‘टोटके के मायाजाल’ से इस साल भी ‘बाहर’ नहीं निकल सकी उत्तराखंड की ‘मित्र पुलिस’
आज के वैज्ञानिक युग में भी उत्तराखंड पुलिस टोटके के सहारे, अपराध वृद्धि दर रोकने के लिए देहरादून पुलिस ने एक बार फिर आजमाया दशकों पुराना अंधविश्वास पूर्ण टोटका, प्लानिंग करके लिखा गया गुड वर्क मुकदमा
देहरादून। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, फिर भी भारतीय समाज में ऐसी मान्यता है कि साल के पहले दिन अर्थात एक जनवरी को जो घटनाक्रम होता है, वह पूरे साल होता ही रहता है। कदाचित यही कारण है कि नए साल के पहले दिन लोगों की हर संभव कोशिश यही रहती है कि उनके साल की शुरुआत किसी अनचाहे अथवा अशुभ घटनाक्रम से ना हो। साथ ही लोग यह प्रयास करते हैं कि उनके नए साल की शुरुआत उनके कार्य क्षेत्र में अथवा आर्थिक दृष्टि से अच्छी रहे। अनेक लोग तो इसके लिए बाकायदा पहले से तैयारी भी कर लेते हैं । मसलन, व्यापार जगत के लोग कोई बड़ी व्यापारिक डील मुकर्रर कर लेते हैं, फिल्म जगत की हस्तियां कोई शाइनिंग अमाउंट लेना अथवा किसी कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करना, इसी प्रकार वकील ,डॉक्टर ,चार्टर्ड अकाउंटेंट ,प्रॉपर्टी डीलर वगैरह किसी बड़े क्लाइंट से मीटिंग और फीस इत्यादि का भुगतान तथा राजनेता किसी जनकल्याणकारी योजना के शिलान्यास अथवा लोकार्पण या पब्लिक मीटिंग का प्रोग्राम बना लेते हैं, ताकि बरस भर यह सिलसिला चलता रहे। ऐन, इसी मान्यता अथवा टोटके या अंधविश्वास के वशीभूत और लगभग इसी तर्ज पर, उत्तराखंड की मित्र पुलिस भी पिछले कई दशकों से एक टोटका हर साल करती चली आ रही है। ज्ञात हो कि पुलिस विभाग में 1 जनवरी से अपराध संख्या अथवा मुकदमा संख्या की शुरुआत होती है। लिहाजा, पुलिस की यह कोशिश होती है कि पहला मुकदमा किसी गंभीर अथवा जघन्य अपराध का न दर्ज किया जाए। माना जाता है कि अपराधिक घटना का पहला मुकदमा हुआ तो पुलिस को पूरे साल अपराध तथा अपराधियों से जूझना पड़ेगा। इसलिए पुलिस थानों में आमतौर पर पहला मुकदमा गुड वर्क में दर्ज किया जाता है और करीब 10-15 दिन पहले से ही इसकी तैयारी आरंभ कर दी जाती हैं। इसके लिए क्षेत्र के आदतन अपराधियों की खोज शुरू हो जाती है। ताकि, एक जनवरी को इनके खिलाफ गैंगस्टर या गुंडा एक्ट में मुकदमा दर्ज किया जा सके। यही नहीं,क्षेत्र में अवैध शराब या नशे के धंधे में लिप्त लोगों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी जाती है। जिससे उन्हें भी एक जनवरी को पकड़कर जेल की राह दिखाई जा सके। लिहाजा राजधानी पुलिस ने इस बात के पुख्ता इंतजाम पहले से ही कर रखे थे कि सोमवार को अर्थात साल के पहले दिन विभिन्न थानों में मुकदमा गुडवर्क ही दर्ज किए जा सकें और ऐसा हुआ भी । इस बार भी देहरादून पुलिस ने बरसों पुराने इसी टोटके से ही वर्ष 2024 की शुरुआत की। बताना होगा कि डोईवाला पुलिस ने 26 ग्राम स्मैक के साथ चपटू नामक एक युवक को गिरफ्तार किया। वही, सहसपुर पुलिस ने 11 ग्राम स्मैक रखने के आरोप में अकलीम नाम के तस्कर को दबोचा तथा सहसपुर में ही हैप्पी नाम के युवक से 252 ग्राम चरस बरामद कर उसे गिरफ्तार किया। इसी प्रकार पटेलनगर पुलिस ने 120 पव्वे बरामद कर आबकारी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर खाता खोला ।उधर सेलाकुई पुलिस ने एक युवक के पास से 96 पव्वे तथा रायवाला पुलिस ने भी 65 पव्वे देसी शराब के पकड़े । ज्ञात हुआ है कि ऋषिकेश पुलिस ने भी 50 पव्वे बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार किया। मजे की बात तो यह है कि सहसपुर पुलिस ने सभावाला क्षेत्र में पांच लीटर कच्ची शराब के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार कर तीसरा मुकदमा भी गुड वर्क में दर्ज किया। सो, ‘उत्तरांचल दर्पण’ के प्रबुद्ध पाठक इस बात का अंदाजा बखूबी लगा सकते हैं कि जब सूबे की राजधानी पुलिस अंधविश्वास में इस कदर जकड़ी हुई है, तो प्रदेश के अन्य पुलिस थानों का आलम क्या होगा?