जन शिकायतों के निराकरण में पिछड़ा उत्तराखंड: नागरिकों की फरियाद के समाधान में बरती जा रही उदासीनता

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प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की सालाना रिपोर्ट में जन शिकायतों के निराकरण में पिछड़ा उत्तराखंड, रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष प्राप्त 15,774 शिकायतों में से केवल 13,139 शिकायतों का ही किया जा सका निस्तारण, नए वर्ष में भी रफ्तार नहीं पकड़ सका जन शिकायतों के समाधान का सिलसिला, जनवरी महीने में प्राप्त 3,892 जन शिकायतों में से केवल 1,215 शिकायतों का ही हुआ समाधान
रूद्रपुर। एक तरफ जहां सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस साल के अंत तक सशक्त उत्तराखंड कि लक्ष्य प्राप्ति को आकार देने की कवायद में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य की तमाम सरकारी सेवाओं को अंजाम तक पहुंचने की दिशा में अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही, मुख्यमंत्री की इस मुहिम में एक बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। उल्लेखनीय है कि लालफीताशाही द्वारा राज्य के नागरिकों की फरियाद के समाधान में बरती जा रही इस उदासीनता के चलते उत्तराखंड जन शिकायतों के समाधान में देश के 22 सबसे खराब राज्यों की सूची में शुमार हो गया है। जबकि विभिन्न सरकारी सरकारी  पोर्टलों के माध्यम से सरकार को प्राप्त होने वाली जन शिकायतें प्रतिवर्ष दुगनी तिगुनी रफ्तार से बढ़ती जा रही है। ऐसे में लाख टके का सवाल यह है की जब राज्य में नागरिकों की छोटी-मोटी शिकायतों का समय रहते निराकरण ही ना हो पाएगा, तो धामी के सशक्त उत्तराखंड बनाने का संकल्प कैसे आकर ले पाएगा ? उत्तराखंड में लोगों की शिकायतों का समाधान करने में सरकारी लापरवाही का आलम क्या है ? इसका खुलासा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की वेबसाइट  https:/darpg. gov.in की रिपोर्ट में हुआ है ।बताना होगा कि इसी साल जनवरी में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की 17वीं रिपोर्ट जारी हुई थी। जिसमें यह तथ्य उजागर हुआ कि एक जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 15,774 शिकायतें उत्तराखंड सरकार को मिलीं थी, जिनमें से केवल 13,139 जन शिकायतों का निस्तारण ही किया गया अर्थात वर्ष के अंत में 2635 शिकायतें पेंडिंग रह गईं । देखा जाए तो बीते साल सरकार को हर माह औसतन 1300 शिकायतें प्राप्त हुई थीं ।बात चालू वर्ष की करें तो इस साल जनवरी में विभिन्न पोर्टलों और विभागों के जरिए सरकार को साढ़े तीन हजार से ज्यादा शिकायतें मिलीं, लेकिन इसमें समाधान केवल 32 फीसदी शिकायतों का ही हुआ तथा 68 प्रतिशत शिकायतें सुनी तक नहीं गईं। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 में उत्तराखंड सरकार को  कुल 3,892 शिकायतें प्राप्त हुईं और महीना समाप्त होते-होते इनमें से केवल 1,215 शिकायतों का ही समाधान किया जा सका, जबकि 2677 शिकायतें महीना पूरा होने के बाद भी लंबित रही आई ।रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में सरकार को प्राप्त होने वाली जन शिकायतों की संख्या हर साल बढ़ रही, लेकिन इसके उलट समाधान की गति धीमी पड़ती जा रही है ,जिसके चलते जन शिकायत के समाधान में फिसîóी 22 राज्यों में उत्तराखंड भी शुमार हो गया है। ज्ञात हो कि जन शिकायत के समाधान की दृष्टि से ऐसे राज्यों को सबसे खराब माना गया है ,जहां हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। इसमें उत्तराखंड 19वें स्थान पर है। देश में सबसे खराब स्थिति ओडिसा की है। इसके बाद पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र हैं। गनीमत है कि उत्तराखंड जन समस्याओं की अनदेखी करने वाले 22 राज्यों में आखरी से चौथे स्थान पर है ,फिर भी जनसमस्याओं की अनदेखी करने वाले सबसे खराब राज्यों में उत्तराखंड का शुमार होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

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