रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में गरमाई सियासत,कल सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
प्रशासन ने पूरी की अतिक्रमण हटाने की तैयारियां,विरोध प्रदर्शन जारी
हल्द्वानी। बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4365 अवैध कच्चे-पक्के भवनों को हटाने की तिथि जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे मामले को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। मामले में अब सबकी निगाह कल सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी है। उधर अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे, पुलिस व प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। आरपीएफ व पीएसी की पांच-पांच कंपनियां तैनात हो गई हैं और चार दिन बाद पैरामिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी पहुंच जाएगी। बता दें रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने की यह कवायद 2007 में शुरू हो गई थी लेकिन तब रेलवे अपनी भूमि खाली नहीं करा सका था। अब नैनीताल हाई कोर्ट के सख्त आदेश के चलते 16 साल बाद बदले हालात में अतिक्रमण के बढ़ चुके दायरे को आठ जनवरी के बाद ध्वस्त करने की तैयारी हो चुकी है। हालांकि स्थानीय लोगों एवं कुछ कांग्रेस व सपा आदि राजनीतिक दलों की ओर से इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हो चुकी है। मामले में हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश व अन्य राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले रविशंकर जोशी भी सर्वाेच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल कर चुके हैं। अब सभी की निगाह सुप्रीम कोर्ट की पांच जनवरी को संभावित सुनवाई पर है। रेलवे भूमि प्रकरण को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत मामले को लेकर हल्दानी में उपवास पर बैठे हैं। रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से इनका पुनर्वास कर सकती है। वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना प्रकरण सही तरह से नहीं रखा है। कहा कि रेलवे जिसको अपनी जमीन बता रहा है, उस जगह पर कई सरकारी स्कूल, Úी होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति हैं। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे। कहा कि सरकार के मन में खोट है और वह किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल करना चाहती है। रेलवे भूमि की जद में आ रहे बनभूलपुरा के लोग अपने आशियाने बचाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं। लाइन नंबर 17 में चोरगलिया रोड के पास सैकड़ों लोग एकजुट हुए और सामूहिक दुआ की। मस्जिद बिलाली के पेश इमाम मौलाना मो. आसिम ने दुआ कराई। अन्यत्र बसाए जाने की मांग व अतिक्रमण हटाने के विरोध में स्थानीय लोग लगातार धरना, प्रदर्शन और कैंडल मार्च भी निकाल रहे हैं। कांग्रेस, सपा एवं एआइएमआइएम समेत कई संगठन सभाएं कर रहे हैं। स्थानीय महिलाएं व बच्चों के माध्यम से मुद्दे उठाते हुए सड़कों पर दुआ व नमाज अता की जा रही है। बनभूलपुरा व गफूर बस्ती मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं लेकिन अतिक्रमण की जद में सिर्फ यही समुदाय नहीं है। 35 हिंदू परिवार भी अतिक्रमणकारियों में शामिल हैं। सभी लोग घरों को बचाने के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। अतिक्रमण वाले क्षेत्रों में लोगों के घरों का आकलन व गतिविधियों की निगरानी एलआइयू कर रही हैं। एसएसपी पंकज भट्ट का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश पर बनभूलपुरा में अतिक्रमण ध्वस्त करने की तैयारी पूरी हैं। अतिक्रमणकारियों को मोहलत देते हुए मुनादी भी करा दी गई है। अब आठ जनवरी के बाद कभी भी ध्वस्त किया जा सकता है। हमारा काम कानून व्यवस्था व शांति बनाए रखने का है। इसमें कोई कोताही नहीं होगी।