अब सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के विशेषज्ञों की टीम को भी बुलाया गया
जिंदगी बचाने के लिए विशेषज्ञों की जद्दोजहद जारी,हैदराबाद से प्लाज्मा कटर पहुंचा
उत्तरकाशी। दीपावली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं। ऑगर मशीन के फंसे बरमे को काटने के लिए आज तड़के पांच बजे हैदराबाद से प्लाज्मा कटर पहुंच गया है। जिससे अभी तक 27 मीटर बरमे को काटकर निकाला जा चुका है। अभी 18 मीटर तक और काटकर निकाला जाना है।सिलक्यारा सुरंग के अंदर ऑगर मशीन से बचाव अभियान को झटका लगने के बाद अब सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके लिए शनिवार को ड्रिलिंग मशीन को पहाड़ी पर चढ़ाया गया। हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी बचाव दल का जोर सुरंग के अंदर ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू करने पर है। सुरंग के ऊपर से करीब 82 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग की जानी है। जिसमें करीब 48 घंटे तक का समय लग सकता है। हालांकि अभी भी सुरंग के अंदर मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू कर एस्केप पैसेज तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था। इस कार्य में बार-बार मलबे में पड़ी सरिया व लोहे के पाइपों के कारण ड्रिलिंग बार-बार बाधित हो रही थी। गत शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग के दौरान 25 एमएम की सरिया आने के चलते यहां ड्रिलिंग मशीन के ब्लेडों को काफी नुकसान पहुंचा। मशीन का बरमा पाइपों में उलझकर टूट गया, जिससे 800 एमएम पाइपों से तैयार एस्केप पैसेज भी बंद हो गया है। हालांकि, बरमें को टुकड़ों में काटकर निकालने का काम शुरू किया गया, जिसमें लंबा समय लग सकता है।इस बीच सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां तेज की गई हैं, जिसमें शनिवार शाम को एसजेवीएनएल ने ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर पहुंचाया। हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी बचाव दल का जोर सुरंग के अंदर ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू करने पर है। इसकी एक वजह यह भी है कि सुरंग के अंदर मलबे में करीब 47 मीटर तक ड्रिलिंग कर एस्केप पैसेज तैयार कर लिया गया है। वहीं, वर्टिकल ड्रिलिंग में नए सिरे से करीब 82 मीटर तक ड्रिलिंग करनी होगी, जिसमें किसी तरह का बाधा उत्पन्न हुई तो फिर नई समस्या खड़ी हो सकती है। हालांकि, इसके लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के विशेषज्ञों की टीम को भी बुला लिया गया है।
वर्टिकल ड्रिलिंग से पहले मैनुअली मलवा हटाने पर फोकस
उत्तरकाशी। सिलक्यारा में अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नाेल्ड डिक्स की देखरेख में चल रहे ऑपरेशन में विशेषज्ञ वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ ने कहा कि वर्टिकल ड्रिलिंग भी एक विकल्प है, लेकिन संभव है कि वह अंतिम विकल्प हो। सरियों में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को काटने का काम लगातार जारी है। अब वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू किया जा सकता है। हांलाकि अभी मैनुअली मलवा हटाने की रणनीति भी बनायी जा रही है। ऑगर मशीन के फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा। इसके बाद मैन्युअली यानि मजदूर हाथों से खोदाई कर मलबा निकालेंगे। दूसरी योजना के लिए इसमें निर्माणाधीन सुरंग के ऊपरी क्षेत्रा में 82 मीटर दूरी पर खोदाई होगी। इसके लिए मशीन का प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है। मशीन के एक हिस्से को भी वहां पहुंचा दिया गया है। तीसरी योजना सुरंग के दूसरे छोर पाल गांव बड़कोट की तरफ से खोदाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। यह करीब पांच सौ मीटर हिस्सा है। इस अभियान में भी 12 से 13 दिन लगने का अनुमान है।चौथी योजना इसमें सुरंग के दोनों किनारों पर समानांतर ;हॉरिजेंटलद्ध ड्रिलिंग की जानी है। इसका सर्वे हो चुका है। रविवार को इस योजना पर भी काम शुरू किया जा सकता है। गौरतलब है कि सुरंग में करीब 60 मीटिर तक मलवा गिरा हुआ है जबकि सुरंग में गिरे हुए मलवे को हटाने के लिए पहले दिन से ही कोई रणनीति नहीं बनायी गई है। अगर मैनुअली या फिर टनल के बाहरी छूर से ही जेसीबी मशीनों से मलवा हटाकर एस्केप मार्ग बनाने का काम शुरू किया गया होता तो रेस्क्यू अभियान में अधिक विलंब नहीं होता। अब ऑगर मशीन क्षतिगस्त होने के बाद आखरी विकल्प मैनुअली मलवा हटाने का बन रहा है। हांलाकि अब सभी विकल्पों पर काम भी शुरू कर दिया गया है। लिहाजा अगले एक दो दिन में स्थिति बेहतर हो सकती है।