मुझे दिल खोलकर मिला प्यारः मैंने हिंसा सही है, देखी है, जो हिंसा नहीं सहता,उसे यह बात समझ नहीं आएगी

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बर्फबारी के बीच कश्मीर में राहुल गांधी की भारत जोड़ा यात्रा का समापन
श्रीनगर(उद ब्यूरो)। कश्मीर में राहुल गांधी की लगभग चार हजार किमी लंबी भारत जोड़ो पदयात्रा के समापन अवसर पर आयोजित रैली में कांग्रेस नेताओं के साथ कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने मंच साझा किया। सोमवार को कड़ी सुरक्षा और भारी बर्फबारी के बीच शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में कांग्रेस की रैली हुई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा डीएमके, जेएमएम, बीएसपी, नेकां, पीडीपी, सीपीआई, आरएसपी, वीसीके और आईयूएमएल के नेताओं ने भाग लिया। यहां राहुल गांधाी, प्रियंका वाड्रा गांधी एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यात्रा सम्पन्न होने पर देशवासियों व कार्यकर्ताओं को धन्यावाद दिया। । इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा ने यात्रा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में जो राजनीति चल रही है, उससे देश का भला नहीं हो सकता। प्रियंका ने कहा कि भाजपा की राजनीति देश को बांटती और तोड़ती है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा से राहुल ने देश के लोगों का दर्द समझा है। प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरा भाई कन्याकुमारी से 4-5 महीने पैदल चला और वे जहां भी जाते, लोगों से उन्हें काफी प्यार मिलता। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस देश में अभी भी देश के .लिए, इसकी विविधता के लिए एक जुनून है जो सभी भारतीयों के दिलों में बसता है। प्रियंका ने कहा कि जब मेरा भाई कश्मीर आ रहा था, तो उसने मेरी मां और मुझे एक संदेश भेजा। कांग्रेस नेता ने बताया कि राहुल कश्मीर को अपने घर की तरह मानते हैं और इसलिए ही राहुल ने कहा था कि मेरे परिवार के लोग मेरा इंतजार कर रहे हैं। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती राहुल की इस यात्रा के समापन कार्यक्रम में आज भी शामिल हुईं। उन्होंने बारिश के बीच लोगों को संबोधित किया और राहुल गांधी की खूब प्रशंसा की। मुफ्ती ने कहा कि राहुल ने यात्रा में कहा था कि वे कश्मीर में अपने घर आ गए हो ऐसा लगता है, लेकिन यह उनका घर ही है। पीडीपी नेता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि गोडसे की विचारधारा ने जम्मू-कश्मीर से जो छीन लिया, वह इस देश से वापस मिल जाएगा और राहुल गांधी में देश आशा की किरण देख रही है। भारत जोड़ो यात्रा के समापन में राहुल गांधी ने कहा कि देश की शत्तिफ कश्मीर के लोगों के साथ है। यात्रा से बहुत कुछ सीखने को मिला। राहुल गांधी ने कहा कि एक दिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मैंने सोचा कि मुझे 6-7 घंटे और चलना होगा और यह मुश्किल होगा। लेकिन एक युवती दौड़ती हुई मेरे पास आई और बोली कि उसने मेरे लिए कुछ लिखा है। उसने मुझे गले लगाया और भाग गई। मैंने इसे पढ़ना शुरू किया। उसने लिखा कि मैं देख सकती हूं कि आपके घुटने में दर्द हो रहा है क्योंकि जब आप उस पैर पर दबाव डालते हैं, तो यह आपके चेहरे पर दिखता है। मैं आपके साथ नहीं चल सकती लेकिन मैं दिल से आपके साथ चल रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि आप चल रहे हैं। मेरे और मेरे भविष्य के लिए। ठीक उसी क्षण, मेरा दर्द गायब हो गया। राहुल गांधी ने कहा कि पीड़ित महिलाएं मुझसे मिलकर रो रहीं थीं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि चार बच्चे मेरे पास आए, वे भिखारी थे और उनके पास कपड़े नहीं थे। मैंने उन्हें गले लगाया। वे ठंडे और कांप रहे थे। शायद उनके पास खाना नहीं था। मैंने सोचा कि अगर वे जैकेट या स्वेटर नहीं पहने हैं, मुझे भी वही नहीं पहनना चाहिए…। इसलिए बच्चों को देखकर मैंने जैकेट पहनना छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि कश्मीरियत को अपना घर मानता हूं। मुझसे लोगों ने कहा कि पूरे भारत में आप पैदल चल सकते हैं, लेकिन कश्मीर में गाड़ी से चलिए, मैंने कहा कि यह ;कश्मीरीद्ध अपने घर के लोग हैं। मैं उनके बीच में चलूंगा। मैंने सोचा कि जो मुझसे नफरत करते हैं, उन्हें क्यों न मौका दें कि वह मेरी टी-शर्ट को लाल कर दें। क्योंकि गांधी जी ने मुझे सिखाया है कि जीना है तो बिना डरे जीना है। मैंने सोचा कि करना है तो लाल कर दो मेरी टी-शर्ट। लेकिन जो मैंने सोचा था वही हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे दिल खोलकर प्यार किया और मुझे बहुत खुशी हुई कि उन्होंने मुझे अपना माना और बुजुर्गों-बच्चों ने आंसुओं से मेरा स्वागत किया। राहुल गांधी ने कहा कि जो सेना के लोग यहां काम करते हैं, और सीआरपीएफ के लोग काम करते हैं। जम्मू-कश्मीर के युवाओं को, माताओं को, बहनों को, जवानों को, उनके परिवारों को, बच्चों को। देखिए मैं हिंसा को समझता हूं। मैंने हिंसा सही है, देखी है। जो हिंसा नहीं सहता, जिसने नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आएगी। जैसे मोदीजी हैं, शाह जी हैं। आरएसएस के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है। वह डरते हैं। हम चार दिन पैदल चले। मैं आपको गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकते। राहुल गांधी ने कहा कि मैं 14 साल का था। स्कूल में पढ़ रहा था। टीचर आए, मुझसे पूछा कि राहुल तुम्हें प्रिंसिपल ने बुलाया है। मैं बदमाश था, मैंने सोचा कि मैंने शायद कोई शैतानी की है। मगर जब मैं चल रहा था, तो जिस टीचर ने मुझे बुलाया था, उसे देखकर मुझे कुछ अजीब सा हुआ। प्रिंसिपल ने मुझसे कहा कि राहुल तुम्हारे घर से फोन काॅल है। जब मैंने उसके शब्द सुने, तो पता लग गया कि कुछ गलत हो गया है। मेरे पैर कांपे और जैसे ही मैंने फोन कान पर लगाया तो मेरी मां के साथ एक औरत चिल्ला रही थी। राहुल, दादी को गोली मार दी, दादी को गोली मार दी। ये जो मैं कह रहा हूं ये बात पीएम को नहीं समझ आएगी, अमित शाह को समझ नहीं आएगी। डोभाल जी को समझ नहीं आएगी। ये बात कश्मीर के लोगों को समझ आएगी, सीआरपीएफ-सेना के लोगों को समझ आएगी। पुलवामा में जो हमारे सैनिक मरे, उनके घरों पर टेलीफोन आया होगा, उनके परिजनों को टेलीफोन आया होगा। जो हिंसा करवाता है, पीएम मोदी जी हैं, अमित शाह जी हैं, आरएसएस के लोग हैं, डोभाल जी हैं। ये दर्द को समझ नहीं सकते। पुलवामा के जो सैनिक हैं, उनके दिल में क्या हुआ था। मैं जानता हूं। जो यहां कश्मीर में मरते हैं, उनके दिल में क्या होता है, क्या लगता है। मैं और मेरी बहन समझते हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक चल चली यात्रा के समापन पर भाकपा नेता डी राजा ने देश के सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा हम सभी ने देश की आजादी के लिए एक साथ लड़ाई लड़ी और देश को ब्रिटिश राज से मुत्तफ कराया। देश को भाजपा राज से मुत्तफ कराने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक साथ आना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कां एनसी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से देश के पश्चिम से पूर्व की ओर एक और यात्रा करने को कहा। उन्होंने यात्रा के लिए कार्यकर्ताओं, पिता ;फारूक अब्दुल्लाद्ध और अपनी पार्टी की ओर से राहुल गांधी को बधाई दी। कहा कि यह यात्रा सफल रही है। अब्दुल्ला ने कहा कि राहुल जब पूर्व से पश्चिम की तरफ यात्रा करेंगे तो उनके साथ चलेंगे। देश को इस तरह की यात्रा की आवश्यकता थी। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त हो कई है। राहुल के नेतृत्व में की जा रही इस यात्रा में कई विपक्षी पार्टियों को बुलाया गया था जिसमें से कई दलों ने यात्रा से दूरी बनाने का फैसला किया।

 

 

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