सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को झटका: विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर रोक लगाने से इनकार

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नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के छह बागी कांग्रेस विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के छह बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। बागी नेताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले को अदालत में पेश किया। सुप्रीम कोर्ट ने बागी नेताओं की उन्हें अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने बागी नेताओं को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही वोट देने या सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया। मामले की सुनवाई 6 मई को होगी। दोनों को पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करना होगा। हिमाचल विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। 6 मई को फिर सुनवाई होगी और विधानसभा सचिवालय को जो नोटिस जारी किया गया है उसका हम जवाब देंगे। जो भी कार्रवाई हुई है वो नियमों के तहत हुई है। बता दें, प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने व्हिप का उल्लंघन करने पर छह कांग्रेस विधायकों सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा की योग्यता रद्द कर दी थी। व्हिप जारी होने के बावजूद ये विधायक सदन में बजट पारित होने के दौरान उपस्थित नहीं हुए, जिसके चलते विस अध्यक्ष ने इन पर कार्रवाई की थी। राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले इन बागियों ने विस अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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