जिला विकास प्राधिकरणों में बंद हो लूटपाटः हरदा
देहरादून । प्राधिकरण को लेकर चल रहे घमासान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए जिला विकास प्राधिकरणों की कार्यशैली सुधारने पर जोर दिया हैं। उन्होंने उन्होंने कहा कि प्राधिकरणों में लूटपाट नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो इसका विरोध होगा। बता दें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मौजूदा शहरी विकास मंत्री में प्राधिकरण को लेकर जुबानी जंग छिड़ी हुयी है। बीते दिनों प्रेमचंद अग्रवाल का भी इस मामले में बयान आया था उन्होनंे कहा था कि कहा था कि उस समय जल्दबाजी में निर्णय लिया गया था। रविवार को इस मामले में सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सावधानी पूर्वक काम करना एक कला है। मगर सावधानी इतनी नहीं होनी चाहिए कि काम ही न हों, जो व्यक्ति काम करता है उससे गलतियां होती हैं। जिससे गलतियां नहीं हुई हैं, इसका अर्थ है उसने कभी काम करने का प्रयास ही नहीं किया है। मैंने कभी यह दावा नहीं किया कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो उस समय गलतियां नहीं हुई। मगर हमने निर्णय लिए और उनको क्रियान्वित किया। उन्होंने कहा कि भाजपा में जो एक विवाद चल रहा है प्राधिकरणों को लेकर, प्रश्न यह नहीं है कि प्राधिकरण गलत हैं। प्राधिकरण एक व्यवस्थित विकास को आकार देने के लिए आवश्यक हैं। मगर प्राधिकरण नक्शा बनाते हों, जगह की क्षमता का आकलन करते हैं एक व्यवस्थित शहरीकरण, अर्धशहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा अवरोध मुक्त मार्गदर्शन देते हों तो स्वागत है और यदि पहले की तरीके से लूटपाट में लग जाएंगे, लोगों के मार्गदर्शक के बजाए उत्पीड़क बनेंगे तो लोग फिर विरोध करेंगे। फिर आज की सरकार के पास इस व्यवस्था के लिए मैन पावर है ही कहां। हरदा ने कहा यदि प्राधिकरण लूटपाट के माध्यम बन जाएं। जैसा भाजपानित शासन में प्राधिकरणों ने लूटपाट प्रारंभ कर दी थी। सैकड़ों, करोड़ रुपया लोगों का प्राधिकरणों की जेब में चला गया। उसके कारण लोगों में विरोध पैदा हुआ। सरकार यदि राज्य के सुनियोजित विकास के लिए कोई कदम उठाती है तो मुझे कम से कम आपत्ति नहीं है। लेकिन मैकेनिज्म ऐसा होना चाहिए जो लूटपाट आधारित न हो, सुनियोजित विकास आधारित हो। हमने एक प्राधिकरण का शासनादेश निकाल दिया, उससे काम नहीं चलने जा रहा है। हरदा ने कहा मैं राज्य सरकार से आग्रह करूंगा कि इस दिशा में भाजपा के अंदर चल रही अंतर कलहयुक्त विवाद से हमारा कोई मतलब नहीं है। मगर हमारा मतलब इससे है कि राज्य को जो भी संस्था मिले, वह सुव्यवस्थित हो और आगे के लिए दिशा बोधक हो।