जयपुर में पवित्र सावन मास पर आयोजित श्रावणी शिवमहापुराण कथा में शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। कथा के पहले दिन से ही लोगों ने बढ़-चढ़कर शिवमहापुराण कथा में भाग लिया। कथा के दौरान आचार्य सतीश सद्गुरूनाथ जी ने बताया कि श्रावण मास में शिव पुराण की कथा के श्रवण करने से कई गुणा यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है। गुरूदेव ने कहा कि जयपुर की धरती सस्कृति और संस्कारों की धानी है। यहां पर भांति-भांति के लोग एक साथ रहते हैं जैसे बाबा शिव के साथ सम और विषम दोनों एक साथ रहते हैं। जहाँ हर धर्म सम्प्रदाय का सम्मान और मान हो एवं गरीब अमीर सब मिल कर रहें और जनमानस में प्रेम की भावना हो ये सब राजस्थान की पहचान है।“गुरू शंकर रूपिणौं “। गुरू जैसे दिशा दिखाते हैं वैसे ही महादेव मार्गदर्शन करेंगे। देश ने चॉद की धरती पर अपना कदम रख दिया है।। राष्ट्र के बौद्धिक एवं आत्मिक बल में ऐसे ही वृद्धि होगी । चारो तरफ खुशियों का माहौल रहेगा। शिव भक्ति करने वालों को मनोरथ की सिद्धि होगी।गौरतलब है कि शिव महापुराण कथा के दौरान भगवान शिव का वर्णन, भक्ति के गूढ़ रहस्य, भगवान शिव को प्रसन्न करने के तरीक़े और अद्धनारीेश्वर शिव के चमत्कारिक रहस्यों के बारे में बताया जा रहा है।आयोजकों का मानना है कि इस महाआयोजन से लोगों में आध्यात्मिक,बौद्धिक रूप से नई चेतना का संचार होगा और वो कर्म क्षेत्र में बेहतर योगदान दे पाएंगे। लोग शिव की अलौकिक शक्तियों को जान भी पाएंगे और श्रवण मास में भगवान शिव की महिमा कथा ओर उनकी भक्ति का वर्णन सुन जीवन धन्य करेंगे। आज के तनाव भरे जीवन में हर मनुष्य प्रेम और शांति की खोज में रहता है और ऐसे में उनके विचार मनुष्य के मन को सुकून और प्रेम एवं आत्मीयता का अनुभव करवाते है। गुरु जी के ज्ञान की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह बड़ी से बड़ी बात को बहुत सहजता से कह देते है।
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