उजाड़े जाने के खिलाफ महापंचायत में गरजे वन ग्रामों में रह रहे लोग

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रामनगर। शहर व आसपास के ग्रामीणों क्षेत्रों के अलावा वन ग्रामों में रह रहे लोगों को हटाए जाने के लिए कई विभागों द्वारा मकान खाली करने के नोटिस देने की कार्रवाई के खिलाफ लोग मुखर हो गये हैं। विभागों का कहना है कि यह सभी लोग सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा करने के साथ ही अतिक्रमण करके बैठे हैं। जिन क्षेत्रों में नोटिस देने की कार्रवाई की गई है तब से ही यहां रह रहे लोगो की नींद उड़ चुकी है । वही कई घरों में चूल्हे जलने भी बंद हो गए हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ लगातार पीड़ित लोग धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को आगाह कर रहे हैं जिसको लेकर रविवार को वन परिसर में एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें कई राजनैतिक व गैर राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा जनप्रतिनिधियों ने भी भागीदारी करते हुए एक समिति का गठन करते हुए कहा कि गठित समिति द्वारा पीड़ित लोगों की इस समस्या को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जाएगा और अदालत का दरवाजा भीखटखटाया जाएगा। महापंचायत के दौरान वक्ताओं ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आज सरकार जिन्हें उजाड़ने का काम कर रही है तो वही उन्हें बसाने की कोई नीति सरकार के पास नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में लैंड जिहाद नहीं बल्कि लैंड लूट का काम कर उत्तराखंड को तबाह करने पर तुले हुए हैं जो अब सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार गरीबों को उजाड़ने पर तुली रही तो रामनगर में किसी भी भाजपा नेता को घुसने नहीं दिया जाएगा और उस नेता का पुरजोर विरोध किया जाएगा। वक्ताओं ने सरकार से गरीबों को उजाडे जाने वाली नीति का विरोध करते हुए कहा कि सरकार और संबंधित विभाग गरीब जनता के हित में अपने निर्णय को वापस ले अन्यथा भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने को भी तैयार रहें।

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