अटरिया माता की मूर्ति चोरी करने का आरोप

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मंदिर कमेटी के सचिव ने आरोपों को बताया निराधार, कहा-सुरक्षित है अष्टधातु की मूर्ति

रूद्रपुर। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र अटरिया माता मंदिर के पुजारी आनंद शर्मा ने हर वर्ष मेले के दौरान विराजमान होने वाली माता की मूर्ति और चांदी का थाल चोरी होने का आरोप लगाया है। वहीं मंदिर कमेटी के सचिव ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि माता की मूर्ति और थाल सुरक्षित है और अपने स्थान पर विराजमान है। बता दें जगतपुरा के पास स्थित प्राचीन अटरिया मंदिर में हर वर्ष अप्रैल माह में एक माह का मेला लगता है। इस मेले के दौरान अटरिया मंदिर में माता की ऐतिहासिक और पौराणिक प्रतिमा को विराजमान कराया जाता है। जनपद से ही नहीं बल्कि दूर दराज से भी लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए मेले में पहुंचते हैं। जिस मूर्ति के दर्शन के लिए मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं लाईन में लगती है। वह मूर्ति मेले के अलावा अन्य दिनों में रम्पुरा स्थित अटरिया मंदिर में विराजमान की जाती है। जिसकी देखरेख दशकों से महंत पुष्पा देवी और उनका परिवार करता आ रहा है। महंत पुष्पा देवी के पुत्र पुजारी आनन्द शर्मा ने अपने ही भाई अरविंद शर्मा पर स्वर्ण प्रतिमा और सवा किलो चांदी का थाल चोरी करने का आरोप लगाया है। आनन्द शर्मा का कहना है कि मंदिर की चाबियां माता पुष्पा देवी के पास रहती है। आनंद का आरोप है कि माता पुष्पा देवी से जब इस बारे में पूछा गया तो वह कोई जवाब नहीं दे रही है। पुजारी आनंद शर्मा ने उप जिलाधिकारी से मूर्ति बरामद करवाने, मंदिर प्रांगण की सुरक्षा एवं मंदिर कमेटी को भंग कर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में नई कमेटी गठित करने की गुहार लगायी है। उधर मंदिर कमेटी के सचिव एवं पुजारी अरविंद शर्मा ने चोरी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि माता की मूर्ति और थाल रम्पुरा स्थित प्राचीन मंदिर में विराजमान है। अरविंद शर्मा ने कहा कि मंदिर में माता की मूर्तिया सोने की नहीं बल्कि अष्टधातु की है। उन्होंने बताया कि राजा रूद्रप्रताप सिंह ने खुदाई में निकली अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति मंदिर में स्थापित कराई थी। जो आज भी सुरक्षित है। अष्टधातु की मूर्ति को ही हर वर्ष मेले के दौरान जगतपुरा स्थित मंदिर में विराजमान कराया जाता है। अन्य दिनों में यह मूर्ति रम्पुरा स्थित मंदिर में विराजमान रहती है। अरविंद शर्मा ने बताया कि लोगों में भ्रम है कि माता की मूर्ति सोने की है। पौराणिक मूर्तियों का पंजीकरण 1984 में रजिस्ट्रार कार्यालय में ीाी कराया गया था, जिसमें मूर्ति अष्टधातु की होने का जिक्र है। अरविंद शर्मा ने कहा कि आनन्द शर्मा की मानसिक हालत ठीक नहीं है उसके गलत आचरण एवं नशे की प्रवृत्ति के कारण उनकी माता जी ने वर्ष 2013 में उसे बेदखल कर दिया था। उसे कई बार नशा मुक्ति केन्द्र में भी भर्ती कराया जा चुका है। पूर्व में वह मां के उपर तमंचा तान चुका है जिसको लेकर उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। अरविंद शर्मा का आरोप है कि अपने कृत्यों को छुपाने के लिए आनन्द शर्मा बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। इसके खिलाफ वह कानूनी कार्रवाई करेंगे।

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