राष्ट्रीय फलक पर छा गये उत्तराखंड के नेत्रहीन लोक गायक पूरन सिंह राठौर
प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में चर्चा होने से बेहद खुश है पूरन सिंह
बागेश्वर(उद ब्यूरो)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 98वें एपिसोडमें में दुग नाकुरी तहसील के लोक गायक दिव्यांग पूरन राठौर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित पूरन राठौर ने राजुला मालूशाही, न्योली, हुड़क्या बौल, श्रतु रैण, जागर, भगनौल आदि विधाओं में रचनाएं प्रस्तुत कर संस्कृति बढ़ाने के क्षेत्र में कार्य किया है, वह सराहनीय है। मन की बात कार्यक्रम में पूरन सिंह राठौर की बात होने पर दुग नाकुरी तहसील क्षेत्र के साथ ही पूरे जिले में खुशी की लहर है। आंखों से दिव्यांग पूरन सिंह राठौर 11 वर्ष की उम्र से गीत गाने लगे। अभी उनकी उम्र 39 वर्ष है। वह पढ़े-लिखे नहीं हैं। उन्हें दिव्यांग पेंशन मिलती है। वह जागर, ऋतु रैण, छपेली, झोड़ा, चांचरी, न्योली और उत्तराखंड फोक गाते हैं। थाली, डांगर, ढोल, दमुआ, हुड़ुका आदि वाद्य यंत्र बजाते हैं। इंटरनेट मीडिया में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। बागेश्वर के दृष्टि बाधित लोक विधा के जानकार पूरन सिंह राठौर का नाम रविवार को राष्ट्रीय फलक पर छा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार विजेता पूरन सिंह राठौर की कला का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तराखंड की लोक विधा में नई जान फूंकी है। उन्होंने उत्तराखंड के लोक संगीत में कई पुरस्कार जीते हैं। पीएम ने लोगों से अपील की कि उनके राठौर के बारे में जरूर पढ़ें। पीएम ने बताया कि पूरन सिंह राठौर ने अपने अभिनय से पाॅप संगीत को भी नई दिशा दी है और सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी तैयार किये है। जन्म से ही दृष्टि बाधित पूरन की लोक कला के दीवानों की कमी नहीं है। वह इलाके में खासे चर्चित हैं। बीते 15 फरवरी को जब उन्हें प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार मिला, वह और चर्चाओं में आ गए। यही पुरस्कार उन्हें पीएम की मन की बात कार्यक्रम तक पहुंचा गया। पूरन सिंह राठौर की चर्चा प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में होने से पूरन सिंह बेहद खुश हैं। जिले के लोगों में पूरन और पूरन की लोक विधा को लेकर जिज्ञासा और बढ़ गई है।लोक गायक पूरन राठौर बेहद खुश हैं। उनका नाम मोदी जी ने मन की बात में लिया है। वह कहते हैं कक्षा पांच से सभी विद्यालयों में संगीत विषय की पढ़ाई होनी चाहिए। रीमा क्षेत्र में संगीत विद्यालय खोला जाए। वाद्य यंत्रों की उनके पास काफी कमी है। लोक गायक राठौर अपने पैतृक गांव रीमा में अपने परिवार के साथ रहते हैं। गीत गाकर वह परिवार को भरण पोषण कर रहे हैं। उनकी 15 वर्षीय बेटी रोशन कक्षा 10, 13 वर्षीय नेहा कक्षा सात, 10 वर्षीय गरिमा कक्षा पांच और छह वर्षीय पुत्र मयंक कक्षा एक में पढ़ रहे हैं। पत्नी हेमा देवी उनकी आंखें हैं। कपकोट विधायक सुरेश गढ़िया ने न की बात के एपिसोड में जनपद के लोक कलाकार पूरन सिंह राठौर की कला का जिक्र करने पर पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की नजर सुदरवर्ती गांव में पूरे देश तक है। जिसका जीता जागता उदाहरण पूरन सिंह राठौर की कला का मन की बात से प्रसारण करना है। कलाकारों, युवाओं और अपने क्षेत्र में अच्छे कार्य कर रहे लोगों में आत्मविश्वास बढ़ेगा। कपकोट विधानसभा क्षेत्र और जिले के लिए बड़ी उपलब्धि है।