उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारियो निरंतर पिछड़ती जा रही कांग्रेस !

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कांग्रेस के कुछ क्षत्रप राज्य से बाहर व्यस्त तो कुछ क्षेत्र विशेष तक सीमित, भाजपा के बड़े नेताओं के लगातार उत्तराखंड दौरे से भाजपा कार्यकर्ताओं का बढ़ा मनोबल

-अर्श-
रूद्रपुर। भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता एक के बाद एक  उत्तराखंड का दौरा कर ,जहां राज्य में भाजपा की पकड़ और भी मजबूत करते हुए कार्यकर्ताओं में एक नया जोश फूंक कर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं, वही कांग्रेस अपने अधिकांश बड़े नेताओं की राज्य से बाहर व्यस्तता एवं शेष बड़े नेताओं के क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रहने के कारण उत्तराखंड में ठंड बढ़ने से पहले ही ठंडी पड़ गई नजर आ रही है। लिहाजा आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर कांग्रेस भाजपा की तुलना में काफी पिछड़ती नजर आ रही है। देखा जा रहा है कि उत्तराखंड में भाजपा के बड़े नेताओं का एक के बाद एकआगमन राज्य की सियासत को लगातार गरमा रहा है। पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे ने भाजपाइयों को बूस्टर डोज देने का काम किया है। इन दिग्गज भाजपा नेताओं के समय-समय पर उत्तराखंड में होने वाले दौरे इस बात का संकेत दे रहे हैं कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में पूरी गंभीरता के साथ जुट गया है। वहीं, कांग्रेस के बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी खुद कांग्रेसियों को अच्छा खासा खल रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार तक सीमित हो गए दिख पड़ रहे हैं ।उम्र के इस पड़ाव में शायद वे अपने राजनीतिक जीवन का बड़ा और संभवतया आखिरी दांव हरिद्वार से खेलना चाहते हैं। इसलिए वह हरिद्वार से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता प्रीतम को एआईसीसी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी है। वह छत्तीसगढ़ में दो चरणों में होने वाले चुनाव में वहां 17 नवंबर तक व्यस्त रहेंगे। इतना ही नहीं केंद्रीय चुनाव समिति ;सीईसीद्ध का सदस्य होने के नाते वह चार अन्य राज्यों मिजोरम,मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव में भी व्यस्त रहेंगे। साफ है कि उत्तराखंड में वह दिसंबर के बाद ही सक्रिय हो पाएंगे। पार्टी के तीसरे बड़े नेता व पूर्व पीसीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी इस बार एआईसीसी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह मिली है। इसके अलावा राजस्थान में चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी में बतौर सदस्य उन्हें शामिल किया गया है। ऐसे में पांच राज्यों के चुनाव में गोदियाल भी लंबे समय तक व्यस्त रहने वाले हैं,जबकि उन्हें पौड़ी लोकसभा सीट से एक बेहद मजबूत दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरी ओर हरक सिंह रावत ,जो पिछले कुछ समय तक हरिद्वार में खासे सक्रिय दिखाई दिए थे, मगर पाखरो टाइगर सफारी मामले में सीबीआई जांच शुरू होने के बाद , उनके तेवर भी ढीले पड़ गए नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर उत्तराखंड की कांग्रेसी सियासत में फिलहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ही मोर्चे पर डटे हुए हैं। करन माहरा और यशपाल आर्य लगातार गढ़वाल एवं कुमाऊं में कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे और कांग्रेस के छोटे बड़े कार्यक्रमों में भाग लेकर पार्टी की गतिविधियां काफी हद तक सुचारू बनाए रखने की भरसक कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सभी स्थानीय क्षत्रपों के अभाव में कांग्रेस के भीतर वह आक्रामकता दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही, जिसके बदौलत वह आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा से उत्तराखंड की पांच की पांचों लोकसभा सीट छीन सके। इसके अलावा कांग्रेस की एक बड़ी समस्या उसके नेताओं का ‘अपनी डफली अपना राग वाला रवैया’ भी है। हाल ही में संपन्न हुए प्रधानमंत्री उत्तराखंड के उत्तराखंड दौरे की जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा एवं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य तथा उप नेता भुवन कापड़ी ने अपने-अपने तरीके से आलोचना की थी, वही कांग्रेस के धारचूला विधायक हरीश धामी एवं लोहाघाट विधायक खुशाल सिंह अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संयुक्त दौरे की प्रशंसा करके अपने ही वरिष्ठ नेताओं के विरोध की हवा निकाल दी। फलस्वरुप अब इन विधायकों के बयानों के सियासी निहितार्थ तो निकले ही जा रहे हैं, साथ ही विधायकों की यह बयान बाजी कांग्रेस का कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ने वाली भी साबित होती दिख पड़ रही है।

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