मानव,पशु और वन्यजीवों की बीमारियों पर नजर रखने के लिए सर्विलांस,पर्यावरण सर्विलांस की सशक्त भूमिका: प्रो-अजय सूद
रामनगर। जी-20 समिट में चीफ साइंस एडवाइजर्स राउंडटेबल में चार एजेंडा पर मंथन हुआ। स्वास्थ्य की चुनौतियों को लेकर खाका खींचा गया है। समिट में वन हेल्थ पर मंथन किया गया। इसृमें तय हुआ कि मानव, पशु और वन्यजीव के स्वास्थ्य को लेकर आने वाली चुनौतियों पर मिलकर कार्य करना होगा। इसी के तहत नागपुर में वन इंडिया हेल्थ मिशन लांच किया गया है, जिसमें 11 विभाग एक साथ मिलकर कार्य करेंगे। नागपुर में वन हेल्थ इंस्टीटड्ढूट तैयार किया जा रहा है जो इस दिशा में कार्य करेगा और वह देश-विदेश के सभी संस्थाओं के संपर्क में रहेगा। सम्मेलन बुधवार सुबह 9ः30 बजे शुरू हुआ। मुख्य सचिव एसएस संधू ने इसमें स्वागत भाषण दिया। ताज रिजॉर्ट के सभागार में आयोजित पत्रकारवार्ता की अध्यक्षता करते हुए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रो- अजय सूद ने बताया कि वन हेल्थ के तहत बीमारियों पर नजर रखने के लिए सर्विलांस की व्यवस्था, रोगों से निपटने को लेकर तैयारी, वैक्सीन निर्माण सहित अन्य कार्य किए जाएंगे जिसमें विज्ञान और प्रोद्योगिकी की अहम भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि बीमारियों पर नजर रखने के लिए सर्विलांस, पर्यावरण सर्विलांस की सशत्तफ़ भूमिका है। ऐसी तकनीक हमारे पास है जिसके लिए बहुत बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत नहीं है। कुछ प्रयास करके महामारी के बारे में पता लगा सकते हैं। डॉ- सूद ने बताया कि दुनिया में जो अनुसंधान होते हैं, उनकी सुलभता और पहुंच सभी तक हो, इसे लेकर भी कांफ्रेंस में बातचीत हुई। सभी एक मत थे कि सरलता से ज्ञान की सुलभता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो परंपरागत ज्ञान है, उस पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। परंपरागत ज्ञान को छोड़ना नहीं है बल्कि उसकी बेहतर चीजों से सीखने और उन्हें साथ लेकर चलने की जरूरत है। इससे दूरियां भी कम होंगी। चौथे एजेंडे पर वैश्विक विज्ञान सलाह तंत्र को मजबूत करने पर विशेषज्ञों ने मंथन किया। एक संस्थागत तंत्र को विकसित करने पर बातचीत हुई है जिससे सभी को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि रामनगर में जी-20 समिट के तहत एक कांसेप्ट नोट तैयार होगा जिसे वर्चुअल माध्यम से बातचीत करते हुए और परिमार्जित किया जाएगा। इसके बाद अगस्त में जी-20 सीएसएआर की बैठक पुनः होगी। इसमें रामनगर के कांसेप्ट नोट को फाइनल किया जाएगा। प्रेस वार्ता में प्रधान वैज्ञानिक प्रो- अजय कुमार सूद ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली बीमारी को लेकर भी चिंतन हुआ। हमें इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है। वन्यजीवों को केवल संरक्षण के नजरिये से नहीं देखना चाहिए। उनकी बीमारी और रोकथाम को लेकर भी कार्य होना है। उन्होंने कहा कि मानव से पशु, पशु से मानव में होने वाली बीमारी को अलग-अलग नहीं, समग्र दृष्टि से देखने की जरूरत है।