शासन की बड़ी कार्रवाई: उत्तराखंड के 10 नामी अस्पतालों में ईसीएचएस और आयुष्मान योजनाओं के तहत इलाज खर्च में फर्जीवाड़ा
देहरादून। ईसीएचएस और आयुष्मान कार्ड जैसे तमाम सरकारी योजनाओं के तहत मरीज अस्पतालों में भर्ती होते हैं और उनकी भर्ती होने का बिल और इलाज का खर्चा सरकार बहन करती है। इसके लिए निजी अस्पताल शासन को इलाज के खर्चे का बिल भेजते हैं। स्पीच यह बात सामने आई कि जितना मरीज के इलाज में खर्च अस्पताल में हो रहा है उससे कहीं ज्यादा मात्रा का बिल अस्पताल शासन को भेज रहा है प्रतिपूर्ति के लिए। ई सी एच एस योजना के तहत शासन ने उत्तराखंड के 10 नामी अस्पतालों में ऐसी गड़बड़ी पकड़ने के बाद उन्हें योजनाओं से फिलहाल निलंबित कर दिया है। राज्य कर्मचारी बीमा योजना की निदेशक दीप्ति सिंह की ओर से शनिवार को इस मामले में आदेश किए गए हैं।आदेश के अनुसार योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में अनुबंधित अस्पतालों द्वारा विभाग के पोर्टल पर जमा किए गए बिलों की जांच में गड़बड़ी पाई गई है। इन सभी अस्पतालों के बिलों की जांच में सामने आया कि कुछ अस्पताल से मिले चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावों में भर्ती होने पर आने वाले खर्च से अधिक का खर्चा दिखाया गया। ऐसे में इन अस्पतालों को योजना से निलंबित कर इलाज पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही एक माह के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए जबाव मांगा गया है। हालांकि इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज योजना के तहत चलता रहेगा। इसी तरह का फर्जीवाड़ा आयुष्मान योजना के अस्पतालों में भी सामने आ चुका है। इन निलंबित अस्पतालों में मेडिकेयर अस्पताल, चकराता रोड़, सेलाकुई, देहरादून, कृष्णा मेडिकल सेंटर, डालनवाला, देहरादून, मेट्रो हॉस्पिटल एवं हार्ट इंस्टयूट, हरिद्वार वेलनगिरी हिल्स नर्सिंग होम, हरिद्वार, रैंकर्स अस्पताल, सलीमपुर बाईपास रोड, हरिद्वार, बालाजी अस्पताल, हल्द्वानी, नैनीताल, अनमोल अस्पताल, काशीपुर, यूएसनगर, बृजलाल अस्पताल हल्द्वानी, नैनीताल श्रीकृष्णा अस्पताल, काशीपुर, यूएसनगर, केवीआर हॉस्पिटल, काशीपुर, यूएसनगर शामिल है।