की गाइडलाइन का संतों एवं श्रद्धालुओं को जागरूक कराया जाना जरूरी
देहरादून(उत्तरांचल दर्पण संवाददाता)। हरिद्वार। कुंभ महापर्व 2021 में सम्पूर्ण शाही स्नान के लिये पहुंचे साधू सन्यासियों की कोरोना महामारी से बचाव और संक्रमण को फैलने से रोेकने की नई मुहिम शुरू की गई है। कई अखाड़े पहले ही कुंभ से वापसी की घोषणा कर चुके हैं।अब प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपील की है। उत्तराखंड में आयोजित महाकुंभ में गंगा स्नान के लिये पहुंच रहे लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने पर छिडी सियासी बहस के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ट्वीट कर बताया है कि आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि से आज फोन पर बात की है। सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। सभी संतगण प्रशासन को हर प्रकार का सहयोग कर रहे हैं। मैंने इसके लिए संत जगत का आभार व्यत्तफ किया। मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा हम प्रधानमंत्री की अपील का सम्मान करते हैं। मैं लोगों से निवेदन करता हूं कि सभी नियमों का पालन करें। जिसके बाद अवधेशानंद गिरी शनिवार को मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला जारी रहेगा, लेकिन प्रतीकात्मक होगा। प्रधानमंत्री के बातचीत के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए हरिद्वार कुंभ के बाकी शाही स्नानं को प्रतीकात्मक करने के आवाहन का हरिद्वार के तमान संत महात्माओं ने स्वागत किया है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि सहित निरंजनी अखाड़ा के आचार महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरि गिरि, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत रविंद्र पुरी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद और शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आनंद भारती ने प्रधानमंत्री के आह्वान का स्वागत किया और इसे राष्ट्र, काल और परिस्थिति के अनुरूप बताया। कहा कि यह समय देश और देशवासियों की रक्षा का समय है। कोरोना से बचाव के लिए समस्त उपाय करने की आवश्यकता है और यह हम सभी की जिम्मेदारी है। हम केवल सरकार के भरोसे रहकर संकट की इस घड़ी से सफलतापूर्वक बाहर नहीं आ सकते। हमें सरकार का हर सहयोग करना होगा और कोविड-19 के लिए बनाए गए सभी नियमों प्रोटोकाॅल का अनिवार्य पालन करना होगा। संत महात्माओं ने आम जनमानस का आवाहन किया कि वह जागरूक बने और अपनी जिम्मेदारियों को समझें और कोविड-19 अनिवार्य पालन करें। गौरतलब है कि हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले का का समापन अंतिम शाही स्नान के साथ 27 अप्रैल को होना है। इससे पहले 11 मार्च को शिवरात्रि पर पहला शाही स्नान सम्पन्न हुआ था जिसमें साल अखाड़ो के सन्यासिया के साथ लगभग 35 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। इसके बाद एक अप्रैल को औपचारिक रूप से कुभ मेले की शुरूआत के बाद श्रद्धालुओं को कोरोना जांच रिपोर्ट के साथ कुंभ आगमन की अनुमति दी जा रही है। हांलाकि 12 अप्रैल और 14 अप्रैल को मुख्य स्नान सम्पन्न हो गया है। अब तक कुल 90 लाख से अधिक श्रद्धालुओ ने कुंभ दर्शन कर पुण्य के भागी बने है। इस बीच देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना संक्रमितो के बढ़ते आकड़ो से हालात चिंताजनक बन रहे है। अटकले लगाई जा रही थी कि कुंभ मेले को समय से पहले ही समाप्त कर दिया जाएगा। लेकिन कुंभ मेले की परम्परा के अनुसार कोविड गाईडलाईन का पालन करते हुए मेले का आयोजन दिव्य और भव्य रूप से किया गया। उत्तराखंड सरकार ने साफ कर दिया है कि कुंभ मेले को समय से पहले समापन करने का कोई प्लान नहीं है । मेला अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चलेगा। जबकि कुंभ मेला प्रशासन द्वारा बाहरी राज्यों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच और रजिस्ट्रेसन की व्यवस्था भी की गई है। दिगंबर अणि अखाड़े के महंत एवं अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवत्तफा बाबा हठ योगी ने कहा कि अप्रैल 2022 तक बृहस्पति कुंभ राशि में हैं तो कुंभ कराने की क्या जल्दी थी। सांकेतिक स्नान कर महामारी से बच सकते थे। महाकुंभ में कोरोना संक्रमण फैलने से बैरागी अखाड़ों ने संन्यासी अखाड़ों के सिर ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है। दिगंबर अणि अखाड़े के महंत एवं अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवत्तफा बाबा हठ योगी ने कहा कि संन्यासी अखाड़ों ने अपने स्वार्थ के चलते जनता को महामारी में झोंका है। 11 अप्रैल 2022 तक बृहस्पति कुंभ राशि में है। 14 अप्रैल 2022 को मेष राशि में सूर्य आ रहा है। ऐसे में इस साल जल्दी क्या थी। सांकेतिक स्नान कर महामारी से बचा जा सकता था। श्री निरंजनी और आनंद अखाड़े में 17 अप्रैल को कुंभ समापन की घोषणा पर बाबा हठ योगी ने कहा कि उनका व्यत्तिफगत निर्णय है। निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों को शायद इतिहास और कुंभ अवधि का पता नहीं है। 14 अप्रैल के शाही स्नान के बाद संन्यासियों के छावनियां खाली होने लगती हैं, लेकिन बैरागी अपनी परंपरा के अनुसार नेत्र पूर्णिमा का स्नान करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व महामारी की चपेट में है। हरिद्वार ही नहीं देशभर में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। हठ योगी ने आरोप लगाया कि महामारी से बचा जा सकता था, लेकिन संन्यासी अखाड़ों ने अपने स्वार्थ के कारण महामारी को आमंत्रित किया। संन्यासियों की अदूरदर्शिता के चलते ही भयानक दृश्य सामने आने लगा है। इसमें अखाड़ा परिषद की नाकामी भी सामने आई है। जिद के कारण समाज को खतरे में डालना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि रही बात बैरागी अखाड़ों के चैत्र पूर्णिमा स्नान करने की, इसे लेकर तीनों अणियों के संत अपनी रणनीति बनाएंगे और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि कुंभ किसी संस्था या व्यत्तिफ के कहने-बोलने से नहीं होता। उन्होंने बैरागियों के आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा कि मत अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सभी एक परिवार के सदस्य हैं। कुंभ अपनी अवधि तक होना चाहिए। परंपराओं से खिलवाड़ ठीक नहीं है। विधि-विधान से पूजन और अनुष्ठान होने चाहिए। इन सबके बीच कोविड से बचाव भी बेहद जरूरी है। सरकार की गाइडलाइन का सख्ती से पालन और संतों एवं श्रद्धालुओं को जागरूक कराया जाना जरूरी है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शनिवार को वह एम्स से हरिद्वार पहुंच जाएंगे। बैरागियों की ओर से लगाए संन्यासी अखाड़ों से कोरोना फैलने के आरोपों पर महंत ने कहा कि जहां कोविड जांच होगी, वहीं से मरीज भी आएंगे। जांच नहीं होगी तो नहीं आएंगे। जूना अखाड़े के महंत नारायण गिरि ने कहा कि हरिद्वार महाकुंभ में अभी चार स्नान बाकी हैं। जूना अखाड़ा 26 मई तक कुंभ मनाएगा। कुंभ की अपनी परंपराएं हैं, जिसका संत पालन करेंगे। कुंभ किसी व्यत्तिफ विशेष का नहीं बल्कि हजारों, करोड़ों हिंदुओं की आस्था का उत्सव है। अखाड़े के संत कुंभ अवधि पूरी होने के बाद ही हरिद्वार से जाएंगे। कोविड से बचाव के लिए संतों की जांच कराई जा रही है। कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। कोविड जांच की रिपोर्ट आने तक संत आइसोलेट हैं।