बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर का भव्य स्वागत, संतों को दिया निमंत्रण
हरिद्वार। मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुक्रवार देर रात हरिद्वार आचार्य बालकृष्ण के कनखल दिव्य मंदिर आश्रम पहुंचे। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के आश्रम पहुँचने पर भव्य स्वागत हुआ। शास्त्री शुक्रवार पूरे दिन आचार्य बालकृष्ण के साथ ऋषिकेश स्थिति ब्यासी में रहे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर शुक्रवार को मध्य प्रदेश में 13 से 19 फरवरी को आयोजित होने वाले यज्ञ का हरिद्वार के संत समाज को निमंत्रण देने आए थे। सुबह हरिद्वार दिव्य मंदिर आश्रम में कुछ समय रुकने के बाद वह आचार्य बालकृष्ण के साथ ब्यासी चले गए। मीडिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। पूरा कार्यक्रम गोपनीय रखा गया। पूरे दिन बालकृष्ण के ब्यासी में रहे। ब्यासी से शास्त्री ने आचार्य बालकृष्ण के साथी अपने फेसबुक से वीडियो भी जारी किया था। देर रात शास्त्री और बालकृष्ण के साथ कनखल दिव्य मंदिर आश्रम पहुंचे। यहां पहुंचने पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री का भव्य स्वागत हुआ।कहा कि हरिद्वार आकर अद्भुत लगा। आचार्य बालकृष्ण बड़े भाई हैं। देर रात शास्त्री हरिद्वार से छतरपुर के लिए चले गए। इस दौरान आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आज दोनों को अच्छा लगा। कहा कि दोनों की विधाएं अलग हैं, लेकिन मार्ग एक है। दोनों ने उन्हीं विधाओं पर चर्चा की। कहा कि सनातन विधि हमारे ऋषियों का मार्ग है। लोगों के जीवन को सुगम किस तरह से बनाया जा सकता है उसके लिए और बेहतरी से काम किया जाएगा। वहीं आचार्य बालकृष्ण ने पंडित धीरेद्र शास्त्री का उत्तराखंड आगमन पर स्वागत करते हुए सोशल मीडिया पर उनके साथ कुछ तस्वीरें साझा करते हुए लिखा है कि बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के साथ बिताए कुछ पल, यूं भोलेपन से मुस्कुराना तुम्हारा, यह बताने के लिए पर्याप्त है कि तुम भोले और सहज हो, यह निश्छलता व सहजता ही तुम्हारा आभूषण है।मिलने से पूर्व अविश्वास तो नहीं, पर शंकाओं से रहित भी तो नहीं।अब मैं कह सकता हूं, महर्षि पतंजलि के कथन फ्जन्मौषधिमन्त्रतपःसमाधिजाः सि(यःय् का एक उदाहरण हो तुम। सनातन वैदिक धर्म वह वटवृक्ष है, जहां से सभी सम्प्रदाय व परम्पराएं निकली हैं। यदि मानें कि कई नहीं निकली हैं तो वे उससे प्रभावित अवश्य हुई हैं और जो प्रभावित भी नहीं हुई, वे कभी मानवता के लिए कार्य नहीं कर सकतीं क्योंकि जो सनातन का नहीं, वह मानवता का भी नहीं। हमनें अपने अनुज के साथ लगभग 23 घंटे बिताए, जिसमें देखा- देश के लिए चिंता करते हुए व समस्याओं का समाधान खोजते हुए युवा मस्तिष्क को, राष्ट्रवाद को लेकर धड़कते एक युवा हृदय को। मुझे गर्व है कि मुझे ऐसा छोटा भाई मिला, जो संवेदनशील होने के साथ दैवीय कृपाप्रसाद से युत्तफ है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में व साधनहीन वंचित जनों के पीड़ाहरण के लिए कार्य करना चाहता है। मेरे प्रिय अनुज ! हृदय की गहराई से यही उद्गार निकलता है- सदैव अविचलित व अडिग बनो, तुम धीर हो, धीरेन्द्र हो, कृष्ण हो। बालकृष्ण सदृश अनेकों भाई तुम्हारे पथ को कंटकविहीन करने के लिए सदैव तत्पर हैं, क्योंकि तुम सनातन के लिए हो, किसी संप्रदाय के लिए नहीं।