कल्याणी नदी में बसे परिवारों पर मंडराया खतरा

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प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध, हर वर्ष हो जाता है भारी जल भराव
प्रमोद धींगरा
रूद्रपुर । शासन प्रशासन द्वारा एक ओर मुख्य मार्ग के दोनों ओर मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर सरकारी सम्पत्ति से अतिक्रमण हटाने के लिए निरंतर कार्रवाई की जा रही है। परंतु शासन प्रशासन का ध्यान जिला मुख्यालय में स्थित कल्याणी नदी के मध्य तथा इसके दोनों किनारों पर अवैध रूप से बसे सैकड़ों परिवारों की ओर बिल्कुल नहीं जा रहा है। जहां प्रत्येक वर्ष मानसून के दौरान कल्याणी नदी का जल स्तर बढ़ जाने से सैकड़ों मकान कई फीट पानी में डूब जाते हैं और वहां रहने वाले परिवारों पर जीवन का खतरा मंडराने लगता है। कल्याणी नदी में पूर्व में आई बाढ़ से भी प्रशासन कोई सबक लेने की जहमत नहीं उठा रहा है। हर वर्ष बाढ़ के दौरान पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को उफनाई कल्याणी नदी में लोगों के जीवन को बचाने के लिए रेस्क्यू आपरेशन भी चलाने पडत़े हैंे। लोगों के घरों में कई फीट कीचड़ भरा पानी आ जाने से करोड़ों की सम्पत्ति को नुकसान भी होता है। जिसके बाद शासन प्रशासन द्वारा प्रभावित परिवारों को उनके हुए नुकसान के बदले अर्थिक मदद करनेे नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया जाता है। लेकिन इस समस्या का स्थाई समाधान करने का कभी भी र्प्रयास नहीं किया जाता है। जब तक कल्याणी नदी के मध्य एवं इसके दोनों किनारों पर अवैध रूप से बसे परिवारों को पूरी तरह से हटाया नही जाता समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सकता है। नगर निगम सहित कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा कल्याणी नदी को साफ सुथरा बनाने के लिए अभियान तो चलाये जाते है। लेकिन इसके वास्तविक स्वरूप बनाये रखने के लिए भी धरातल पर कार्य किये जाने आवश्यक हैं। गौरतलब बात तो यह भी है कि कल्याणी नदी के मध्य तथा इसके दोनों किनारों पर अवैध रूप से बने सैकड़ों मकानों में रह रहे परिवारों को नियमों के विपरीत विद्युत, पेयजल, सड़क, राशन कार्ड आदि सुविधायें भी प्रदान की गई हैं। इसे देखने या सम्बधित अधिकारी से जवाब तलबी करने वाला शायद कोई अधिकारी ही नहीं है। मानों हर सम्बधित अधिकारी व कर्मचारी को सब कुछ करने की छूट मिली हुइ है। ज्ञात हो कि कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी नीरज खैरवाल द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों को साथ लेकर कल्याणी नदी को उसका पुराना स्वरूप प्रदान करने तथा नदी को अक्रिमण से मुक्त कराने के लिए कार्य प्रारम्भ किया गया था लेकिन यह कार्य भी किन्हीं कारणों से बीच में ही अधूरा रह गया। इसकी फाइलें सम्भवतः आज भी कलेक्ट्रेट के किसी कक्ष में धूल फांक रही होंगी। कहते हैं अगर मन में इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी कार्य असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं देश की सभी नदियों को स्वच्छ एवं साफ सुथरा बनाने के साथ ही इसे अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए सभी राज्य सरकारों से आग्रह करते रहे है। महानगर में कल्याणी नदी के किनारे अनेक स्थानों पर छठ पूजा स्थल भी स्थापित किये गये हैं। जहां प्रति वर्ष पूर्वी समाज के हजारों लोग छठ मैया की पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान लोगों द्वारा जब कल्याणी नदी को साफ करने की मांग की जाती है तो प्रशासनिक व निगम अधिकारियों की नींद कुछ देर के लिए ही खुलती है। नदी को हमेशा के लिए साफ सुथरा बनाने व इसे अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाये जाते हैं। अब जबकि मानसून के दस्तक देने में ज्यादा वक्त नहीं बचा है शासन प्रशासन को कल्याणी नदी को पूरी तरह से अतिक्रमण से मुक्त कर बाढ़ से लोगों का जीवन बचाने के लिए ठोस कार्य शुरू करने होंगे। कल्याणी नदी में मोहल्ला जगतपुरा, मुखर्जीनगर, आवास विकास, रविन्द्रनगर, खेडा, भूतबंगला, पहाड़गंज आदि आवासीय कालोनियों में अनेक स्थानों पर अतिक्रमण साफ तौर पर देखे जा सकते हैं। परंतु अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग सब कुछ देखते हुए भी मौन साधे हुए है। यानि कि दूसरे अर्थों में यह भी कहा जा सकता है कि अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से ही कल्याणी नदी अतिक्रमण के शिकंजे में पंफसती जा रही है। यदि इसे रोकने के लिए तत्काल ठोस कदम नहीं उठाये गये तो भविष्य में कई दशकों पुरानी कल्याणी नदी का अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा। इसके लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

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