विशेषज्ञों ने माना अब रहने लायक नहीं है जोशीमठ

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देहरादून । जोशीमठ में आई आपदा को लेकर बड़ी बात सामने आयी है। बताया गया है कि कुछ दिन पहले ठीक आईआईटी कानपुर की रिसर्च टीम जोशीमठ भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र में पहुंची थी। इस टीम ने अहम सर्वे किया था। सर्वे टीम ने साफ कहा था कि फिलहाल जोशीमठ को दोबारा बसाने की बात कहना खतरे से खाली नहीं है। जोशीमठ का प्रभावित क्षेत्र बिल्कुल भी रहने के लायक नहीं है। बता दें जोशीमठ में भू-धंसाव के मामले दिसंबर से आने शुरू हो गए थे। पिछले महीने क्षेत्र में कई जगहों पर भू-धंसाव की घटनाएं आई थीं। इन घटनाओं के बाद प्रशासन भी हरकत में आया और चमोली जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त टीम गठित की गई। टीम ने दो दिनों तक नगर में भू-धंसाव से प्रभावित मकानों के सर्वे किया। इस बीच भू धंसाव का सिलसिला लगातार बढ़ता गया। जिससे लोग दहशत में आ गए। हालात बिगड़ने से कुछ दिन पहले प्रो. सिन्हा के नेतृत्व में आई टीम ने जोशीमठ के इलाके का ड्रोन सर्वे किया था। अभी इसकी रिपोर्ट तैयार नहीं हुयी है। मीडियो रिपोर्ट के मुताबिक प्रो. सिन्हा ने जोशीमठ और आसपास के पूरे इलाका खतरे से भरा बताया है। ये लैंड स्लाइडिंग जोन में है। यहां दशकों तक लैंड स्लाइडिंग होती रही है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में ये स्थिर रहा। बार-बार लैंड स्लाइड के कारण यहां पत्थर कमजोर हो गए हैं। इसके बावजूद लोगों ने यहां मलबे पर घर, होटल बना लिए। पिछले कुछ सालों में काफी विकास कार्य यहां हुए। अब एक बार फिर से पहाड़ अपलिफ्ट हो रहे हैं। मतलब उठ रहे हैं। इसके चलते अंदर से मलबा खिसक रहा है और जमीन धंसने लगी है। प्रो. सिन्हा और उनकी टीम का ये भी मानना है कि घाटी में नदियों के ठीक किनारे आबादी बस गई है। ये बेहद खतरनाक है। अनप्लांड डेवलपमेंट के चलते अब लोगों की जान खतरे में पड़ गई है। अगर समय रहते इसे सुधारा नहीं गया, तो आने वाले समय में और भयावह स्थिति देखने को मिल सकती है। जब बिना भूकंप और बारिश के जमीन धंसने लगी है तो अंदाजा लगाइए अगर बारिश हो जाएगी या फिर भूकंप आ जाएगा तो स्थिति कितनी भयावह हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक सर्वे टीम का मानना है कि जोशीमठ और आस-पास के इलाके को तुरंत खाली करना चाहिए । क्यों कि अब ये इलाका खतरे से खाली नहीं है।

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