उत्तराखंड में काफल से बनेगी शराबः पहाड़ी वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों का होगा प्रयोग !

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में मिलावटी शराब को रोकने, पर्यटन प्रदेश के लिए प्रदेश का नया ब्रांड उपलब्ध कराने और राजस्व बढ़ोतरी के लिए नई आबकारी नीति में कई प्रावधान किए हैं। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में माइक्रो डिस्टिलेशन इकाइयां स्थापित की जाएंगी। सरकार का दावा है कि इससे पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। मदिरा में वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों का प्रयोग होगा। इससे राज्य को सुगंधित मदिरा के उत्पादन के हब के रूप में पहचान मिलेगी। नीति को लेकर सरकार का यह भी कहना है कि देसी शराब में स्थानीय उत्पादों के उपयोग से राज्य के स्थानीय किसानों और उद्यमियों को फायदा होगा। वे जड़ी बूटियों और कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती, तिमूर, आडू का उत्पादन बढ़ाएंगे। मैदानों की तरह पर्वतीय क्षेत्रों के मॉल्स डिपार्टमेंटल स्टोर में मदिरा बिक्री के लाइसेंस मिलेंगे। पहाड़ में मैदान की तुलना में आधी यानी पांच लाख रुपये लाइसेंस फीस रखी गई है। इसके लिए दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्ग फिट तय किया गया है। पर्यटन की दृष्टि से नीति में सीजनल बार लाइसेंस शुल्क का प्रावधान भी किया गया है। पिछले साल से अलग स्टार कैटेगरी के अनुसार बार का लाइसेंस शुल्क निर्धारित होगा। पर्यटन वाले क्षेत्रों में वैध मदिरा के बिक्री को प्रोत्साहन करने के लिए उप दुकान का प्रावधान किया गया है। नीति में मदिरा की आपूर्ति लिए थोक अनुज्ञापन ;एफएल-2 निजी हाथों में देने का फैसला किया गया है। उत्तराखंड के मूल व स्थायी निवासियों को भारत में निर्मित विदेशी मदिरा की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन का काम मिलेगा। अभी शराब कंपनियों के पास ही थोक का काम था। सरकार का कहना है कि विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को राज्य के मूल व स्थानीय निवासियों के रोजगार मिलेगा। नई नीति में पहली बार विदेश से आयातित होने वाली मदिरा की आपूर्ति के लिए अलग से थोक अनुज्ञापन ;एफएल-2 की व्यवस्था की गई है। इससे पहले यह देश में निर्मित विदेशी मदिरा में ही शामिल थी। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व लक्ष्य 4000 करोड़ का है। इसके सापेक्ष 11» की वृद्धि की गई है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए 4,440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। राजस्व लक्ष्य बेशक बढ़ाया गया है, लेकिन दुकानों की प्रतिभूति दर में कोई वृद्धि नहीं की गई है। पहली बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिए थोक अनुज्ञापन का प्रावधान किया गया है। इससे कस्टम बांड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा। मदिरा की दुकानों का दो चरणों में व्यवस्थापन होगा। लॉटरी में छूटी दुकानों का आवंटन पहले आओ और पहले पाओ के सि(ांत पर किया जाएगा। नीति के तहत उन्हीं दुकानों का नवीनीकरण किया जाएगा, जिनकी कोई देनदारी नहीं है और प्रतिभूति सुरक्षित है। एक व्यत्तिफ को तीन से अधिक दुकानें नहीं मिलेंगी।

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