हरीश रावत की 600 से अधिक पन्नों की पुस्तक ‘मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत’ में चौंकाने वाले किस्सों से गरमायी सियासत
देहरादून में शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने किया पुस्तक का विमोचन
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कई राजनीतिक घटनाक्रमों का उल्लेख किया
देहरादून(उद संवाददताता)। राजधानी देहरादून मे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत द्वारा विभिन्न समय पर लिखे गए लेखों का संकलन ‘मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत’ पुस्तक का विमोचन शनिवार को नीरजा ग्रीन्स बेंकट हॉल मे मुख्य अतिथि जगतगुरु शंकराचार्य राज राजेश्वराश्रम महाराज जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य,विधायक श्री हरीश धामी , विधायक श्रीमती अनुपमा रावत , पूर्व विधायक श्री मनोज रावत सहित भारी संख्या में आमंत्रित लोगों के साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पदाधिकारी मौजूद रहे। करीब 600 से अधिक पन्नों की इस किताब में हरीश रावत ने अपने जीवन काल में हुए घटनाक्रमों का उल्लेख किया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की किताब में हरीश रावत की राजनीतिक करियर से जुड़े अनुभव और कांग्रेस की विचारधारा के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य के गठन की बातें लिखी गई हैं। इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत और पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की भूमिका का जिक्र किया है। पुस्तक के विमोचन के मौके पर हरीश रावत ने कहा वह जगतगुरु शंकराचार्य और तमाम लोगों के आभारी हैं जिन्होंने स्नेह जताया। हरीश रावत ने अपनी पुस्तक के कुछ पन्नों पर आलोचना करने वाले लोगों को भी धन्यवाद करते हुए कहा कि किसी भी किताब को लॉन्च करने से पहले विवाद भी जरूरी होता है- आलोचकों और समालोचकों का आभारी हूं- जिन्होंने पुस्तक को लेकर टिप्पणियां की हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि पुस्तक में उत्तराखंडियत की बात की गई है। भाजपा को इस किताब को पढ़कर लाभान्वित होना चाहिए। पुस्तक में गोविंद बल्लभ पंत का जिक्र किए जाने पर हरीश रावत ने कहा यह एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है, क्योंकि, उत्तर प्रदेश के विभाजन की जब बात आई थी तब गोविंद बल्लभ पंत ने नेहरू से कहा था कि यह मेरा विशाल शरीर उत्तर प्रदेश है। इसका विभाजन नहीं होना चाहिए, तब पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में जब उत्तराखंड को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की बात सामने आई उस दौरान एनडी तिवारी ने गोविंद बल्लभ पंत का उदाहरण देते हुए वही बात दोहराई थी। हरीश रावत की किताब में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का जिक्र किया गया है। पुस्तक के पेज नंबर 351 हरीश रावत ने उल्लेख किया है कि उनके प्रस्ताव पर तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव, उत्तराखंड को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर सहमत थे। इसके लिए उत्तराखंड के नेताओं को बुलाया गया था। उन्होंने तिवारी को भी न्यौता दिया, लेकिन तिवारी पहले ही केंद्र में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे ऐसे में उन्होंने नाम लेते हुए कहा कि गोविंद बल्लभ पंत ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से कहा था उत्तर प्रदेश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। वह भी ऐसा ही सोचते हैं- यह सुनते ही निराश राव बैठक से चले गए- बैठक में नरसिंहा राव मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। इसके साथ ही पुस्तक में तमाम घटनाक्रमों का जिक्र भी हरीश रावत ने किया है जिसमें उत्तराखंड राज्य गठन से जुड़े रानीतिक घटनाक्रम का विस्तृत उल्लेख करते हुए हरीश रावत ने कई चौंकाने वाले तथ्यों को प्रकाशित किया है। उन्होंने दावा किया है जो लोग हरीश रावत और कांग्रेस को अक्सर उत्तराखंड का विरोधी बताने का दांव खेलकर सियासी रोटियां सेकने का काम करते है वह सच्ची बातों से निराश हो रहे है। कांग्रेस कर उत्तराखंड की सियासत करने वाले नेताओं की बयानबाजी पर भी अपनी लंबी सियासी लकीर खींचने का प्रयास किया है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उनकी लिखी किताब के विमोचन पर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि हरीश रावत का लंबा राजनीतिक कैरियर रहा है- वे किताब में अपने जीवन के सभी राजनीतिक उतार-चढ़ाव को पन्नों पर उतारा है, जिसे लोगों को जरूर पढ़ना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के विभाजन से लेकर उत्तराखंड में 2016 में लागू हुए राष्ट्रपति शासन के घटनाक्रम पर लिखे अध्याय
देहरादून। पूर्व सीएम हरीश रावत की उत्तराखंडियत पुस्तक में वर्ष 2016 में उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन पर चार अध्याय लिखे गए हैं। रावत ने लिखा कि हरिद्वार जिले के एक विधायक के घर से पूर्ण भुगतान की सूचना आने से आधे घंटे पहले तक उनसे जिलाधिकारी को जरूरी निर्देश दिलवा रहे थे। इसी तरह एक विधायक उनके साथ आनंदपूर्वक लंच करके गईं और अपने खास मंत्री की तरफ से डील पूरी होने की सूचना पर थोड़ी देर में पाला बदल गईं। रावत के मुताबिक, तब फौरी राहत के लिए उन्होंने भाजपा विधायकों को कुछ समय के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे उनके सहयोगियों ने स्वीकार नहीं किया। इस तरह दल-बदल टालने का मौका हाथ से चला गया। इसके चलते बने घटनाक्रम से उनके नाम तीन साल में चार बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ। पूर्व सीएम हरीश रावत ने तिवारी के साथ रिश्तों को विस्तार से बताते हुए कहा है कि 1991 तक वो कांग्रेस की राजनीति में काफी आगे बढ़ चुके थे, लेकिन तिवारी के भी प्रिय बने हुए थे। राजीव गांधी की हत्या के बाद मतगणना से पहले पीएम पद की दावेदारी को लेकर तिवारी उनके पास आए। इस दौरान उन्होंने तिवारी से अपनी खुद की और तिवारी की भी संभावित हार की आशंका जाहिर कर दी, यहां से तिवारी का आशीर्वाद उनसे हमेशा के लिए खत्म हो गया। फिर उत्तराखंड बनने के बाद उन्होंने बतौर कांग्रेस अध्यक्ष सहयोगियों के विरोध के बावजूद कांग्रेस भवन उद्घाटन में तिवारी को भी बुलाया। तिवारी को कांग्रेस भवन ऐसा भाया कि वो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ही बन गए।
“आज विभिन्न समय पर लिखे मेरे लेखों का संकलन ‘मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत’ लोकार्पित हुई। मैं आप सबके आशीर्वाद और सद्भाव का आकांक्षी हूं। धैर्य, विश्वास, सहनशीलता, समर्पण, अकूत संघर्ष की भावना मेरे अंदर एक पूंजी के रूप में जीवन पर्यंत समाहित रहे इसकी कामना करता हूं। जिसका परिणाम और आगे कुछ पुस्तकों के रूप में मैं आप सबके सम्मुख ला सकूं।”
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड