गुरूद्वारा प्रबंध समिति के अध्यक्ष हरबंश चुघ को पद से हटाने नहीं देगी संगत : बलजीत सिंह
रूद्रपुर (उद संवाददाता)। गत 28 मार्च को डेरा नानकमत्ता साहिब के मुखी बाबा तरसेम सिंह की हत्या के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज की गई रपट में भारी साजिश रची गई है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह आरोप लगाते हुए बलजीत सिंह, दर्शन सिंह व गुरदेव सिंह ने कहा कि हत्या की घटना प्रातः 6 बजे हुई। लेकिन रपट रात 11.30 बजे लिखी गई। जो अपने आप में संदेह व्यक्त करता है। उनका कहना था कि लक्ष्य तय करके घटना में अलग अलग पृष्ठभूमि के लोगों का नाम जोड़ा गया। उनका आरोप है कि दर्ज रपट में गुरूद्वारा प्रबंध समिति के अध्यक्ष डा. हरबंस सिंह चुघ जो आईएस अधिकारी भी रह चुके हैं का नाम शामिल किया गया। जिन्हें तरसेम सिंह हटाना चाहते थे। हरबंस सिंह की फेसबुक की पोस्टों पर भी विवाद हुआ था। उन्होंने कहा जिस फेसबुक के पेज पर बगैर हस्ताक्षर के पोस्ट डाली गई जांच का विषय है। संगत श्री चुघ को पद से हटाने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि रपट में तराई सिख महासभा के अध्यक्ष प्रीतम सिंह संधू का नाम शामिल कराया गया। जो पिछले 16 वर्षों से गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अस्तित्व को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसमें भी बदले की भावना परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा कि रपट में बाबा अनूप सिंह का नाम भी है। जो नवाबगंज में अपनी सेवायें दे रहे हैं। पूर्व में भी इन्हें झूठे आरोप में फंसाने की कोशिश की जा चुकी है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में बाबा सुरेन्द्र सिंह व कुछ अन्य लोग पूरी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद बिना स्वामित्व के ऐतिहासिक गुरूद्वारों के ट्रस्ट पंजीकृत कर देना जांच का विषय है। उन्होंने सरकार से मांग की कि थाना नानकमत्ता या अन्य थानों में गुरूद्वारा नानक मत्ता साहिब से जुडे ऐसे सभी मुकदमों की समीक्षा की जाये जो पिछले 15 वर्षों में दर्ज हुए हैं। इस पर एक न्यायिक आयोग गठित किया जाये। वार्ता के दौरान डा. दलजीत सिंह, बलबीर सिंह, लखविन्दर सिंह, दविन्दर सिंह, अमरजीत सिंह, संतोख सिंह रंधावा, महेन्दर सिंह, हरी सिंह, जसवीर सिंह, रणजीत सिंह, सतनाम सिंह, कुलदीप सिंह, पलविन्दर सिह, प्रभजीत सिंह, जिंदरपाल सिंह आदि मौजूद थे।