प्रधानमंत्री विश्वकर्म योजना के प्रथम चरण में हुआ कुमाऊं के चार जिलों का चयन
महानिदेशक उद्योग ने संबंधित जिला अधिकारियों को जारी किए आवश्यक निर्देश
-अर्श-
रूद्रपुर। कुमाऊं का पार्वतीय अंचल हस्तशिल्प की दृष्टि से बेहद समृद्ध है।यहां लकड़ी के फर्नीचर, हस्तशिल्प, ऊनी शाल, कालीन, ताम्र शिल्प, सजावटी कैंडल, रिंगाल के उत्पाद, ऐपण, लौह शिल्प आदि बहुत शानदार पारंपरिक कार्य विभिन्न क्षेत्रों की पहचान बने हुए हैं। रिंगाल और बांस की ही बात करें तो यह पिथौरा गढ़, चमोली, अल्मोड़ा आदि जिलों का प्रमुख हस्तशिल्प उद्योग है। इससे सूप, डाले या डलिया, टोकरी, कंडी, चटाई, मोस्टा आदि हस्तशिल्प वस्तुएं बनाई जाती हैं।कहने की जरूरत नहीं की देवभूमि की पारंपरिक हस्तकला एवम हस्तशिल्प तो सदैव ही बेहद शानदार रही है ,लेकिन उपभोक्ता की जरूरतों के अनुशार उत्पाद के निर्माण का प्रशिक्षण अभाव, जरूरी पूजीगत निवेश और बाजार की कमी के कारण, इससे जुड़े कारीगर लगातार संघर्ष करते रहे हैं। सरकारी दावे की माने तो अब इन हस्तशिल्पकारों के संघर्ष के दिन अब समाप्त होने वाले हैं और प्रस्तावित प्रधानमंत्री विश्वकर्म योजना इनके लिए वरदान साबित होने जा रही है। बताया जा रहा है कि हस्तशिल्प से जुड़े चयनित कारीगरों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत 15 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा प्रशिक्षण की अवधि के दौरान 500 रुपए प्रतिदिन का अनुदान और औजार खरीदने के लिए 15 हजार सहयोग राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही अपना व्यवसाय शुरू करने या आगे बढ़ाने के लिए पहले 1 लाख ,उसके बाद दो लाख रुपए का लोन 5 फीसद बयाज पर बिना किसी गारंटी के दिया जाएगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि चयनित कारीगर या शिल्पकार जो सामान तैयार करेंगे ,उसकी बिक्री की चिंता भी सरकार करेगी। फिलहालप्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लिए पहले चरण में कुमाऊं मंडल के चार जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ का चयन किया गया है।शासन ने चारों जिलों के जिलाधिकारियों को संबंधित जिलों की ग्राम पंचायतों के प्रधानों को योजना के पोर्टल पर ऑनबोर्ड करने के निर्देश दिए हैं।इस संबंध में महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा ने चारों के जिलों जिलाधिकारियों को एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि पीएम विश्वकर्मा योजना का 17 सितंबर को उद्घाटन हो चुका है और अब इसे चरणबद्ध तरीके से धरातल पर अमली जामा पहने जाने के लिए प्रतिबद्ध कोशिश की जरूरत है। हासिल जानकारी के मुताबिक इस योजना के अंतर्गत प्राप्त ऑनलाइन आवेदन पत्रों का सत्यापन तीन चरणों में होगा। पहले चरण में ग्राम प्रधान व नगरीय क्षेत्रों में नगर निकायों के अधिशासी अधिकारी सत्यापन करेंगे।दूसरे चरण में डीएम की अध्यक्षता में गठित जिला कार्यान्वयन समिति और तीसरे व आखिरी चरण में डीएफओ, एमएसएमई केंद्र सरकार की अध्यक्षता में गठित राज्यस्तरीय समिति। योजना के पहले चरण में राज्य के चार पर्वतीय जिलों में ग्राम पंचायत प्रधान कॉमन सर्विस सेंटर ;सीएससीद्ध के माध्यम से पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर ऑनबोर्ड होंगे। इसके लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को काम धंधा शुरू करने के लिए सरकार सस्ता लोन देगी। योजना में 18 पारंपरिक कार्यों के लाभार्थियों को सबसे पहले ट्रेनिंग और स्टाइपेंड का प्रावधान है।पात्र लाभार्थियों में बढ़ई, नाव बनाने वाला, अस्रकार, लोहार, मरम्मत करनेवाला, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, सुनार, पॉटर, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी और झाड़ू निर्माता, गुड़िया और खिलौना निर्माता, नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने के जाल के निर्माता आदि को शामिल किया गया है। इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी को अपना अधिवास प्रमाण पत्र, कौशल प्रमाणपत्र, मोबाइल नंबर, राशन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता पासबुक, खाता संख्या, नमूना हस्ताक्षर आदि उपलब्ध कराना होगा। प्रधानमंत्री विश्व कर्मा योजना के पहले चरण में राज्य के चार पर्वतीय जिलों में ग्राम पंचायत प्रधान कॉमन सर्विस सेंटर ;सीएससीद्ध के माध्यम से पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर ऑनबोर्ड होंगे और इसके लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है।