‘उजाड़े’ गए व्यापारियों को मुंह चिढ़ाता ‘सरकारी अतिक्रमण’
रूद्रपुर। एनएच-87 चौड़ीकरण एवं जी-20 प्रतिनिधि सम्मेलन की आड़ लेकर तहस-नहस कर दी गई लोहिया मार्केट के छोटे -मझौले व्यापारी, पुनर्वास की गुहार लगाते हुए जहां एक ओर दर-दर भटकने को मजबूर हैं, वही दूसरी ओर शासन- प्रशासन के अनेक महकमों का अतिक्रमण, एनएचएआई द्वारा नोटिस दिए जाने के बावजूद अपने स्थान पर पूर्व की भांति जस का तस मौजूद है तथा सरकारी भेदभाव का स्मारक बन, अतिक्रमण पर शासन-प्रशासन के दोहरे मानदंड को बड़ी ही स्पष्टता से रेखांकित कर रहा है।
बताना होगा कि एनएच-87 चौड़ीकरण की राह में अपने मौजूदा अतिक्रमण के चलते बाधा बन रहे शासकीय विभागों में वे विभाग ;पुलिस एवं नगर निगमद्ध भी शामिल हैं, जो जनसाधारण के मकान ,दुकान अथवा किसी अन्य निर्माण संरचना के किसी छोटे से हिस्से के शासकीय जमीन पर पाए जाने की स्थिति में, उसे जमींदोज करने के लिए पूरे लाव लश्कर के साथ जन सामान्य की छाती पर चढ़ जाते हैं। लेकिन शासन प्रशासन के उपरोक्त विभाग अपने अतिक्रमण को हटाने के प्रति तनिक भी संजीदा नजर नहीं आते। लिहाजा शासन प्रशासन के इन विभागों- अनु भागों का अतिक्रमण ,अतिक्रमण हटाओ अभियान का शिकार बन चुके आमजन को न सिर्फ मुंह चढ़ता हुआ प्रतीत होता है, बल्कि उनके बेरोजगार हो जाने की पीड़ा को और भी बढ़ा देता है। हैरत की बात तो यह है की एनएच-87 से अभी तक अतिक्रमणों न हटने वाले सरकारी महकमों में से उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान ने तो एसएलओ कार्यालय से मुआवजा लेकर नई चहारदीवारी और गेट भी बना लिया है ,लेकिन इसका पुराना गेट व चेकपोस्ट अभी भी जस का तस खड़ा हुआ है। इसी तरह 31वीं वाहिनी पीएसी और उद्यान विभाग ने भी नई चहारदीवारी का निर्माण कर लिया है। पर इनका भी अतिक्रमण अभी भी पूर्वत मौजूद है। स्पष्ट कर दें कि जी-20 सम्मेलन से पहले एनएच-87 चौड़ीकरण की जद में आईं 130 दुकानों को जिला प्रशासन द्वारा जब 17 मार्च को भारी पुलिस फोर्स मौजूदगी में ध्वस्त किया गया था, तो व्यापारियों ने सरकारी अतिक्रमण को नहीं हटाए जाने पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद एनएचएआई की ओर से सरकारी अतिक्रमण स्वयं हटा लेने के लिए एसएसपी कैंप कार्यालय, कोतवाली, बीएसएनएल, पोस्ट ऑफिस, नगर निगम ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, 31वीं वाहिनी पीएसी और उद्यान विभाग को नोटिस जारी किए गए गए थे ,लेकिन सरकारी विभागों के अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जब सरकारी विभाग के अधिकारियों ने अपने अतिक्रमण स्वयं हटाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई ,तो एनएचएआई की ओर से सरकारी कार्यालयों के बाहर नोटिस चस्पा भी किया गया।मगर उपरोक्त सरकारी विभागों के अधिकारियों के कानों में जू तक नहीं रेगी और सात माह से अधिक समय गुजरने के बाद भी हालात ऐन पहले जैसे ही है।क्योंकि रुद्रपुर की रामपुर सीमा से काठगोदाम तक;फेस-2द्ध 49.7 किलोमीटर सड़क का निर्माण किए जाने के क्रम में एनएच-87 को 44 से बढ़ाकर 60 मीटर चौड़ा किया जाना है, इसलिए खबर है कि अब जल्द ही एनएचएआई की ओर से इन सरकारी अतिक्रमण पर भी बुलडोजर चलाया जाएगा। बताया जा रहा है कि हाईवे निर्माण कर रही गाबड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस दिशा में अपना सर्वे भी आरंभ कर दिया है।