उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र में भीषण गर्मी का अलर्ट : त्वचा रोगों से पीड़ित मरीज काफी संख्या में पहुंचने लगे हैं अस्पताल
जिला अस्पताल में पिछले आठ साल से त्वचा रोग विशेषज्ञ का पद खाली,मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में रोज पहुंच रहे सैकड़ो त्वचा रोग पीड़ित
रुद्रपुर(उद संवाददाता)। उत्तराखंड के मैदानी इलाके में सूरज ने आग उगलना आरंभ कर दिया है और समूचे मैदानी क्षेत्र में भीषण गर्मी का दौर आरंभ हो गया है । फिलहाल जिला मुख्यालय का अधिकतम तापमान 38 डिग्री के आसपास दर्ज किया जा रहा है ,लेकिन मौसम विज्ञानियों की माने तो आने वाले दिनों में पारा 40 डिग्री के पार जाने की प्रबल संभावना है ।तापमान के सामान्य से कुछ डिग्री ऊपर पहुंचने पर ही उधम सिंह नगर जिले में त्वचा संबंधी रोगों में बड़ी तेजी से इजाफा होने लगा है और सरकारी अस्पताल में झुलसा देने वाली गर्मी के कारण उत्पन्न होने वाले विभिन्न त्वचा रोगों से पीड़ित काफी संख्या में पहुंचने लगे हैं ,लेकिन बड़ी विडंबना तो यह है कि जिला अस्पताल में त्वचा रोग विशेषज्ञ का पद पिछले 8 वर्षों से खाली पड़ा है। सरकारी अस्पताल में त्वचा रोग विशेषज्ञ की तैनाती न होने के कारण त्वचा रोग पीड़ितों को रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज की शरण लेनी पड़ रही है, जहां ओपीडी में त्वचा रोग के मरीजों का वैकल्पिक तौर पर इलाज किया जा रहा है। मगर मेडिकल कॉलेज की त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ। फरहीन खान महीने में केवल 15 दिन ही त्वचा रोग पीड़ितों को देख रही हैं ,जबकि यहां त्वचा रोग के करीब 100 मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। बताना होगा कि मौसम में बदलाव और तापमान में वृ(िद्धके कारण नमी, उमस और प्रदूषण की वजह से लोगों में त्वचा संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ने लगती हैं। गर्मी के मौसम में होने वाले त्वचा संबंधी संक्रमण में रोगियों में खुजली, त्वचा का लाल होना, फुंसी और फंगल इंफेक्शन के लक्षण बहुतायत में दिखाई देते हैं ।ऐसे में त्वचा की समुचित देखभाल और धूप से त्वचा का यथासंभव बचाव बहुत जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर यह छोटे-मोटे लक्षण आगे चलकर किसी गंभीर बीमारी का रूप भी धारण कर सकते है ।वैसे तो मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर की त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ। फरहीन खान उपचारार्थ पहुंचने वाले त्वचा रोगियों को शरीर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने, खाने में संतुलित आहार और मौसमी फल का सेवन करने ,उमस भरी गर्मी के मौसम में पत्तेदार सब्जियों, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों के प्रयोग से बचने, नियमित तौर पर सुबह-शाम दो बार स्नान करने ,खाने में सलाद शामिल करने तथा सुबह उठने के बाद 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीने और सिंथेटिक कपड़े न पहने की सामान्य सलाह आमतौर पर देती ही है लेकिन लोगों को पिछले दिनों उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कि राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला मैं हीट वेव से बचाव को लेकर जारी किए गए दिशा निर्देशों को भी अमल में लाना चाहिए। इस कार्यशाला डॉ। सुजाता नेस्वास्थ्य विभाग की तरफ से अत्यधिक गर्मी से बचने के उपायों के बारे में बताया कि गर्मी जानलेवा भी हो सकती है, इसलिए एहतियात बरतना बहुत जरूरी हैं। उन्होंने आगे बताया कि गर्मी लगने से व्यत्तिफ में अत्यधिक थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिर दर्द, जी मिचलाना, शरीर में ऐंठन, तेज धड़कन, भ्रम की स्थिति आदि लक्षण दिखने लगते हैं। इसके लिए जरूरी है कि खूब पानी पीएं, प्यास न लगी हो तब भी पानी पीते रहें। गर्मी का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यत्तिफयों पर पड़ता है, इसलिए एहतियात जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक घर से बाहर जाने से बचना चाहिए, साथ ही महिलाओं को इस समय खाना बनाने से परहेज करना चाहिए ।इसके अलावा डॉ। विमलेश जोशी का कहना था की कि हीट वेव या अत्यधिक गर्मी से जितना खतरा इंसानों को है, उतना ही खतरा पशुओं को भी होता है, इसलिए उनका ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि धूप में खड़ी कार में बच्चों को न छोड़े, यह खतरनाक हो सकता है। साथ ही धूप में खड़ी कार में सीधे न बैठें। बैठने से पहले दरवाजे और खिड़की खोलकर रख दें ताकि कार से हानिकारक गर्म हवा बाहर निकल जाए। वही यूएसडीएमए की मौसम विशेषज्ञ डॉ। पूजा राणा ने बताया कि भारत सरकार ने हीट वेव को वर्ष 2019 में प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। उन्होंने कहा कि गर्मी से बचने के लिए मौसम विभाग के एलर्ट को सुनना और दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना जरूरी है। स्कूली बच्चों को गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए स्कूलों में प्रत्येक एक से डेढ़ घंटे के अंतराल में वॉटर बेल बजाई
जानी चाहिए, ताकि बच्चों को याद रहे कि उन्हें पानी पीना है।