जुलूस निकालने को लेकर खनन कारोबारियों की पुलिस से झड़प

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हल्द्वानी (उद संवाददाता)। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे खनन कारोबारियों की जुलूस निकालने से मना करने पर पुलिस अधिकारियों से तीखी झड़प हो गई। जिससे मौके पर स्थिति तनाव पूर्ण हो गई। मामले की जानकारी मिलने पर एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर व्यापारियों से वार्ता की और नियमों का हवाला देकर शांत कराया। इससे पूर्व गौला संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों खनन कारोबारी खनन रॉयल्टी निजी हाथों में देने और वाहनों की फिटनेस निजी सेंटरों से कराए जाने के विरोध में चोरगलिया रोड से बुद्धपार्क तक जुलूस निकालने के लिए एकजुट हुए। जुलूस निकालने की भनक मिलते ही पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया। पुलिस ने आयोजकों से जुलूस निकालने का अनुमति पत्र दिखाने को कहा तो समिति के लोग अनुमति पत्र नहीं दिखा पाए। पुलिस ने साफ कहा कि बिना अनुमति के जुलूस नहीं निकालने दिया जाएगा और पुलिस ने चोरगलिया रोड पर बैरिकेटिंग लगाकर उसे ब्लॉक कर दिया। जुलूस निकालने को लेकर गौला खनन वाहन स्वमियों की पुलिस से झपड़ और धक्का मुक्की होने लगी। जिससे वहां पर काफी देर तक अफरा तफरी का माहौल बना रहा। सभी लोग चोरगलिया रोड से तिकोनिया स्थित बुद्धपार्क तक जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे थे। स्थिति बिगड़ते देख बनभूलपुरा और आसपास के थाना क्षेत्रों की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने बिना अनुमति के जुलूस नहीं निकल दिया जिससे गौला संघर्ष समिति के लोग भड़क गए। काफी देर तक चोरगलिया रोड पर हंगामे की स्थिति बनी रही। जानकारी मिलते ही एसडीएम परितोष वर्मा ने मौके पर पहुंचकर उनकी बात सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया। आज गौला खनन से जुड़े वाहन स्वामियों का बुद्धपार्क में धरना प्रस्तावित था। धरने देने के लिए लालकुआं आदि क्षेत्रों से खनन कारोबारी बुद्धपार्क पहुंच गए थे। वहीं गौला संघर्ष समिति को चोरगलिया रोड से जुलूस की शक्ल में बुद्धपार्क पहुंचना था। लेकिन पुलिस ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। गौला संघर्ष समिति के अध्यक्ष पम्मी सैफी ने सरकार पर गौला खनन से जुड़े वाहन स्वामियों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने पहले वाहनों की फिटनेस निजी सेंटरों से कराने का फरमान जारी कर दिया। अब खनन रॉयल्टी भी निजी हाथों में दे दी गई है जिससे वाहन स्वामियों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि गौला नदी में वैसे ही खनन कार्य तीन महीने देरी से शुरू हुआ है। ऐसे में खनन से जुड़े वाहन स्वामियों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गौला नदी में वन विभाग की देखरेख में वन विकास निगम खनन कराता है। लेकिन इस बार खनन रॉयल्टी निजी हाथों में दे दी गई है। उन्होंने कहा कि गौला नदी में खनन से सरकार को 200 करोड़ का राजस्व मिलता है तो हजारों खनन श्रमिक, डंपर चालक और वाहन चालक की रोजी रोटी भी इसी से चल रही है। पम्मी सैफी ने कहा कि गौला नदी में पूर्व में खनन कराने की जिम्मेदारी निजी ठेकेदार के हाथ थी। तब खूब आपराधिक वारदातें हुआ करती थी। गौला नदी में बहुत बमुश्किल से खनन पटरी पर आया है। अब सरकार फिर से यहां पर माफियाराज फैलाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा निजीकरण की साजिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा। इस दौरान पम्मी सैफी अध्यक्ष गौला संघर्ष समिति, अरशद अयूब, पंकज पाण्डे, नफीस, सतनाम सिंह, सुखजीत सिंह, सईद, बबलू, पृथ्वी पाठक, उमेश भट्टð, सरदार सुरजीत सिंह, हरीश पाण्डे, फईम आदि सैकड़ों खनन कारोबारी मौजूद थे ।

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