उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका: मनीष खंडूड़ी ने दिया इस्तीफा…मैं राजनीति में टिकट लिए नहीं हूं

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देहरादून । उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। मनीष खंडूडी ने कांग्रेर्स की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट में उन्होंने बताया कि मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। मेरा यह निर्णय बिना किसी व्यक्तिगत हित अथवा अपेक्षा से लिया गया है। बता दें कांग्रेस के गढ़वाल लोकसभा प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी का जन्म पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी के घर 16 अक्टूबर 1968 को हुआ। शिक्षा में बचपन से ही अव्वल मनीष ने नेताजी सुभाष चंद्र इंस्टीटड्ढूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीई की परीक्षा उत्तीर्ण की है। उत्तराखंड में गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष खंडूड़ी को इंजीनियरिंग और मीडिया के क्षेत्र में महारथ हासिल है। चुनाव से ठीक पहले पार्टी से इस्तीफा देने के अब कई राजनैतिक मायने सामने आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका लगा है।लेकिन इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर लोकसभा चुनाव से पहले एकदम से मनीष खंडूरी ने कांग्रेस से इस्तीफा क्यों दे दिया। मनीष खंडूरी के इस्तीफे को उनके एक पोस्ट से जोड़कर देखा जा रहा है।
अगर कोई ये सोच रहा है कि मुझे टिकट या फिर पद का लालच है तो यह उनकी भूल : मनीष खंडूरी
मनीष खंडूरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट पर कहा कि बीते पांच साल के दौरान मैंने उत्तराखण्ड की समस्याओं को Ground Level पर जाकर समझने की कोशिश की। इसके लिए मैंने अपने तन मन धन से अपना ज्यादा तर समय उत्तराखंड के उन गांवो में बिताया जो कि बाजारों औऱ सड़कों से कई कई किलोमीटर की दूरी पर है। पर शायद मेरा प्रयास कुछ एक लोगों की पसंद नहीं आया। एक ऐसा भी सवाल उठा कि मनीष खंडूरी को गढ़वाल में क्यों जाने दिया जा रहा है। मनीष खंडूरी ने कहा कि मैं राजनीति में टिकट लिए नहीं हूं, मैं राजनीति में मंत्री बनने के लिए नहीं हूं। अगर कोई ये सोच रहा है कि मुझे टिकट या फिर पद का लालच है तो यह उनकी भूल है। मैं राजनीति में एक impact करने के लिए हूँ, विशेषकर यहां के युवा और मातृशक्ति के मुद्दों को लेकर l मैं अपने successful professional life छोड़ कर एक सोच एक विचार लेकर आया हूं। मेरी सोच टिकट, पद, एमपी या एमएलए बनने से हट कर है। अगर आप पद हासिल करने के बाद भी समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहें हैं तो इन चीज़ों का मेरे लिए कोई औचित्य नहीं है।

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