‘दीपावली’ पर गणेश पूजन को लेकर बड़ी ‘शंका’ ?
रूद्रपुर। कभी-कभी लोग श्रद्धा से वशीभूत होकर अथवा किसी धार्मिक चलन के अनुसरण में उत्साहवश कुछ ऐसे धार्मिक कार्य करने लग जाते हैं, जो शास्त्र सम्मत नहीं होते। दरअसल ,हिंदू धर्म में के कुछ त्योहारों का भौगोलिक महत्व होता है और तादानुसार धार्मिक कर्मकांड की भौगोलिक बंदिशें भी होती हैं, परंतु परंपरा के अनुसरण एवं श्रद्धा एवं उत्साह के अतिरेक के चलते धार्मिक कर्मकांड में कभी-कभी इन भौगोलिक बंदिशो की बिल्कुल ही अनदेखी कर दी जाती है। धार्मिक परंपराओं के अनुसरण में भौगोलिक बंदिशो की ऐसी अनदेखी हमें गणेश चतुर्थी के त्योहार पर गणेश विसर्जन के दौरान दिखाई देती है इस त्यौहार पर विसर्जन के दौरान भगवान गणेश को अगले वर्ष फिर आने का निमंत्रण दिया जाता है। देखा जाए तो गणपति को अगले वर्ष आने का निमंत्रण दिया जाना दक्षिण में तो शास्त्रोचित है ,लेकिन उत्तर में भगवान गणेश का विसर्जन करना और उन्हें अगले वर्ष आने का निमंत्रण दिया जाना उचित नहीं है। वह इसलिए क्योंकि धर्म शास्त्रों के अनुसार उत्तर में ही भगवान गणेश का निवास स्थान माना गया है और यहां वे सदैव विराजमान रहते हैं। उल्लेखनीय है की कुछ कुछ अरसा पूर्व तक गणेश चतुर्थी का त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में ही मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह त्यौहार पूरे भारत विशेष कर उत्तर भारत में भी मनाया जाने लगा और स्थान स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाने लगी और परंपरा अनुसार उनका विसर्जन भी किया जाने लगा। गणेश विसर्जन की परंपरा महाराष्ट्र एवं गुजरात में तो उचित है, लेकिन उत्तर भारत में गणेश विसर्जन के बाद उन्हें अगले बरस आने के लिए कह देने के पश्चात अब प्रश्न यह उठता है कि जब हमने भगवान गणेश जी का विसर्जन करके उन्हें अगले वर्ष आने के लिए कह दिया, तो अब भगवान गणेश दीपावली पर हमारे बुलाने पर इसी वर्ष हमारे घर क्यों पधारेंगे ? यहां पर यह बताना आवश्यक है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान गणेश का निवास स्थान उत्तर ही माना गया है ।पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश केवल एक सप्ताह के लिए माता गौरा के साथ उत्तर से दक्षिण अपने भाई कार्तिकेय जी से मिलने गए थे। मान्यता के अनुसार दोनों भाई महाराष्ट्र में मिले थे। इसीलिए गणेश उत्सव का पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र में ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इस उत्सव की समाप्ति पर विसर्जन के समय उन्हें अगले बरस फिर आने का निमंत्रण दिया जाता है। उत्तर में निवास होने के कारण भगवान गणेश क्योंकि यहां हमेशा विराजमान रहते हैं ,इसलिए उत्तर में उनका विसर्जन शास्त्रोचित नहीं है और गणेश चतुर्थी पर यदि हमने उनका विसर्जन करके उन्हें अगले बरस आने के लिए कह दिया है, तो ऐसे में वे दीपावली पर हमारे घर क्यों पधारेंगे ?यह एक बड़ी शंका है, जो की श्रद्धालुओं के मन में अक्सर उमड़ती- घुमड़ती रहती है,जिसका समाधान हिंदूधर्माचार्यों द्वारा किया जाना बेहद जरूरी है। यहां पर यह स्पष्ट करना नितांत आवश्यक है की हिंदू धर्म से संबंधित कोई भी छोटी- बड़ी पूजा गणेश जी की भगवान गणेश के आवाहन के बिना संपूर्ण नहीं होती और हर धार्मिक अनुष्ठान में गणपति के आवाहन की धार्मिक परंपरा है ,लिहाजा दीपावली पर भी भगवान गणेश का आ“वान किया जाएगा और संपूर्ण विधि विधान से उनकी पूजा की जाएगी। बावजूद इसके यह सवाल अपनी जगह बराबर मौजूद रहेगा की अगले बरस आने के लिए कह दिए जाने के बाद क्या भगवान गणेश दीपावली पूजन में उपस्थित होंगे?