उत्तराखंड में कम मतदान की अनेक वजह आई सामने: तमाम प्रयासों के बावजूद निर्वाचन आयोग का 75% मतदान का सपना अधूरा

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रूद्रपुर। सूबे में बीते रोज लोकसभा की पांचो सीटों पर संपन्न हुए मतदान को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 75% मतदान का लक्ष्य निर्धारित किया था ,लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद निर्वाचन आयोग का यह है सपना अधूरा रह गया और उत्तराखंड एक बार फिर एक रिकॉर्ड अपने नाम करने से काफी पीछे रह गया। हालांकि सुबह नौ बजे तक ऐसा लग रहा था कि उत्तराखंड का मतदान का प्रतिशत अबकी बार नए आयाम छूएगा, मगर सूरज चढ़ने के साथ ही मतदान का ग्राफ ढलान पर आता गया। बताना होगा कि राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में विधानसभा या लोकसभा चुनाव के किसी भी चुनाव में मतदान 70 प्रतिशत के पार नहीं पहुंच पाया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर दृष्टिपात करें तो उत्तराखंड में मतदान का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से 5.90 प्रतिशत कम रहा था, जबकि 2014 के चुनाव की तुलना में मतदान प्रतिशत में अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी । वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में कुल 65।37 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था, जो 2017 के विधानसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत 65.56 से कम था।यद्यपि लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में शत प्रतिशत मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर निर्वाचन आयोग ने पूरा फोकस किया था और इसके लिए आयोग द्वारा विभिन्न प्रकार के मतदाता जागरूकता अभियान भी चलाए गए ,लेकिन अपेक्षित लक्ष्य न हासिल किया जा सका। निर्धारित लक्ष्य से पीछे रह जाने की वैसे तो कई वजह है निकल कर सामने आ रही हैं पर मुख्य रूप से ऐसा जान पड़ता है जैसे चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों ने अपने-अपने शत प्रतिशत मतदाताओं को घर से निकाल कर मतदान स्थल तक पहुंचने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई । मतदान के आरंभ होने के तकरीबन 2 घंटे बाद तक तो राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता इस दिशा में सक्रिय नजर आए लेकिन पारा चढ़ने के साथ ही उनका उत्साह ठंडा पड़ता नजर आया। साथ ही इस बार के चुनाव प्रचार में पहले वाला जोशोखरोस भी नजर नहीं आया। राजनीतिक दलों के जो कार्यकर्ता पहले घर-घर मतदाता पर्ची बांटते थे वह इस बार सोशल मीडिया पर अपनी नेतागिरी चमकाते अधिक दिखाई दिए। चुनावी रणभूमि में सक्रिय योगदान न देने के कारण उनका मतदाताओं से सीधा संपर्क नहीं हो सका और इस कारण भी मतदाता घर से बाहर नहीं निकला। इसके अलावा बीते रोज शादियां भी अधिक थी। काफी मतदाता शादियों की व्यवस्थाओं में व्यस्त रहे और कुछ मतदाता बारात में सम्मिलित होने अपने शहरों से बाहर चले गए। इस वजह से भी मतदान के दर में कमी आई। अबकी बार मतदान के मौके पर मौसम ने भी अपने सख्त तेवर दिखाए। दोपहर के पहले ही सूरज आग उगलने पर आमादा हो गया। जिस कारण मतदाताओं ने चिलचिलाती धूप में घर से बाहर निकालने की तकलीफ नहीं उठाई। साथ ही चुनाव के दिवस और वीकेंड की दो छुट्टिðयां को मिलाकर इस सप्ताह तीन छुट्टियां एक साथ मिल गई और अनेक घुम्मकड़ी की शौकीन मतदाता वीकेंड एंजॉय करने शहर से बाहर चले गए। यह भी मतदान में कमी की एक वजह बना। इसके अतिरित्तफ प्रदेश में इस बार मतदान के बहिष्कार का ऐलान करने वाले ,पिछले चुनाव की अपेक्षा अधिक सक्रिय रहे ।जिसका नतीजा यह हुआ कि राज्य में अनेक मतदान केंद्र पूरी तरह मतदाता विहीन रहे। इस तरह मतदाताओं का मतदान केंद्र पहुंचने से इस तरह का परहेज भी राज्य में मतदान का प्रतिशत कम करने की एक प्रमुख वजह बना।

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