धामी सरकार ने नजूल नीति में संशोधन कर हजारों गरीब परिवारों को दी बड़ी राहत

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रूद्रपुर (उद संवाददाता)। क्षेत्रीय विधायक शिव अरोरा द्वारा स्थानीय गरीब परिवारों को नजूल भूमि पर मालिकाना हक दिये जाने के लिए की जा रही मेहनत आखिरकार रंग लाई। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केबिनेट की बैठक में नजूल भूमि पर बसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मानकों के दायरे में पचास वर्ग मीटर भूमि पर निःशुल्क मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। विधायक श्री अरोरा का कहना है कि केबिनेट द्वारा नजूल नीति में किये गया संशोधन के पश्चात अब सभी वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा। क्योंकि पूर्व की नजूल नीति में बीपीएल परिवार को मालिकाना हक देने का जिक्र था। केबिनेट ने इसके साथ ही 2021 नजूल नीति मे संशोधन करते हुए एक साल की अवधि भी बढ़ा दी है । साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित नजूल अधिनियम के तहत बनने वाली नियमावली यदि इससे पहलंे बन जाती है तो यह समय सीमा समाप्त मानी जायेगी। अब नये संशोधन से करीब दस हजार परिवारों को नजूल भूमि पर मालिकाना हक मिल सकेगा। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड का यह तराई क्षेत्र दशकों पूर्व पूरी तरह से बंजर था। आजादी के बाद पाकिस्तान से आये विस्थापितों तथा स्वतंत्रता सेनानियों को रूद्रपुर, किच्छा सहित आस पास के क्षेत्रों में भूमि देकर बसाया गया था। जिसके पश्चात वर्ष 1971 में हुए भारत पाकिस्तान के युदध के बाद पूर्वी बंगलादेश के विस्थापित लोगों को बसाया गया। जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इस बंजर भूमि को सोना उगलने वाली भूमि में परिवर्तित किया। 50 वर्ग मीटर से कम नजूल भूमि पर बसे परिवारों को मालिकाना हक देने के लिए कई बार नजूल नीति बनाई गई। समय समय पर इसमें संशोधन भी होते रहे। वर्ष 2021 में बनी नजूल नीति की अवधि 11दिसंबर 2022 तक बढ़ाई गई थी। जिसमें नजूल भूमि पर बसे बीपीएल परिवारों को 50 वर्ग मीटर तक निःशुल्क भूमि देने का जिक्र था। लेकिन इसकी परिभाषा स्पष्ट न होने से लोग इसका लाभ नहीं ले पाये। नजूल नीति में कड़े प्रावधानों के चलते आम लोग भी इस योजना का लाभ नही उठा पाये। नीति का लाभ सिर्फ प्रभाव शाली लोगों तक ही सीमित रह गया था।

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