विराट कवि सम्मेलन में कवियों ने खूब लूटी वाहवाही: सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था पर भी कसे तंज

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रूद्रपुर(उद संवाददाता)। अमर शहीदों एवं देश के महापुरूषों की याद में राष्ट्रीय एकता मंच के तत्वावधान में सोमवार शाम जनता इंटर कालेज में आयोजित विराट कवि सम्मेलन में कवियों ने जहां अपने गीतों कविताओं के माध्यम से देशभक्ति का जोश भर दिया वहीं वहीं अपने शब्दों में सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था पर तंज भी कसे। हास्य व्यंग्य की कविताओं ने श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। विराट कवि सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी एवं उद्योगपति शिव कुमार अग्रवाल,विशिष्ठ अतिथि भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा, ठाकुर जगदीश सिंह, भाजपा नेता उत्तम दत्ता, भारत भूषण चुघ, अनिल चौहान आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। सर्वप्रथम कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों के साथ ही कविगणों का स्वागत करते हुए उन्हें सम्मानित किया गया। इसके पश्चात काव्य पाठ शुरू हुआ। कवि सम्मेलन के लिए मंच संचालन की कमान राजस्थान से आये कवि विनीत चौहान को सौंपी गयी। उन्होंने सबसे पहले मंच पर सरस्वती वंदना के लिए कवियित्री मुमताज नसीम को बुलाया। उन्होंने मां शारदे की वंदना कर काव्य पाठ की विधिवत शुरूआत की। इसके पश्चात मंच पर हास्य के कवि पार्थ नवीन ने काव्य पाठ किया। प्रतापगढ़ राजस्थान से आये हास्य के कवि पार्थ नवीन ने अपनी हास्य व्यंग्य की रचनाओं से श्रोताओं को ठहाके लगाने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने अपनी एक कविता कुछ यूं सुनाई- ‘उड़ते रहो हवाओं में कपूर की तरह, बजतो रहो फिजाओं में संतूर की तरह, मुरझाए हुए फूल पे आएंगी तितलियां एंजॉय किजिए शशि थरूर की तरह’। महंगाई पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा-‘ सौ रूपये के एक लीटर को सलाम, पेट्रोल तेरी बढ़ती उमर को सलाम। भीलवाड़ा राजस्थान से आये हास्य के ही मशहूर कवि दीपक पारीक ने भी श्रोताओं को अपनी रचनाओं से खूब गुदगुदाया, साथ ही वर्तमान सामाजिक व्यवस्थाओं पर भी तंज कसे। उन्होंने काव्य पाठ करते हुए कहा-‘गुजरा जो वक्त आज बहारों के बीच में, हमने भी करदी शायरी यारों के बीच में , रिश्ते सुधारने हैं तो दीवार तोड़ देा, क्यों झांकते हो रोज दरारों के बीच में’’। अलीगढ़ से पधारी श्रृंगार की कवियित्री मुमताज नसीम अपनी श्रृंगार रस की कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने एक कविता कुछ यूं सुनाई- ‘कर तो लूँ एतराफे मोहब्बत तुम फसाना बना तो ना दोगे , मैं तुम्हें खत तो लिख दूँ मगर तुम दोस्तों को दिखा तो ना दोगे! एक और कविता में उन्होंने कहा-आज इकरारक र लिया हमने, खुद को बीमार कर लिया हमने, अब तो लगता है जान जाएगी, तुमसे जो प्यार कर लिया हमने। मधुबनी बिहार से आये हास्य के अगले हस्ताक्षर शंभू शिखर ने भी अपनी कविताओं से खूब तालियां बटोरी। उन्होंने सुनाया-‘कितने हसीन देखिए जज्बात ले लिए, लेनी थी जीत हमने मगर मात ले लिए,दूल्हा विचारा रील बनाने में रह गया, दुल्हन ने फेरे पंडित जी के साथ ले लिए। जबलपुर से आये मशहूर कवि सुदीप भोला ने अपनी कविताओं से वर्तमान राजनीति और व्यवस्थाओं पर प्रहार किये तो पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कविता में कहा-‘यह मत सोचो ज्ञान बांटते फिरते हैं,खुशियों का सामान बांटते फिरते हैं, यह दौलत बांटे जाने से बढ़ती है, इसीलिए मुस्कान बांटते फिरते हैं’। इंदौर मध्य प्रदेश से आये कवि अमन अक्षर ने भी अपनी कविताओं से खूब तालियां बटोरी । उन्होंने सुनाया-‘ अलग होते हुए कोई अलग इतना नहीं दिखता,मगर ऊंचाइयों से नींव का हिस्सा नहीं दिखता,उन्हीं आंखों को चश्मे की कहीं ज्यादा जरूरत है,जिन्हें मां बाप का टूटा हुआ चश्मा नहीं दिखता। एक और कविता में उन्होंने कहा-‘सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ राम हैं ।, भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम हैं । पराजय का नहीं होता है कोई शोर मत कहना,जमाने में कहां होते हैं अब चितचोर मत कहना। मुझे लड़ना है दुनिया से अकेले अब तुम्हारे बिन,अगर मैं हार जाऊं तो मुझे कमजोर मत कहना। इटावा उत्तर प्रदेश से आये वीर रस के कवि गौरव चौहान ने अपनी कविताओं से जोश भर दिया। उन्होंने अपनी कविताओं के जरिये कई संदेश दिये। उन्होंने कहा- बरसाती गोलियां हम जब कभी सीने पे खाते हैं, तुम्हें देकर सुरक्षा होंठ पर मुस्कान लाते हैं, ना समझो तुम दिवाली पर जले हैं तेल और बाती, हमारे खून के कतरों से दीपक झिलमिलाते हैं। एक कविता में उन्होंने राजनीतिक हालातों पर प्रहार करते हुए कहा-‘ पथ्वी राणा वीर शिवा की अमिट विरासत वाले हैं, तुम्हें मुबारक हो इण्डिया, हम तो भारत वाले हैं। लखनऊ से पधारी श्रंृगार की कवि शशि श्रेया ने भी अपनी रचनाओं से माहौल को खुशनुमा बना दिया। उन्होंने कविता में कहा-‘वो फिसलते गए मैंने टोंका नही।प्रेम मोहताज है बंधनों का नही। वो किसी और के हैं यही सोंचकर, उनको जाने दिया मैंने रोंका नही।वीर रस के विख्यात कवि विनीत चौहान ने अपनी कविताओं से पूरे पंडाल में जोश भर दिया। उनकी कविताओं पर लोग खड़े होकर ताली बजाने को मजबूर हो गये। उन्होंने कविता पाठ में कहा- ‘ ये धरती रण में दुश्मन का, कोई एहसान नहीं रखती, जुगनू की ड्योढ़ी पूजे जो, ऐसा दिनमान नही रखती, सीमा पर दुश्मन की जाकर जो मां का दूध जला जाए, भारत मां ऐसी कोई भी कायर संतान नहीं रखती। वीर रस की एक और कविता में उन्होंने कहा- सीमा नहीं खिंचा करती है, कागज की बिछली लकीरों से, ये धरती बढ़ती रहती है वीरों की शमशीरों से।। कवि सम्मेलन देर रात तक चला। बड़ी संख्या में लोग कविताओं सुनने के लिए अंत तक जमे रहे। कार्यक्रम का संचालन संयोजक राजकुमार ठुकराल, भारत भूषण चुघ एवं एडवोकेट दिवाकर पाण्डे ने किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, जसविंदर सिंह खरबंदा, विजय भूषण गर्ग, संजय ठुकराल, राजेन्द्र गिरधर, राजीव अरोरा, पवन वर्मा, संजय जुनेजा, चन्द्रकला राय, विक्की मुंजाल, साहिल जुनेजा,पुष्कर राज जैन, केके दास, हिमांशु शुक्ला, सौरभ चिलाना, रौनिक नारंग, हिमांशु गावा, सीपी शर्मा, अजय ठुकराल, हरीश जल्होत्रा, रमेश कालड़ा, मुलख राज ठुकराल, वेद ठुकराल, राजीव गंगवार, रामप्रकाश गुप्ता, पवन अग्रवाल,राजेश ग्रोवर, आशीष छाबड़ा, बंटी कोली, बलराम अग्रवाल, धीरेन्द्र मिश्रा, मोहन लाल भुड्डी, मनोज अरोरा, वंशीधर गुम्बर, मनीष शुक्ला, सुशीला मेहता, कमल तलवार, सूरज सक्सेना, राधेश्याम शुक्ला,सुषमा अग्रवाल, रमेश धींगड़ा, हरविंदर सिंह चुघ, शंकर चक्रवर्ती, अजमेर सिंह, सतीश अरोरा, जगदीश टंडन, गगन ग्रोवर, तारा चन्द्र अग्रवाल, अमित जैन लोहिया आदि समेत सैकड़ो लोग मौजूद थे।

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