हरीश रावत ने भी कसा सियासी तंज…हर भाजपाई इस समय गा रहा मजार,मजार !
पूर्व सीएम हरदा का तीखा हमलाः अतिक्रमणकारियों का सम्पूर्ण ब्यौरा पेश करे धामी सरकार
देहरादून(उद ब्यूरो)। पूर्व सीएम एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने उत्तराखंड के जंगलों में हो रहे अवैध अतिक्रमण और मजारों को अब सूबे की धाकड़ धामी सरकार द्वारा हटाने को लेकर हो रही चर्चाओं के बीच भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए अपने अंदाज में सियासी तंज भी कसा है। मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक फेसबुक पोस्ट के जरिये पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के बयान के बाद अपनी टिप्पणी में कहा है कि उत्तराखंड बीजेपी इस समय मजार शरणम गच्छामि और साथ-साथ जनसंख्या असंतुलन का अस्त्र भी पहना कर रहे हैं। लगता है कि 2024 के लिए उनको अपने कार्यों पर विश्वास नहीं रह गया है। महंगाई, बेरोजगारी, असहिष्णुता, महिला और गरीबों का उत्पीड़न, आर्थिक असमानता, इन सब सवालों से बचने के लिए हर भाजपाई इस समय मजार, मजार, मजार, मजार, मजार गा रहा है। मगर ये नहीं बता रहे हैं कि जंगल की भूमि में कुल कितने अतिक्रमण हैं और इन अतिक्रमणकारियों का ब्यौरा किस प्रकार है, जाति वार, धर्म वार, जिला वार, फॉरेस्ट डिविजन वार, कुछ तो आंकड़े आपके पास होंगे? फिर पता चलेगा कि अवैध निर्माणों के पक्ष में कौन खड़ा होता है और कौन खड़ा नहीं हो रहा है? जनसंख्या असंतुलन का राग भी पुराना राग है भाजपा का। मगर कोई व्यत्तिफ़ बिजली के दाम क्यों बढ़ा दिए? पानी के दाम क्यों बढ़ा दिए ? हाउस टैक्स क्यों बढ़ा दिया ? जमीन के सर्किल रेट क्यों बढ़ा दिए आदि-आदि सवालों को न पूछें या गन्ने के रेट क्यों नहीं बढ़ाए, यह सवाल न पूछ डालें! इसलिए एक गाना लगा दिया है जनसंख्या असंतुलन, जनसंख्या असंतुलन, यह 2012 से वर्ष वार वो संख्या बता दीजिए जिसकी वजह से असंतुलन बड़ा है, आंकड़े तो आपके पास होंगे वह आंकड़े राज्य के लोगों के सम्मुख रख दीजिए वर्ष 2012 से 2022, 2023 तक, जब तक रखना चाहें। यदि राज्य में कुछ घुसपैठ बढ़ रही है तो उसको रोकेगा कौन? 6 साल से तो आप सरकार में हैं ! पहले रोहिंग्या-रोहिंग्या कहते थे, बताओ न ये इन 8 सालों के अंदर कितने रोहिंग्या बांग्लादेश वापस भेजे हैं, संख्या बताइए न? बांग्लादेशी, बांग्लादेशी कहते रहे कितने बांग्लादेशियों को आपने पिछले 9 सालों के अंदर बांग्लादेश वापस भेजा है, उसकी संख्या भी बताइए! तुष्टीकरण- ध्रुवीकरण, यही राग भाजपा को आता है। विकास व जन कल्याण से, सामाजिक न्याय से भाजपा का कोई वास्ता है ही नहीं!