रामनगर में सड़कों पर उतरे लोग: यशपाल आर्य ने कहा,सरकार ने प्रदेश में डर एवं भय माहौल बना दिया
रामनगर । अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़े जाने के विरोध में बुधवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने सरकार के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध किया। वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी हल्लाबोल में भाग लेकर पीड़ितों को अपना समर्थन दिया। प्रदर्शनकारियों ने रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय पहुंच कर अपना विरोध दर्ज कराया। विधायक कार्यालय के बाहर मौजूद भारी पुलिस बल ने एक भी प्रदर्शनकारी को कार्यालय के अंदर नहीं घुसने दिया। बता दें कि सरकार द्वारा सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं जिसको लेकर कई विभागों द्वारा सरकारी जमीन को खाली कराने को लेकर उसमें कब्जा कर बैठे लोगों को नोटिस देकर घर खाली करने की चेतावनी दी गई है। सरकार के इस आदेश का लगातार पीड़ित विरोध कर रहे हैं। इसी को लेकर बुधवार को सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उरतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। भारी संख्या में मौजूद ग्रामीणों ने विधायक के कार्यालय के बाहर सड़क पर बैठकर नारेबाजी कर सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग की। इस दौरान वक्ताओं ने कार्यालय में विधायक की मौजूदगी ना होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की उन्होंने कहा कि एक ना एक दिन विधायक को जनता के बीच आकर जवाब देना पड़ेगा और जब तक सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।वहीं पीड़ित परिवारों के समर्थन में कांग्रेस द्वारा आयोजित हल्ला बोल कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी रामनगर पहुंचे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का पीड़ित ग्रामीणों ने विशाल रैली निकालकर वन परिसर पहुंचते हुए हंगामेदार सभा की सभा में बोलते हुए पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने कहा कि सरकार आज गरीबों को उजाड़ने की बात कर रही है लेकिन पुनर्वास और मुआवजे को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि गरीबों को उजाडा गया तो इसके गंभीर परिणाम सरकार को भुगतने पड़ेंगे । नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि सरकार का निर्णय पूरी तरह गलत है उन्होंने कहा कि आज सरकार ने प्रदेश में डर एवं भय माहौल बना दिया है जोकि प्रदेश की जनता के हित में उचित नहीं है उन्होंने सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।