मछली का ठेका न होने से मत्स्य विभाग को 50 लाख की चपत

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जून माह में खत्म हो चुका है ठेका,ठेका नहीं होने से डाम में मछली का शिकार करने वालों की मौज

अनिल सागर
नानकमत्ता। उत्तराखण्ड के मत्स्य विभाग को सालाना एक से डेढ़ करोड़ इनकम अर्जित करने वाले नानकसागर जलाशय में मछली का ठेका समय से न होने से विभाग को 6 माह में 50 लाख से अधिक की चपत लग गई। बताया जा रहा है कि विभाग की शर्ताे में फेरबदल के चलते एक बार टेंडर निकलने के बाद भी ठेका नहीं हुआ अब विभाग पुनः ठेके की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद कर रहा है। वही मछली पकड़ने का ठेका न होने से अवैध रूप से मछली का शिकार करने वालों की मौज आ गई है। अवैध रूप से मछली का शिकार करने वाले लोग धड़ल्ले से बेखौफ शिकार कर रहे हैं । उधम सिंह नगर के नानकमत्ता में स्थित नानकसागर जलाशय उत्तराखण्ड का पर्यटन हब होने के साथ ही मत्स्य विभाग के लिए भी आय का जरिया है। नानकसागर डैम हालांकि उप्र सरकार के स्वामित्व में आता है, जो सिचाई विभाग के अंतर्गत है। लेकिन नानकसागर जलाशय में मछली उत्पादन एवं उससे होने वाली आय उत्तराखण्ड में मत्स्य विभाग की होती है, मत्स्य विभाग 5 साल के लिए मछली पकड़ने का ठेका देता है, जिससे उसे प्रतिवर्ष एक करोड़ से लेकर डेढ़ करोड़ की आय होती है, 5 वर्ष के लिए मछली पकड़ने का ठेका जून माह में पूरा हो गया था। जून माह में जुलाई अगस्त के महीने में मछली के बच्चों के लिए 2 माह का प्रजनन काल के लिए मछली के शिकार पर रोक रहती है। मत्स्य विभाग को ठेका अवधि पूरी होने के बाद नए टेंडर डालकर नए सिरे से ठेका देना था, लेकिन विभाग की लापरवाही या सिस्टम की कमी से 6 माह बाद भी मछली पकड़ने का ठेका नहीं हो पाया है, जिसके चलते मत्स्य विभाग को 6 माह में करीब 70 लाख रूपए की चपत लगी है। वहीं मछली पकड़ने का ठेका न होने से अवैध रूप से मछली मारने वाले शिकारियों की बल्ले बल्ले हो गई है। नानक सागर जलाशय से लगे गांव के लोग लगातार ठेका न होने पर मछली का अवैध रूप से शिकार कर रहे है। हालांकि अवैध रूप से शिकार करने पर वन विभाग की नानक सागर जलाशय पर नजर रहती है, लेकिन वन विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध मछली का शिकार धड़ल्ले से चल रहा है, प्रतिवर्ष 1 से डेढ़ करोड रुपए कमाने वाला मत्स्य विभाग की लापरवाही से जहां से लाखों रुपए का नुकसान हुआ है, अवैध रूप से मछली का शिकार करने वाले शिकारियों की मौज हो गई है और मत्स्य विभाग की लापरवाही से लाखों रुपए का नुकसान विभाग को हो गया है।
पुनः ठेका देने की चल रही प्रक्रियाः छिमवाल
नानकमत्ता। जिला मुख्यालय रुद्रपुर में तैनात मत्स्य विभाग के निदेशक संजय छिमवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मछली के पकड़ने का ठेका जून माह में पूरा हो गया था, जो कि 5 साल के लिए था, इस दौरान 2 माह का मछली का प्रजनन काल था, लेकिन कुछ विभागीय शर्तों के चलते ठेका होने में विलंब हुआ है, अगस्त माह में टेंडर निकाला गया था लेकिन किसी कारण निरस्त हो गया। मत्स्य विभाग को प्रतिवर्ष नानक सागर जलाशय से एक से डेढ़ करोड़ रुपए की इनकम होती है। इसी माह दिसंबर में नये टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, मछली मारने का नया ठेका 10 वर्ष के लिए होगा।

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