चुनावी नतीजों पर हरीश रावत भी हुए निराश! बोलेः कांग्रेस के साथ कांटे की टक्कर में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को हारा हुआ मान रही थी भाजपा !

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देहरादून(उद संवाददाता)। चार राज्यों के चुनावी नतीजों पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता हरीश रावत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा है कि चुनावों में हार-जीत एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, एक सजग राजनैतिक दल जीत का भी गहराई से विश्लेषण करता है और पराजय का भी, हम भी करेंगे। हम तेलंगाना जीते, तेलंगाना के लोगों का बहुत-बहुत आभार, तेलंगाना कांग्रेस को बहुत बधाइयां। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हमारी अप्रत्याशित हार है। मध्य प्रदेश पहले से ही कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई दे रहा था, चुनाव के नतीजे कुछ और कह रहे हैं, कोई एक योजना इतना बड़ा निर्णायक असर नहीं डाल सकती है। छत्तीसगढ़ में हम कितनी भी गलतियां करते तो भी कांटे की टक्कर में हमको सरकार बनाने लायक बहुमत मिलना चाहिए था, जो नहीं मिल पाया। भाजपा प्रारंभ से ही छत्तीसगढ़ को हारा हुआ मान रही थी, विश्लेषक भी यही कह रहे थे। एक अच्छी जन परक सरकार पांच साल देने के बाद जो नतीजे आये उससे हम तो निराश हैं ही हैं, एक अच्छे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी भी अवश्य बहुत गहरे निराश होंगे। राजस्थान में हमने स्थिति सुधारी लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस की चिरंजीवी जैसी अनेक जन परक योजनाएं प्रारंभ हुई। हमें पूरा विश्वास था कि हम राजस्थान जीतेंगे, राजस्थान में स्थिति सुधरी लेकिन हम जीत के नजदीक नहीं पहुंच पाये। लेकिन इन तीनों चुनावों के निष्कर्ष ने एक सवाल बड़ा भारी खड़ा कर दिया है! आखिर इस देश में जनता का मुद्दा है क्या ? महंगाई जो चरम पर है, हर घर का बजट गड़बड़ाया हुआ है। बेरोजगारी, दुनिया में सर्वाधिक बेरोजगारी की वृद्धि दर इस समय भारत में है। मध्य प्रदेश भी उसका कोई अपवाद नहीं है। भ्रष्टाचार यद्यपि भाजपा ने शिष्टाचार में बदल दिया है, लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार से आमजन त्रस्त है। किसानों के सवाल कहां खो गये हैं? मजदूरों के सवाल कहां खो गये हैं? क्या उनकी नाराजगियां यूं ही यदा-कदा सड़कों पर दिखाई देती हैं या वास्तव में वो नाराज हैं, अब बहुत सारे प्रश्न मेरे दिमाग में उमड़-घुमड़ रहे हैं ! मैं अपने मन के इन प्रश्नों को आपसे साझा कर रहा हूं। विजेता तो विजेता है! विजेता घोषित करने का अधिकार चुनाव आयोग को है और उन्होंने एक प्रक्रिया के तहत अपने इस दायित्व को अंजाम दिया है। मैं इस बात को लेकर अधिक कुछ नहीं कहूंगा, मगर इतना अवश्य कहूंगा कि विपक्ष को और उसमें मुख्यतः कांग्रेस को आद्योपांत अपनी चुनावी रणनीति और चुनावी मशीनरी के स्वरूप पर विचार कर अपने को अगले एक महीने के अंदर 2024 के चुनाव के लिए तैयार करना पड़ेगा और हम अपने को तैयार करेंगे।

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